काला हिरण शिकार मामले में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (जोधपुर ग्रामीण) के फैसले को पढ़कर मुझे आश्चर्य हुआ। इस मामले में जहां बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान को दोषी ठहराते हुए पांच साल जेल और जुर्माने की सजा सुनाई गई, वहीं पांच सह-आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।
कोर्ट के इस फैसले से मुझे लगता है कि सलमान को सुपरस्टार होने की सजा मिली है, गुनहगार होने की नहीं। इस केस में जिन पांच को बरी किया गया है उनके खिलाफ भी वही गवाह थे जो सलमान के खिलाफ थे। उनके खिलाफ भी वही सबूत थे जो सलमान के खिलाफ थे। लेकिन यह कैसा न्याय है कि पांच लोगों को छोड़ दिया गया और सलमान को पांच साल की सजा दे दी ? इसका मतलब तो यह हुआ कि सलमान अकेले शिकार करने गए थे, अकेले गाड़ी चलाई, अकेले काले हिरणों पर गोली चलाई और अकेले ही गुनहगार बन गए?
दूसरी बात यह है कि जोधपुर के पास एक अन्य गांव में काले हिरण के शिकार की इसी तरह की घटना और आरोपों के मामले में सलमान राजस्थान हाईकोर्ट से बरी हो चुके हैं तो फिर इस केस में सजा का क्या मतलब?
दुख की बात यह है कि अपने फैसले में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने यह कह दिया कि 'सलमान बहुत बड़े स्टार हैं। आम लोग उनकी कॉपी करते हैं। उन्होंने दो निर्दोष काले हिरणों का शिकार किया जो कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत अनुसूची -1 के अंतर्गत आते हैं। इसलिए उन्हें प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट के तहत लाभ नहीं दिया जा सकता जिसकी मांग बचाव पक्ष द्वारा की जा रही है।'
मेरी राय में अगर यही क्राइटेरिया है तो सलमान करोड़ों रुपए की चैरिटी करते हैं। लाखों लोगों का मुफ्त इलाज कराते हैं और आम लोगों ने भी उनके अच्छे कामों का अनुसरण किया है। ऐसी परिस्थिति में सलमान को उनके अच्छे कामों का लाभ मिलना चाहिए।
मैं व्यक्तिगत तौर पर यह महसूस करता हूं कि सलमान खान के साथ अन्याय हुआ है। सजा गुनहगार को मिलनी चाहिए, सुपरस्टार को नहीं। मुझे उम्मीद है कि सलमान को जल्द ही ऊपरी अदालतों से राहत मिल जाएगी। (रजत शर्मा)