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RAJAT SHARMA BLOG: दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनने के लिए भारत और चीन को हाथ मिलाना चाहिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान में दो दिनों का अनौपचारिक शिखर सम्मेलन भारत और चीन के संबंधों के लिए एक शुभ संकेत है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : April 28, 2018 17:37 IST
RAJAT SHARMA BLOG: India, China should join hands to become a world superpower
Image Source : INDIA TV RAJAT SHARMA BLOG: India, China should join hands to become a world superpower 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान में दो दिनों का अनौपचारिक शिखर सम्मेलन भारत और चीन के संबंधों के लिए एक शुभ संकेत है। दोनों देशों के नेताओं के बीच यह मुलाकात बिना किसी एजेंडा के हुई और इसमें दोनों देशों के बीच समझौतों पर हस्ताक्षर भी नहीं हुए। पिछले चार साल में चीनी सेना (PLA) की तरफ से कई बार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बार्डर के उल्लंघन की कोशिश हुई, पाक अधिकृत कश्मीर क्षेत्र से होकर गुजरनेवाले चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का भारत आपत्ति दर्ज कराता रहा है। वहीं पिछले साल सिक्किम-चीन बॉर्डर पर डोकलाम में दोनों देशों के बीच गतिरोध भी सुर्खियों में रहा। 

दोनों नेताओं ने व्यापार, सीमा विवाद और आतंकवाद के मसले पर खुलकर चर्चा की। इस अनौपचारिक शिखर बैठक के बाद न तो कोई संयुक्त बयान जारी हुआ और न ही संयुक्त प्रेस वार्ता हुई लेकिन यह कवायद स्थायी दोस्ती की नींव तैयार करने में मददगार साबित होगी। चीन मौजूदा वक्त में दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता और आर्थिक महाशक्ति है। उसकी सैन्य शक्ति भी कम नहीं है। चीन की अर्थव्यवस्था भारत से पांच गुना बड़ी है जबकि सैन्य शक्ति के मामले में भी चीन भारत से तीन गुना ज्यादा ताकत रखता है। लेकिन जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कहा करते थे कि दोस्त तो बदले जा सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं बदल सकते। इसलिए चीन से अच्छे संबंध हों ये दोनों मुल्कों के लिए अच्छा है, साथ ही यह पूरे दक्षिण एशिया के लिए भी लाभकारी होगा। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगर चीन से संबंध सुधारने की कोशिश की है तो उनके इस प्रयास की सराहना की जानी चाहिए। लेकिन शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने सियासी फायदे के लिए डोकलाम का मुद्दा उठाया और अपने ट्वीटर हैंडल के जरिए पीएम को इसकी याद दिलाई। पिछले साल जब डोकलाम का गतिरोध अपने चरम पर था उस समय राहुल ने दिल्ली में चीनी राजदूत से मुलाकात की थी। भारतीय राजनीति में घरेलू मुद्दों पर एक-दूसरे दलों के बीच मतभेद होते रहते हैं लेकिन यह परंपरा रही है कि विदेश नीति के मुद्दों पर पूरा देश एक आवाज में बोले। अगर यही परंपरा कायम रहे तो अच्छा होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस शिखर बैठक के शुरुआती भाषण में अच्छी बात कही कि अगर भारत और चीन मिलकर काम करें तो ये दुनिया की महाशक्ति बन सकते है। (रजत शर्मा)

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