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Rajat Sharma's Blog: हैदराबाद एनकाउंटर कानून बनाने वालों के लिए चेतावनी, न्यायपालिका के लिए सबक

मुठभेड़ को जिस तरह से आम जनता का समर्थन मिला, यह कानून बनाने वालों के लिए एक चेतावनी है। लोग न्याय के लिए अपना धैर्य खो रहे हैं। यह जनता के सब्र टूटने का सबूत है। साथ ही यह न्यायपालिका के लिए एक सबक भी है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : December 07, 2019 20:12 IST
Rajat Sharma's Blog: Hyderabad encounter must serve as a warning to lawmakers, a lesson for judiciar
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma's Blog: Hyderabad encounter must serve as a warning to lawmakers, a lesson for judiciary 

हैदराबाद में महिला वेटरिनरी डॉक्टर (पशु चिकित्सक) के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के आठ दिन बाद इस जघन्य अपराध के संदेह में चार लोगों को शुक्रवार की सुबह पुलिस द्वारा एक मुठभेड़ में उसी जगह के पास गोली मार दी गई जहां यह घटना हुई थी।'क्राइम के रीकंस्ट्रक्शन' के लिए पुलिस चारों संदिग्धों को लेकर घटना स्थल पर पहुंची थी। पुलिस के मुताबिक इन संदिग्धों ने वहां मौजूद 10 पुलिसकर्मियों से दो पिस्टल छीन लिए थे। लेकिन उसके बाद पुलिस की जवाबी कार्रवाई में चारों मारे गए। देर शाम, तेलंगाना हाईकोर्ट ने पुलिस को नौ दिसंबर तक शवों को संरक्षित रखने, पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी और स्थानीय जिला न्यायाधीश के समक्ष वीडियो पेश करने का निर्देश दिया।

मुठभेड़ की खबर फैलते ही सैकड़ों लोग मौके पर जमा हो गए, पुलिसकर्मियों पर फूलों की बारिश की गई और पुलिस के समर्थन में नारे लगाए गए। देश के कई अन्य शहरों में भी इसी तरह के उल्लास और उत्सव जैसे दृश्य देखे गए। बलात्कार पीड़िता की बहन और पिता ने कहा, 'आखिरकार न्याय हो गया।'

इस तरह के दृश्य देखने और आम लोगों की बातों से एक बात स्पष्ट है: जनता जल्द न्याय चाहती है। जनता सिर्फ इतना चाहती है कि इस तरह के जघन्य अपराध करने वालों को जल्द से जल्द सजा मिले। उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सजा अदालत दे या सरकार या पुलिस। यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है जिसे कानून निर्माताओं और कानून को लागू करनेवाले, दोनों को ध्यान देना चाहिए। 

हालांकि यहां ध्यान देने लायक बात ये है कि अधिकांश राजनेताओं को यह समझ में आने लगा है कि जनता के दिल में क्या है और देश का मूड क्या है। इसलिए जैसे ही हैदराबाद में एक मुठभेड़ में बलात्कार और हत्या के आरोपियों की मौत की खबर आई तो ज्यादातर नेताओं का रिएक्शन जनता के मूड के हिसाब से ही था। ज्यादातर महिला सांसदों ने तो खुलकर इस मुठभेड़ का समर्थन किया और पुलिस की तारीफ की। बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने तो यहां तक कह दिया कि 'बलात्कारियों को जेल में बैठाकर रोटी खिलाने से अच्छा है कि ऐसे अभियुक्तों का एनकाउंटर करने का कानून बना देना चाहिए।' लॉकेट चटर्जी ने कहा, 'जब रेप के आरोपियों के एनकाउंटर होंगे, तब उनके मन में ऐसे अपराध करने के प्रति डर बैठेगा।'

ये बात सही है कि पुलिस का काम अपराध पर काबू करना, अपराधियों के खिलाफ सबूत इकट्ठे करना और पीड़ितों को न्याय दिलाना है। अपराधियों को सजा देना अदालत का काम है। शुक्रवार सुबह अगर ये संदिग्ध पुलिस की पिस्टल छीन कर उन पर हमला करके भाग जाते तो पुलिस पर कैसे-कैसे आरोप लगते, इसका अंदाज़ा आप लगा सकते हैं।

शुक्रवार को हुई मुठभेड़ के बाद देशभर में तेलंगाना पुलिस को जिस तरह से समर्थन मिला उस समर्थन की वजह जाने-माने लोक अभियोजक (सरकारी वकील) उज्जवल निकम के जबाव में छिपी है। उज्जवल निकम ने बताया कि पुणे में लड़की की बलात्कार के बाद हत्या के केस में दोषी को सुप्रीम कोर्ट से मौत की सजा मिली, राष्ट्रपति ने उसकी दया याचिका भी खारिज कर दी, इसके बाद भी दो साल तक उसे फांसी पर नहीं लटकाया जा सका। आखिरकार, उसकी सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। ये कोई इकलौता ऐसा केस नहीं है बल्कि, दर्जनों बार ऐसा हुआ है।

मैं आपके सामने एक तथ्य रखता हूं। दिल्ली में हुए निर्भया केस के बाद कड़े बलात्कार विरोधी कानून बनाए गए थे। लेकिन कड़े कानून बनने के बाद भी पूरे भारत में लगभग चार लाख बलात्कार के मामले सामने आए। कुछ मामलों में न्याय तो मिला लेकिन बलात्कार के अधिकांश मामले अभी भी अदालतों में लंबित हैं। 

चूंकि न्याय मिलने में काफी देरी होती है इससे लोगों का न्याय के प्रति या न्याय प्रणाली के प्रति भरोसा कम होने लगता है। ऐसी स्थिति में आम जनता हर उस शख्स को या हर उस संस्था का समर्थन करती है, जो अपराधियों को सबक सिखाए। शुक्रवार सुबह हैदराबाद में ठीक यही हुआ।

हैदराबाद के इस मुठभेड़ को जिस तरह से आम जनता का समर्थन मिला, यह कानून बनाने वालों के लिए एक चेतावनी है। लोग न्याय के लिए अपना धैर्य खो रहे हैं। यह जनता के सब्र के टूटने का सबूत है। साथ ही यह न्यायपालिका के लिए एक सबक भी है। अगर अब भी नहीं चेते तो बहुत देर हो जाएगी।

अगर हमें अपराध पर लगाम लगानी है, अपराधियों के मन में खौफ पैदा करना है और अपनी बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है तो सबसे जरूरी ये है कि न्यायिक प्रक्रिया की गति को तेज किया जाए। अदालतों में जल्दी फैसला हो और अपराधी को जल्दी से जल्दी सजा दी जाए। ऐसे अपराधियों के लिए दया याचिका की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। (रजत शर्मा)

देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 6 दिसंबर 2019 का पूरा एपिसोड

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