अभी सर्दी का मौसम नहीं आया है और अक्टूबर के दो हफ्ते भी पूरे नहीं बीते हैं लेकिन दिल्ली में लोगों का दम घुटना शुरू हो गया है। इंडिया टीवी ने शुक्रवार को हरियाणा और पंजाब के विभिन्न इलाकों में जाकर ग्राउंड रियलिटी चेक की तो पता चला कि किसानों ने अपने खेतों में पराली जलाना शुरू कर दिया है। इससे बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण हो रहा है। पराली जलाने से उठनेवाला धुआं अंतत: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा। ऐसा किसानों के बीच जागरूकता की कमी की वजह से हो रहा है जो कि धान की फसल तैयार होने के बाद इस जल्दबाजी में पराली जला रहे हैं ताकि रबी सीजन के लिए खेतों को तैयार कर बुवाई कर सकें। पंजाब और हरियाणा के गांवों में कुछ मामलों में पंचायतों ने किसानों को पराली जलाने की इजाजत दी है और कुछ अन्य मामलों में किसानों को चेतावनी दी गई है कि वे पराली को जलाने के बजाय कलेक्टर ऑफिस के सामने जमा करें।
किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है अन्यथा एक बार फिर पिछले साल जैसी स्थिति हो जाएगी जब जाड़े की शुरुआत में ही धुएं के गुबार ने पूरी दिल्ली को ढंक लिया था। किसानों का कहना है कि वे पराली काटने और उसके निस्तारण के लिए परिवहन का खर्च नहीं उठा सकते इसलिए इन्हें जलाना ही उनके लिए एकमात्र रास्ता बचता है।
इस समस्या के समाधान के तीन रास्ते हैं। पहला, कृषि वैज्ञानिकों ने जो डिकम्पोस्ट तैयार किया है अगर इसे पाराली के साथ मिला दिया जाए तो पराली खेत में ही डिकम्पोज हो जाएगी। इससे खेत की पैदावार बढ़ेगी और पराली को काटने का खर्च भी नहीं आएगा। मुश्किल ये है कि इस डिकम्पोस्ट के बारे में न तो किसानों को ज्यादा जानकारी है और न ही ये उपलब्ध है। इसलिए इसका उत्पादन बढ़ाने और किसानों को इसके बारे में जागरूक करने की जरूरत है। अगर यह किसानों को मुफ्त में दिया जाए तो पराली की समस्या का काफी हद तक निपटारा हो सकता है।
दूसरा रास्ता ये है कि सरकार पराली को भी फसल की तरह एक निश्चित कीमत पर खरीदे, जिससे किसानों की पराली काटने और उसके परिवहन की लागत निकल आए। इस पराली से रस्सिय़ां बनाई जा सकती हैं और ये काम कुछ किसान कर रहे हैं।
तीसरा विकल्प जिसका जिक्र केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी 'आप की अदालत' शो में भी कर चुके हैं कि सरकार किसानों से पराली खरीद कर उसका इस्तेमाल इथेनॉल बनाने में कर सकती है। इथेनॉल का इस्तेमाल बायो-फ्यूल के रूप में किया जा सकता है।
समय बेहद कम है और मेरी केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों से यह अपील है कि जो भी करना है, वे जल्दी करें। किसान लंबा इंतजार नहीं कर सकते। सालों से किसान अपने खेत में पराली जलाते रहे हैं और इन खेतों से उठनेवाला धुआं दिल्ली के वायु की गुणवत्ता को नष्ट कर देता है। ऐसे में अस्थमा के मामले तेजी से बढ़ते हैं और राजधानी में रहनेवाले बूढ़े और बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। हमें अब और समय नहीं गंवाते हुए इसपर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। (रजत शर्मा)