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Rajat Sharma’s Blog: कैसे अफवाहों के चलते दिल्ली के हजारों मजदूर सड़कों पर उतर आए

इंडिया टीवी ने शुक्रवार रात अपने शो 'आज की बात' में दिल्ली के हजारों प्रवासी मजदूरों को यूपी बॉर्डर के पास गाजीपुर में नेशनल हाइवे पर चलते हुए दिखाया था।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated : March 28, 2020 18:07 IST
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India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma | India TV

इंडिया टीवी ने शुक्रवार रात अपने शो 'आज की बात' में दिल्ली के हजारों प्रवासी मजदूरों को यूपी बॉर्डर के पास गाजीपुर में नेशनल हाइवे पर चलते हुए दिखाया था। वे सभी मजदूर अपने घरों तक पहुंचने की जल्दी में थे। इन प्रवासी मजदूरों के बारे में सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि वहां किसी भी तरह की सोशल डिस्टैंसिंग नहीं थी, और सभी समूह बनाकर अपने परिवारों के साथ चल रहे थे। वे आसानी ने खतरनाक महामारी कोरोना वायरस का शिकार हो सकते थे। 

यूपी, बिहार और झारखंड के हजारों प्रवासी मजदूर दिल्ली-एनसीआर में काम करते हैं। लॉकडाउन के लगभग एक सप्ताह बीतने के बाद इन मजदूरों के पास न तो काम है और न पैसा, इसलिए इन्होंने अपने पैतृक स्थानों की तरफ जाने का फैसला किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने अधिकारियों से बात की और उन्हें इन प्रवासी श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था करने को कहा। उन्होंने महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों से भी बात की, जहां बड़ी संख्या में यूपी के प्रवासी मजदूर रहते हैं, और उनसे उनके भोजन और आवास की व्यवस्था करने का अनुरोध किया। उन्होंने वादा किया कि उत्तर प्रदेश सरकार उनके खर्चों का भुगतान करेगी। 

ऐसी खबरें सामने आई थीं कि व्हाट्सएप पर चली अफवाहों ने इन प्रवासी कामगारों के अचानक सड़क पर निकलने में अहम भूमिका निभाई है। अफवाहें फैलाई गईं कि आनंद विहार, लाल कुआं और अन्य स्थानों पर बसें उपलब्ध हैं, जो कि सच नहीं था। उस समय तक हजारों मजदूर अपने परिवारों के साथ सड़कों पर पैदल ही आगे बढ़ रहे थे। दिल्ली और यूपी, दोनों ही सरकारों ने माना है कि व्हाट्सएप पर फैली अफवाहों के चलते ही ये मजदूर अपने घरों से बाहर निकल आए।

21 दिन के लॉकडाउन के दौरान घर पर रहने का मन बना लेने वाले मजदूर भी इन अफवाहों का शिकार हो गए। उन्होंने सोचा कि चूंकि बसें उपलब्ध हैं, इसलिए वे अपने परिवार के साथ अपने पैतृक स्थानों तक पहुंच जाएंगे। आर्मचेयर एक्सपर्ट्स के लिए यह कहना आसान है कि सरकार को उसी तरह इन मजदूरों के लिए बसों की व्यवस्था करनी चाहिए थी, जिस तरह विदेशों से भारतीयों को लाने के लिए विमानों को लगाया गया था। दरअसल, विमानों से आने वाले भारतीयों की संख्या सीमित थी और बेहद सावधानी के साथ इसकी तसल्ली की गई थी कि वायरस न फैले।

बसों के अंदर बैठने वाले हजारों मजदूरों के साथ क्या किया जा सकता है?  क्या यहां सोशल डिस्टैंसिंग संभव है? यदि लोग अपने गांव गए और अन्य लोगों को भी संक्रमित कर दिया, तो क्या यह इस वायरस के भयानक रूप से फैलने का जरिया नहीं बन जाएगा? 1.3 अरब लोगों के देश में इतने बड़े पैमाने पर लॉकडाउन करने से निश्चित तौर पर हजारों लोगों के लिए दिक्कतें पैदा होंगी। किसी ने लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग खुशी-खुशी नहीं चुना है। दरअसल, इस खतरनाक वायरस को फैलने से रोकने के लिए कोई अन्य विकल्प ही नहीं है।

इसका श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है कि उन्होंने अपने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि लॉकडाउन के मुख्य उद्देश्य पर कोई असर न पड़े। उसी समय उन्होंने अपने अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि इन प्रवासी मजदूरों को मंदिरों, गुरुद्वारों और धर्मशालाओं में तब तक रखा जाए और उनके खाने-पीने की व्यवस्था की जाए जब तक कि लॉकडाउन की अवधि खत्म नहीं हो जाती। योगी ने कहा है कि गरीब मजदूर उनके भाई हैं, उन्हें भोजन और रहने की जगह दी जानी चाहिए, लेकिन उन्हें लॉकडाउन दिशा-निर्देशों का भी पालन करना चाहिए ताकि महामारी न फैले।

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं कि यह लॉकडाउन सफल हो। जहां आवश्यक है वहां छूट दी जा रही है। वह सभी राज्य सरकारों के संपर्क में हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्थिति से निपट रहे हैं और उनके प्रयासों की प्रशंसा की जानी चाहिए। भारत में अधिकांश लोग लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं और अपने घरों के अंदर ही रह रहे हैं। वे साफ-साफ पीएम मोदी की 'लक्ष्मण रेखा' का पालन कर रहे हैं।

लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो मासूम हैं, और जो आसानी से आधारहीन अफवाहों का शिकार हो जाते हैं। कुछ लोग हीरोगिरी दिखाने के चक्कर में और कुछ लोग मजबूरी में घर से निकल कर सड़क पर आ रहे हैं, लेकिन वे अपने जीवन के साथ-साथ दूसरों के जीवन को भी खतरे में डाल रहे हैं। उन्हें रोकने की जरूरत है। हजारों की तो बात ही छोड़िए, एक व्यक्ति द्वारा की गई गलती सैकड़ों और हजारों लोगों के जीवन को जोखिम में डाल सकती है। कुछ लोगों के द्वारा की गई गलती 1.3 अरब लोगों को नुकसान पहुंचा सकती है।

मैं फिर से आप सभी से अपील करता हूं: घर में रहें, सुरक्षित रहें। यदि आपको किसी भी तरह की दिक्कत होती है तो अपनी स्थानीय पुलिस और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क करें, वे आपकी मदद करेंगे। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 26 मार्च, 2020 का पूरा एपिसोड

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