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RAJAT SHARMA BLOG: अफवाहों ने यूपी के कासगंज में सांप्रदायिक तनाव को कैसे भड़का दिया

मैं यहां जिक्र करना चाहूंगा कि सोशल मीडिया का कितना खराब इस्तेमाल हो सकता है और कैसे आग लगाई जा सकती है, कासगंज की हिंसा इसका सबूत है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: January 30, 2018 19:21 IST
Rajat Sharma blog- India TV Hindi
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उत्तर प्रदेश के कासगंज शहर के एक छोटे से मोहल्ले में 26 जनवरी दोपहर मुस्लिमों का एक समूह राष्ट्रीय ध्वज फहराने की तैयारी कर रहा था। ठीक उसी समय तिरंगा रैली लेकर निकले बाइक सवार नौजवानों का एक समूह वहां पहुंचा जो कि उस इलाके से गुजरना चाहता था। दोनों पक्षों के बीच  बहस के बाद भीड़ में शामिल किसी युवक ने चंदन गुप्ता को गोली मार दी। गोली लगने से घायल चंदन ने दम तोड़ दिया। देखते ही देखते पूरे कस्बे में अशांति फैल गई, गाड़ियों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। स्थानीय पुलिस ने कार्रवाई में देरी की जिसके चलते हालात बिगड़ते गए। अगले दिन इलाके में एक स्थानीय नेता औया और चंदन के अंतिम संस्कार के बाद आगजनी की कई घटनाएं हुईं। बाद में हालात को नियंत्रित किया गया।

इस बीच सोशल मीडिया पर तरह-तरह की खबरें आने लगीं। मैं यहां जिक्र करना चाहूंगा कि सोशल मीडिया का कितना खराब इस्तेमाल हो सकता है और कैसे आग लगाई जा सकती है, कासगंज की हिंसा इसका सबूत है। तस्वीरों से छेड़छाड़ करके और फर्जी ऑडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर डाला गया, जिससे पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अफवाहों का बाजार गर्म हो गया। लोगों को भड़काने के लिए एक अफवाह यह उड़ाई गई कि कुछ लोगों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। बाद में यह पाया गया कि यह ऑडियो वहां के वीडियो  पर सुपरइंपोज किए गए, फिर इन वीडियो को सोशल मीडिया के जरिए वायरल किय़ा गया। लोग भड़क गए और आग लग गई। फिर राहुल उपाध्याय नाम के एक युवक के खून से लथपथ फोटो को सोशल मीडिया पर वायरल कर उसे मृत बता दिया गया जबकि वह शख्स अच्छा-खासा अपने घर में था। 

 
सोमवार को स्थानीय पुलिस ने राहुल को मीडिया के सामने पेश किया। राहुल ने कहा कि वह अपने गांव में था और गणतंत्र दिवस पर वह कासगंज नहीं गया था। इससे एक और झूठ का खुलासा हो गया। लेकिन इस हिंसा और आगजनी के चलते आम जनता को हुए नुकसान पर हमें सोचना चाहिए। 
 
यह पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया के जरिए झूठ को फैलाया गया। मुझे याद है कि कैसे कुछ साल पहले सोशल मीडिया पर फैलाए गए इस अफवाह के बाद कि नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को छोड़ा नहीं जाएगा, लोग दहशत में आकर ट्रेन, बस और विमानों के जरिए बेंगलुरु शहर को छोड़कर जाने लगे थे। जो लोग हमारे समाज को बांटना चाहते हैं वे भ्रम और नफरत के बीज बोने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए सावधान रहने की जरूरत है।

कासगंज पुलिस ने यह वादा किया है कि वह उनलोगों को गिरफ्तार करेगी जो इस तरह से गलत वीडियो सोशल मीडिया पर फैला रहे हैं। मेरी आपसे अपील है कि सतर्क रहिए। सोशल मीडिया पर चल रहे प्रत्येक वीडियो पर भरोसा करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इसमें कितना झूठ है और कितना सच.. ये किसी को नहीं पता। (रजत शर्मा)

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