प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अपनी सरकार द्वारा पिछले 55 महीनों में किए गए कामों पर संसद में एक विस्तृत रिपोर्ट दी। अपनी सरकार की इस रिपोर्ट को पेश करते हुए उन्होंने विपक्षी दलों द्वारा बेरोजगारी, कृषि संकट और राफेल सौदे जैसे मुद्दों पर लगाए गए हर बड़े आरोप का बेबाकी से जवाब दिया। लोकसभा में अपने 110 मिनट के उत्तर में मोदी ने अपने शासन के 55 महीनों की तुलना कांग्रेस द्वारा 55 साल के शासन के साथ करते हुए दोनों का तुलनात्मक मूल्यांकन किया।
मोदी का यह भाषण उनके उस एजेंडे का हिस्सा लगता है जिसे वह पूरे देश में अपने चुनाव प्रचार अभियान के लिए सेट करने जा रहे हैं। आज छत्तीसगढ़ से उनके प्रचार अभियान की शुरुआत भी हो जाएगी। 55 महीने के एनडीए शासन के साथ कांग्रेस शासन के 55 वर्षों के अपने तुलनात्मक अध्ययन में मोदी ने रेलवे, हाईवे, रोजगार, किसान कल्याण, मुद्रा बैंक ऋण, स्वच्छता अभियान, विद्युतीकरण, एलपीजी कनेक्शन आदि से संबंधित तथ्यों और आंकड़ों का हवाला दिया।
मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सरकार के मजबूत अभियान को जारी रखने की भी कसम खाई। उन्होंने बताया कि कैसे लगभग 3 लाख 'बेनामी' कंपनियों का पता लगाया गया और उन्हें बंद कर दिया गया, और कैसे बेइमानी से कमाए गए पैसे से अर्जित 'बेनामी' संपत्तियों को जब्त कर लिया गया। अपने भाषण के अंत में दृढ़निश्चयी दिख रहे मोदी ने जोर देकर कहा कि भ्रष्ट और लुटेरों को उनसे डरना ही होगा क्योंकि वह किसी को नहीं बख्शेंगे।
विपक्ष के इस आरोप का जवाब देते हुए कि उनकी सरकार ने CBI, न्यायपालिका, चुनाव आयोग और सेना जैसे संस्थानों को कमजोर कर दिया है, मोदी ने पलटवार करते हुए पूछा कि वह कौन था जिसने तख्तापलट की कोशिश की बेबुनियाद रिपोर्ट लगाकर सेना को बदनाम किया था। उन्होंने सवाल किया कि किस शख्स ने सार्वजनिक रूप से अपनी ही पार्टी की सरकार के कैबिनेट रिजॉल्यूशन को फाड़कर फेंक दिया था।
मोदी ने पूछा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर सवाल उठाकर चुनाव आयोग को कमजोर करने की कोशिश किसने की थी। उन्होंने यह भी पूछा कि किस पार्टी ने राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस के जरिए भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस को हटाने की साजिश रची थी। उन्होंने यह भी पूछा कि किस पार्टी के नेता ने सेना प्रमुख को सड़क का गुंडा कहा था।
मोदी ने विपक्ष के इस आरोप का भी जवाब दिया कि उनकी सरकार ने विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे पब्लिक के पैसों के लूटेरों को भारत से भागने दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पहले ही इन आर्थिक भगोड़ों के प्रत्यर्पण के उपाय कर लिए हैं और उनकी संपत्तियों को जब्त करना शुरू कर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि लगभग 20,000 गैर-सरकारी संगठनों, जिन्हें विदेश से बेहिसाब पैसे मिल रहे थे, को उनकी सरकार के कठोर नीतिगत उपायों के कारण अपना कामकाज बंद करना पड़ा।
प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों के महागठबंधन को महामिलावट करार दिया। उन्होंने इसे राजनीतिक दलों का एक ऐसा गठबंधन बताया जिनके नेताओं के विचार प्रमुख नीतिगत मुद्दों पर आपस में ही नहीं मिलते और अधिकांश के मन में प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पलती रहती है। इसमें शक की गुंजाइश ही नहीं है कि भाजपा के कार्यकर्ता प्रधानमंत्री के इस बेबाक भाषण का इस्तेमाल पूरे उत्साह के साथ पार्टी के चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आने वाले लोकसभा चुनावों से पहले मोदी का संदेश हर घर तक पहुंचे। (रजत शर्मा)
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