फिल्म स्टार सलमान खान को काले हिरण शिकार मामले में जोधपुर कोर्ट द्वारा 5 साल की सजा सुनाए जाने के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक स्थानीय न्यूज चैनल से कहा कि सलमान को इसलिए सजा मिली क्योंकि वह अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। ख्वाजा आसिफ यहां तक कह गए कि 'अगर सलमान खान भारत में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के धर्म के होते तो उन्हें सजा नहीं सुनाई गई होती और अदालत का रुख उनके प्रति नरम होता।' आसिफ ने यह भी आरोप लगाया कि, (यह) दर्शाता है कि भारत में मुस्लिमों, अस्पृश्यों या ईसाईयों की जिंदगी का कोई मूल्य नहीं है।
ख्वाजा आसिफ ने जो कहा उसे आप मूर्खता मत समझिये। यह भारत के लोगों को हिन्दू, मुसलमान और अन्य समुदायों के नाम पर बांटने की एक सोची समझी साजिश है। यह अल्संख्यकों को भड़काने, उनके बीच अफवाह और झूठ फैलाने की कोशिश का एक हिस्सा है।
ख्वाजा आसिफ पाकिस्तान के एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं। वे यह जरूर जानते होंगे कि शिकार के इस केस में सैफ अली खान और तब्बू भी मुलजिम थे। ये दोनों फिल्म कलाकार मुस्लिम हैं और इन दोनों को उसी अदालत ने बरी किया है जिस अदालत ने सलमान खान को दोषी ठहराया। दूसरी बात, शिकार के दूसरे तीन मामलों में इसी मुल्क की अदालतों ने सलमान को बरी किया है। ये सब बातें ख्वाजा आसिफ को अच्छी तरह मालूम हैं। लेकिन आसिफ का असली मकसद हिन्दुस्तान में समुदायों के बीच नफरत के बीज बोना है, इसलिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री इस तरह की बातें कर रहे हैं।
ख्वाजा आसिफ को यह समझना चाहिए कि हिन्दुस्तान के लोग काफी समझदार और परिपक्व हैं। वे पाकिस्तान के नेताओं की इस चाल को बखूबी समझते हैं । भारत का अल्पसंख्यक समुदाय इस जाल में फंसने वाला नहीं है। उन्हें पाकिस्तान जैसे एकेश्वरवादी राज्य से धर्मनिरपेक्षता पर व्याख्यान की जरूरत नहीं है। (रजत शर्मा)