इंडिया टीवी ने सोमवार रात अपने शो 'आज की बात' में एलओसी (नियंत्रण रेखा) की तरफ कूच करने वाले हजारों प्रदर्शनकारियों के दृश्य दिखाए। यह पाकिस्तानी शासन की तरफ से सीमा पर टकराव की स्थिति पैदा करने के लिए एक हताशा भरी कोशिश के सिवा कुछ नहीं है। प्रधानमंत्री इमरान खान सहित पाकिस्तान के ज्यादातर राजनेता पिछले कई दिनों से एलओसी की ओर मार्च करने के लिए इन 'जिहादी' प्रदर्शनकारियों को उकसा रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन पाने में विफल रहने के बाद पाकिस्तान ने अब एलओसी के पास हिंसा और तनाव भड़काना शुरू कर दिया है। वह इसलिए क्योंकि भारतीय सुरक्षाबलों की अत्यधिक सतर्कता के कारण पाकिस्तानी सेना आतंकियों की घुसपैठ कराने में विफल रही है।
पिछले तीन दिनों में अबतक पाकिस्तान के राजनेता महज तीन से चार हजार प्रदर्शनकारियों को ही एलओसी की तरफ कूच करने के लिए जुटा पाए हैं। उन्हें उम्मीद थी कि लाखों की तादाद में प्रदर्शनकारी एलओसी की तरफ कूच करने के लिए आएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सबसे पहले लोगों से कश्मीर की तरफ कूच करने का आह्वान किया था। लेकिन उन्होंने बाद में पैंतरा बदलते हुए लोगों से अपील की थी कि वे अभी एलओसी की तरफ कूच न करें।
उस समय इमरान खान ने प्रदर्शनकारियों से कहा था कि वे संयुक्त राष्ट्र महासभा से उनके लौटने तक इंतजार करें। लेकिन इस दौरे से खाली हाथ लौटने के बाद इमरान खान ने समर्थकों से फिर कहा कि वे अपने मार्च को आगे बढ़ाएं।
पाकिस्तानी नेतृत्व ने उम्मीद की थी कि लाखों लोग इस मार्च में उनका साथ देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। केवल कुछ हजार प्रदर्शनकारी ही जुट पाए और एलओसी के निकट भिंबर गली से अपने मार्च की शुरुआत की। यह काफिला पाक कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद तक पहुंचा जहां लोगों की संख्या और कम हो गई। प्रदर्शनकारी अब नियंत्रण रेखा के निकट चकोटी तक पहुंच चुके हैं।
पाकिस्तान की सरकार भी जानती है कि इस तरह सीमा पार करके दूसरे देश में घुसना अंतरराष्ट्रीय कानून के हिसाब से गंभीर गुनाह है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय मीडिया की आंखों में धूल झोंकने के लिए पाकिस्तान सरकार ने रास्ते में पुलिस को तैनात कर दिया। पुलिस सड़कों पर कंटेनर लगाकर इन लोगों को आगे बढ़ने से रोकने का ड्रामा कर रही है।
यह एक चाल के सिवा कुछ भी नहीं है, क्योंकि पाकिस्तानी सेना चाहती है कि इस विरोध मार्च में संख्याबल बढ़ जाए, ताकि खास तौर से उन चौकियों के पास हिंसा को भड़काया जा सके, जहां कई महीनों से सीमा पार से गोलीबारी हो रही है।
नियंत्रण रेखा की तरफ मार्च कर रहे लोगों में ज्यादातर पाकिस्तान के गांव-देहात के लोग हैं, लेकिन इन लोगों को भड़काने के लिए पाकिस्तान की सरकार ने कई रिंग लीडर्स को लगा रखा है। रिंग लीडर्स बार-बार लोगों को आगे की तरफ धकेलते हुए नजर आए। वे कह रहे थे कि कुछ भी हो जाए, पीछे मत लौटना। लेकिन अधिकांश प्रदर्शनकारी आगे नहीं जा रहे। पाकिस्तान के अधिकारियों ने पूरी तरह से उन्हें उनके भाग्य पर छोड़ रखा है।
इंडिया टीवी ने कई प्रदर्शनकारियों को दिखाया जो पाकिस्तानी सेना और वहां के राजनेताओं की निंदा कर रहे थे। इन लोगों से कहा गया था कि आगे हजारों लोग साथ मिलेंगे। भोजन और पानी के साथ ही रहने का इंतजाम भी होगा और उन्हें किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी। लेकिन अब इन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनके साथ धोखा हुआ है। इंडिया टीवी पर कम से कम दो प्रदर्शनकारियों ने कहा कि चकोटी, मुजफ्फराबाद और अन्य स्थानों के कस्बों के अधिकांश बाज़ारों को जल्दबाजी में बंद कर दिया गया, ताकि वे भोजन से वंचित रह सकें। उनमें से एक ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान की हुकूमत उन्हें कब्रिस्तान में छोड़कर भाग गई।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने इस समय दो बड़ी चुनौतियां हैं: पहली तो ये कि पाकिस्तानी आवाम के सामने अपनी सरकार के प्रति भरोसा कैसे बनाए रखा जाए और दूसरी चुनौती है कि फौज के साथ कैसे तालमेल बनाए रखा जाए।
इमरान ने पहले ही कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने में अपनी विफलता को स्वीकार कर लिया है, और अब अपने लोगों को उकसाकर इस मुद्दे को जीवित रखने पर तुले हुए हैं। इमरान खान को पता है कि कश्मीर का मुद्दा खत्म होते ही उनके भी दिन गिनती के रह जाएंगे।
प्रदर्शनकारियों के छद्म वेष में निर्दोष नागरिकों को नियंत्रण रेखा की ओर भेजना एक परेशान प्रधानमंत्री का आखिरी प्रयास है। जब लोगों को पता लगेगा कि सरहद पर पाकिस्तानी आवाम को भेजकर इमरान खान अपने मुल्क के लोगों की जान खतरे में डाल रहे हैं, तो इमरान खान को ये दांव भी उल्टा पड़ेगा। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 07 अक्टूबर 2019 का पूरा एपिसोड