केंद्र ने कोरोना वायरस से प्रभावित इलाकों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटते हुए शुक्रवार को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को 4 मई से और 2 सप्ताह के लिए बढ़ा दिया। 319 ग्रीन जोन जिलों में, जहां पिछले 21 दिनों से कोरोना वायरस से संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आया है, राज्य सरकारों को सामान्य हालात बहाल करने की इजाजत दे दी गई है। यहां टैक्सी, ऑटो, रिक्शा और बसों (50 प्रतिशत सवारियों की क्षमता पर) को भी चलाने की इजाजत दे दी जाएगी।
ग्रीन जोन में देश भर में प्रतिबंधित कुछ गतिविधियों को छोड़कर सभी तरह की गतिविधियों की इजाजत दी जाएगी। जैसे कि ग्रीन जोन में भी बाकी देश की तरह प्लेन, रेल, मेट्रो या सड़क मार्ग से एक राज्य से दूसरे राज्य में आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी। साथ ही यहां शिक्षण संस्थान और कोचिंग सेंटर, सिनेमा हॉल, मॉल, जिम, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के साथ-साथ सभी सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सभाओं पर भी पाबंदी जारी रहेगी। चुनिंदा उद्देश्यों के लिए राज्यों के बीच हवाई, रेल और सड़क के रास्ते मूवमेंट की अनुमति दी जाएगी।
ग्रीन जोन में कड़ाई से सोशल डिस्टेंसिंग के नियम लागू करने की शर्त पर शराब की दुकानों के साथ-साथ तंबाकू और पान की दुकानों को भी खोलने की इजाजत दे दी जाएगी। हालांकि, सार्वजनिक स्थानों पर पान, गुटखा, तंबाकू और शराब के सेवन पर प्रतिबंध रहेगा। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, दोनों के ही कर्मचारियों के लिए मास्क का इस्तेमाल और आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है।
284 ऑरेंज जोन जिलों में, जहां पिछले 14 दिनों में कोई नया मामला सामने नहीं आया है, टैक्सी और कैब एग्रीगेटर्स को केवल एक ड्राइवर और 2 यात्रियों को बैठाने की इजाजत होगी। इस जोन में सिर्फ जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों और गाड़ियों को दूसरे जिलों में आने-जाने की इजाजत होगी। ई-कॉमर्स कंपनियां ऑरेंज और ग्रीन जोन में जरूरी और गैर-जरूरी, दोनों ही तरह की वस्तुओं की डिलिवरी शुरू कर सकती हैं, लेकिन रेड जोन में नहीं। तीनों ही जोनों में ऑल गुड्स ट्रैफिक की इजाजत दी गई है, और किसी भी राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश की सरकार पड़ोसी देशों के साथ सीमा पार व्यापार के लिए कार्गो की आवाजाही को नहीं रोकेगी।
130 रेड ज़ोन जिलों में सबसे कड़े प्रतिबंध लागू किए जाएंगे, जहां कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों की संख्या अभी भी बढ़ रही है। ड्राइवर और घर के काम करने वाले सुबह 7 बजे से लेकर शाम के 7 बजे तक अपने कार्यक्षेत्र में काम करने के लिए यात्रा कर सकते हैं, हालांकि कंटेनमेंट एरिया (हॉट स्पॉट) में यह छूट नहीं रहेगी। रेड ज़ोन में नाई की दुकानें, स्पा और सैलून बंद रहेंगे, हालांकि ऑरेंज और ग्रीन जोन में इनके ऊपर पाबंदी नहीं है। शहरी इलाकों के रेड जोन में एसईजेड और ईओयू के तहत आने वाले औद्योगिक प्रतिष्ठान, जरूरी वस्तुओं के निर्माण और आईटी हार्डवेयर से जुड़ी कंपनियां अपना काम स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के तहत शुरू कर सकती हैं।
10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को उनके घरों से बाहर जाने पर रोक जारी रहेगी। रेड ज़ोन जिलों में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को तेज किया जाएगा, डोर-टू-डोर टेस्टिंग की जाएगी। रेड जोन में रहने वाले लोगों को अपने मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना जरूरी होगा किसी भी ऑटो, टैक्सी, कैब या बस को रेड जोन में जाने की इजाजत नहीं होगी। साफ है कि 4 मई के बाद आम लोगों का जीवन बहुत बदल जाएगा। एक तरफ, हमें अपने आप को और अपने समुदाय को वायरस के प्रसार से बचाना होगा, और दूसरी तरफ, सरकार को आर्थिक गतिविधियों की इजाजत देनी जरूरी है ताकि विकास और कारोबार की गाड़ी बढ़ सके। मुझे एक चीज और साफ करने दें: जश्न मनाने का वक्त अभी भी नहीं आया है।
आज पूरी दुनिया देख रही है कि भारत COVID-19 महामारी से कैसे निपट रहा है। 135 करोड़ लोगों के देश में वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन हमारे कोरोना योद्धाओं ने पूरी सफलता से ऐसा होने नहीं दिया है। पश्चिम में ताकतवर और आर्थिक रूप से विकसित देश कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने में नाकाम रहे, और उनमें से कई देशों में मौतों के आंकड़े 5 अंकों में पहुंच गए हैं और बढ़ते ही जा रहे हैं।
कुछ लोगों ने तो यहां तक कह दिया था कि इस वायरस की चपेट में लगभग 20 करोड़ भारतीय आएंगे और मरने वालों की संख्या लाखों में होगी। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि लाशों की संख्या गिनना मुश्किल हो जाएगा। मैंने पश्चिमी मीडिया में इस बारे में रिपोर्ट पढ़ी है कि कैसे भारत के लिए अपनी विशाल झुग्गियों, अनपढ़ लोगों, लचर बुनियादी सुविधाओं और खराब सोशल हाइजीन के साथ महामारी से निपटना मुश्किल होगा।
भारत के लोगों ने इस चुनौती का बहुत ही अच्छी तरह सामना किया है। उन्होंने न केवल दूरदराज के गांवों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को लागू किया, बल्कि अपने स्कूल की बिल्डिंग में क्वारन्टीन सेंटर की व्यवस्था भी देख रहे हैं। हमें महामारी के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के लिए, जो उम्मीद है कि रेड जोन (हॉटस्पॉट) में अपने अंतिम चरण में है, और 2 हफ्ते के लॉकडाउन की जरूरत है। यदि हम दिशा-निर्देशों और प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करते हैं, तो हम महामारी को प्रभावी ढंग से रोक सकते हैं। पूरी दुनिया इस काम के लिए भारत की तारीफ करेगी। मैं फिर से दोहरा रहा हूं: खतरा अभी भी टला नहीं है। हम इस लड़ाई को दृढ़ निश्चय के साथ मिलकर लड़ेंगे तो जीत हमारी ही होगी।
शुक्रवार को एक अच्छी खबर आई, जब रेलवे ने प्रवासी मजदूरों को उनके मूल राज्यों में ले जाने के लिए 6 'श्रमिक स्पेशल' ट्रेनें चलाने का फैसला किया। पहली ट्रेन लिंगमपल्ली (हैदराबाद) से हटिया (झारखंड) के लिए शुरू हुई, और दूसरी अलुवा (केरल) से भुवनेश्वर (ओडिशा) के लिए रवाना हुई। प्रवासी मजदूरों के लिए नासिक से भोपाल, जयपुर से पटना, कोटा से हटिया और नासिक से लखनऊ (पुनर्निर्धारित) तक ट्रेनें चलाने की प्लानिंग की गई है।
रेलवे ने साफ किया है कि ये विशेष ट्रेनें आम यात्रियों के लिए नहीं हैं। राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों की पहचान करेंगी और रेलवे को उनकी डीटेल देंगी, इसके बाद टिकट जारी किए जाएंगे। 72 बर्थ वाले एक स्लीपर कोच में केवल 54 यात्री यात्रा कर सकेंगे, और रेलवे सुरक्षा बल के कर्मचारी यह सुनिश्चित करेंगे कि यात्रियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे। राज्य सरकारें प्रवासियों को बसों में रेलवे स्टेशनों तक लाएंगी, उनकी जांच की जाएगी और उन्हें मास्क और सैनिटाइजर दिए जाएंगे।
लिंगमपल्ली (हैदराबाद) स्टेशन पर, स्पेशल ट्रेन में बैठे प्रवासी मजदूरों और उनके परिजनों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। ये मजदूर पिछले 40 दिनों से घर जाने का इंतजार कर रहे थे क्योंकि उनके पास कोई काम नहीं था और न ही उनके पास आय का कोई स्रोत था। केंद्र को प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं के बारे में पता था, लेकिन यदि उन्हें यात्रा करने की इजाजत दे दी जाती तो वायरस के फैलने का खतरा था। लॉकडाउन को 2 सप्ताह के लिए और बढ़ा देने के बाद इन मजदूरों के अशांत होने की संभावना थी। अपने गृह राज्यों में पहुंचने पर इन मजदूरों को अपने घर जाने से पहले 2 सप्ताह के लिए क्वॉरन्टीन में रहना होगा।
रेल मंत्री पीयूष गोयल के लिए इन प्रवासी कामगारों को उनके गृह राज्यों तक भेजना आसान नहीं रहने वाला है। इस समय दूसरे राज्यों में उत्तर प्रदेश के 60 से 70 लाख मजदूर काम करते हैं। विभिन्न राज्यों में मध्य प्रदेश के लगभग 50 लाख प्रवासी कामगार हैं। अन्य राज्यों में लगभग 42 से 45 लाख अन्य प्रवासी कामगार हैं। प्रवासियों की कुल संख्या 4 से 5 करोड़ तक पहुंच सकती है, और अच्छी तरह स्क्रीनिंग एवं सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित करते हुए इन लोगों को स्पेशल ट्रेनों के जरिए गंतव्य तक पहुंचाना एक बहुत बड़ा काम है। हाल के दिनों में हमने भारत में अपनी सरकार को कठिन लक्ष्य हासिल करते हुए और बड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए देखा है। मुझे यकीन है कि रेलवे इस काम को भी शानदार तरीके से अंजाम देगी। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 01 मई 2020 का पूरा एपिसोड