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Rajat Sharma’s Blog: किस तरह मोदी और शी ने भारत-चीन संबंधों को एक नई ऊंचाई दी

दोनों नेताओं ने जिस सहजता के साथ मुलाकात की, घूमे और बात की उससे साफ संकेत मिलता है कि भारत-चीन संबंध एक नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं।

Edited by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: October 12, 2019 15:51 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma | India TV- India TV Hindi
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma | India TV

शुक्रवार को चेन्नई के पास स्थित महाबलीपुरम में समुद्र के किनारे पर उस समय इतिहास लिखा गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी की और उनके साथ सकारात्मक माहौल में द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की। ऐतिहासिक शोर मंदिर के पास दोनों नेताओं ने एकांत में साथ-साथ रात्रिभोज किया। इस रात्रिभोज के लिए एक घंटे का समय निर्धारित किया गया था, लेकिन यह ढाई घंटों तक खिंच गया। इस दौरान दोनों नेताओं ने विकास को लेकर अपने-अपने विजन साझा किए और व्यापार एवं आतंकवाद से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।

विदेश सचिव विजय गोखले के मुताबिक, मोदी ने शी से कहा कि उनको मिला नया जनादेश आर्थिक विकास के लिए है, जिसके जवाब में चीनी नेता ने कहा कि वह भारतीय पीएम के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं। गोखले ने कहा कि सकारात्मक माहौल और पर्सनल केमिस्ट्री से दोनों नेताओं के बीच का ‘आपसी तालमेल’ नजर आ रहा था। 1,400 साल पुराने मंदिर परिसर की पृष्ठभूमि में खूबसूरत माहौल के बीच मोदी ने सफेद शर्ट और वेष्टि पहनी थी, जिसने तमिलनाडु की जनता को एक मजबूत राजनीतिक संदेश दिया।

शी के नेपाल के लिए रवाना होने से पहले जब शनिवार की सुबह द्विपक्षीय बैठक दोबारा शुरू हुई, तो संकेत साफ थे। भारतीय दूतावास ने शुक्रवार को चीनी नागरिकों के लिए वीजा नियमों में ढील दी और उन्हें सस्ती दरों पर 5 साल के वीजा की अनुमति दी। मोदी-शी के अनौपचारिक शिखर सम्मेलन पर दुनिया की बारीक नजर है, और जो संकेत निकलते हैं वे स्पष्ट हैं। चीन इस समय अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर में उलझा हुआ है, और वह भारत का समर्थन चाहता है। साथ ही भारत की कोशिश है कि चीन अपने ‘सदाबहार दोस्त’ पाकिस्तान से दूर हो जाए।

चीनी नेता की बॉडी लैंग्वेज ने शुक्रवार को स्पष्ट संकेत दिया कि शी आतंकवाद, कश्मीर और सीपीईसी जैसे मुद्दों पर भारत की स्थिति को समझते हैं और भारत-चीन संबंधों को अगले स्तर पर ले जाना चाहते हैं। मोदी और शी दोनों ने भारत-चीन वार्ता की परिभाषा को बदल दिया है। 2014 तक, दोनों देशों के नेताओं के बीच थोड़ी-बहुत बातचीत होती थी, और बेहद ही औपचारिक प्रोटोकॉल देखने को मिलता था। मोदी द्वारा विश्व नेताओं के साथ कूटनीति की अपनी व्यक्तिगत शैली शुरू करने के बाद यह सब बदल गया है।

दोनों नेताओं ने जिस सहजता के साथ मुलाकात की, घूमे और बात की उससे साफ संकेत मिलता है कि भारत-चीन संबंध एक नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। कभी भी शी जिनपिंग ने किसी भी विश्व नेता के साथ इस तरह का व्यवहार और सहजता नहीं दिखाई थी। चाहे वह गुजरात हो, या वुहान या महाबलीपुरम, भारत और चीन ने शांति और दोस्ती के नए दौर की शुरुआत कर दी है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 11 अक्टूबर 2019 का पूरा एपिसोड

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