हिंसाग्रस्त पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन ममता बनर्जी को अपनी रैली में दुर्गा स्तुति श्लोक, अल्ला-हू-अकबर, गॉड इज ग्रेट और बुद्धम शरणम् गच्छामि का जाप करते हुए देख लोग हैरान रह गए। ये सारी चीजें बोलकर ममता केवल यही साबित करना चाहती थीं कि वह सिर्फ मुसलमानों को खुश नहीं कर रहीं। दूसरे शब्दों में, वह अपनी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष साख को दिखा रही थीं।
ममता बनर्जी को डर है कि बंगाली हिंदू तृणमूल कांग्रेस को वोट देने से कतरा सकते हैं, यह देखते हुए कि उनकी पुलिस ने भाजपा समर्थकों को 'जय श्री राम' का नारा लगाते हुए गिरफ्तार किया था। ममता सरकार ने दुर्गा की मूर्ति के विसर्जन के वक्त पर भी पाबंदी लगा दी थी क्योंकि उसका समय मोहर्रम के जुलूसों के साथ टकरा रहा था। इसके अलावा उनकी सरकार ने राम नवमी के जुलूस के लिए इजाजत देने से इनकार कर दिया था।
अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा नेताओं ने सूबे में चुनाव प्रचार के दौरान ममता बनर्जी पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाया था। अमित शाह ने भी जय श्री राम के नारे लगाए थे और चुनौती दी थी कि स्थानीय पुलिस उन्हें गिरफ्तार करके दिखाए। योगी आदित्यनाथ ने भी बंगाल में अपनी सभी रैलियों में जय श्री राम का नारा लगाकर टीएमसी नेताओं को बैकफुट पर डाल दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी भाजपा नेता पड़ोसी बांग्लादेश से आने वाले अवैध मुस्लिम प्रवासियों का मुद्दा उठाते रहे हैं और नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करने का वादा किया है। इस अधिनियम में सभी हिंदू, सिख, बौद्ध और ईसाई प्रवासियों (मुसलमानों को छोड़कर) को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भागकर आए हैं।
वाम मोर्चा और कांग्रेस, दोनों ही अब बंगाल में राजनीतिक परिदृश्य से नदारद हैं और बीजेपी तृणमूल कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी बन गई है। ममता अब बौखला गई हैं क्योंकि उन्हें डर है कि बंगाली हिंदू चुनावों के दौरान बड़ी संख्या में उनका साथ छोड़ सकते हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए ‘गुंडा’, ‘झूठा’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रही हैं। वह अपनी रैलियों में 'चौकीदार चोर है' के नारे लगवा रही हैं।
मैंने पिछले दस सालों में ममता बनर्जी को इतना आक्रामक कभी नहीं देखा। सत्ता में आने से पहले, वह ‘सीपीएम हटाओ, बंगाल बचाओ’ जैसे नारे लगाती थीं। अब उनका नारा है ‘मोदी हटाओ, बंगाल बचाओ’। यह ममता बनर्जी ही थीं जिन्होंने वाम मोर्चे के खिलाफ अकेले लड़ाई लड़ी और 34 साल के निर्बाध शासन के बाद उसे सत्ता से हटा दिया। मुख्यमंत्री के रूप में ममता बनर्जी इन बीते सालों में एक विपक्षी नेता की तरह नारे लगाने से बचती रही हैं। हालांकि, वर्तमान लोकसभा चुनावों के दौरान वह एक विरोधी दल के नेता के रूप में ज्यादा नजर आ रही हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि मोदी से मिलने वाली चुनौती काफी बड़ी है। (रजत शर्मा)
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