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Rajat Sharma's Blog: भारत ने कोरोना वायरस महामारी को कैसे कंट्रोल किया

सभी तरह की अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समय पर किए गए देशव्यापी लॉकडाउन ने भारत में संक्रमण के मामलों को उस संख्या तक पहुंचने से रोक दिया जिसकी आशंका एक महीने पहले जताई जा रही थी।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: April 25, 2020 16:40 IST
Rajat Sharma's Blog: भारत ने कोरोना वायरस महामारी को कैसे कंट्रोल किया- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Rajat Sharma's Blog: भारत ने कोरोना वायरस महामारी को कैसे कंट्रोल किया

अब हम कह सकते हैं कि भारत ने कोरोना वायरस महामारी पर नियंत्रण पा लिया है। देश में इस वायरस के सामुदायिक प्रसार के अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक बड़ा संकट टल गया है। यदि हम एक्सपर्ट्स के आकलन पर गौर करें तो सभी आंकड़े राहत देते हैं। सभी तरह की अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समय पर किए गए देशव्यापी लॉकडाउन ने भारत में संक्रमण के मामलों को उस संख्या तक पहुंचने से रोक दिया जिसकी आशंका एक महीने पहले जताई जा रही थी।

सरकार ने शुक्रवार को कहा कि अभी तक सामने आए 25,000 पॉजिटिव मामलों के साथ स्थिति नियंत्रण में है और इसके दोगुने होने की दर पहले के 3 दिनों के मुकाबले अब 10 दिनों तक पहुंच गई है। नीति आयोग के एक सदस्य ने कहा कि यदि हमने लॉकडाउन लागू करने में देर की होती तो कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों की संख्या अब तक एक लाख को पार कर सकती थी। लॉकडाउन, और उसके पहले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग, निगरानी और राज्य पुलिस के सहयोग से कॉन्टैक्ट्स का पता लगाने के चलते मनमाफिक नतीजे हासिल हुए हैं। सांख्यिकीविदों के अनुसार, भारत में COVID-19 की विकास दर अब 22 प्रतिशत से गिरकर 8 प्रतिशत पर आ गई है। एक्सपर्ट्स ने कहा है कि अगले 2-3 दिनों के भीतर मामलों के दोगुनी होने की दर 10 दिनों से बढ़कर 14 दिनों तक पहुंचने की उम्मीद है।

भारत अब यह दावा करने की हालत में है कि वह इस वायरस को कम्युनिटी लेवल तक फैलने से रोकने में सफल रहा है। शुरुआती दिनों में, संक्रमण के मामलों और मौतों की संख्या कम थी। उस समय इस बात का डर था कि यदि टेस्टिंग बड़े पैमाने पर की गई तो संक्रमितों की संख्या में बड़ा उछाल आ सकता है। अब जबकि 5 लाख से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं, तो कहा जा सकता है कि महामारी अब नियंत्रण में है। हालांकि 5 लाख की संख्या 138 करोड़ लोगों के देश में कुछ भी नहीं है।

मैंने कई एक्सपर्ट्स से बात की और उन्होंने कहा कि महामारी के प्रसार को मापने के लिए सिर्फ टेस्टिंग ही एकमात्र पैमाना नहीं है। उन्होंने कहा कि कई तरह के अन्य पैमाने लागू किए गए थे। उदाहरण के लिए, यह देखा गया कि क्या देश में लोग बड़ी संख्या में सर्दी, खांसी, बुखार और न्यूमोनिया की शिकायत के साथ अस्पतालों और डिस्पेंसरीज में गए थे। इसका जवाब नहीं में मिला। क्या केमिस्ट की दुकानों से आम सर्दी, खांसी और निमोनिया के लिए दवाएं ज्यादा बिकने लगीं? इसका भी जवाब नहीं में था। यह जांच की गई कि क्या आईसीयू में पहुंचने वाले चेस्ट इंफेक्शन के मामलों में उछाल आया था। इसका भी जवाब नहीं में मिला। अस्पतालों के तो कई आईसीयू खाली पड़े हैं।

इस महामारी पर यह कंट्रोल 2 या 3 दिन में नहीं हो गया। इसकी कहानी 30 दिन पहले शुरू हुई थी। 23 मार्च वह महत्वपूर्ण तारीख थी जब कोरोना वायरस के इन्फेक्शन ने अपनी दिशा बदली। शुरुआत में, मामलों की संख्या 3 दिनों में दोगुनी हो रही थी, पर बाद में यह 5 दिनों पर आ गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार ने वक्त रहते बाहर से आने वाली फ्लाइट्स पर पाबंदियां लगानी शुरू कीं और और एयरपोर्ट्स पर सभी यात्रियों के लिए स्क्रीनिंग अनिवार्य कर दी। अंत में, लगभग 9 लाख लोगों को सर्विलांस पर रखा गया।

कोरोना वायरस से लड़ाई में दूसरा मोड़ 6 अप्रैल को आया, जब लॉकडाउन के शुरुआती नतीजे दिखाई देने लगे थे। संक्रमण के मामलों के दोगुनी होने की दर बढ़कर 10 दिन हो गई है। यह लोगों के घरों में रहने और सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखने के चलते हुआ था। तब भी इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि कम्युनिटी स्प्रेड स्टेज तक पहुंचने से वायरस को रोका जा सकता है। ट्रेनें और बसें चलनी बंद हो गईं, दफ्तर और फैक्ट्रियां ठप पड़ गईं। लाखों लोग अपने घरों में ही रहे। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के परिणामों का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों को वक्त चाहिए था। 30 दिन के लॉकडाउन के परिणामों का पूरा आकलन शुक्रवार को सामने आया। विशेषज्ञों ने कहा कि वे अब कह सकते हैं कि महामारी नियंत्रण में है और इसके कम्युनिटी स्प्रेड की संभावना अब कम है।

यहां मैं एक बात खासतौर पर कहना चाहता हूं कि यह उन करोड़ों भारतीयों के पूर्ण सहयोग के बिना नहीं हो सकता था, जो प्रधानमंत्री की अपील को देखते हुए एक हो गए थे। अगर पुलिस ने लॉकडाउन के नियमों को सख्ती से लागू नहीं किया होता तो ऐसा होना संभव नहीं था। डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों ने कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के कॉन्टैक्स का पता लगाने के लिए मिलकर काम किया, उनका टेस्ट किया और स्थानीय लोगों को निगरानी में रखा। यह उन जिलाधिकारियों के सही वक्त पर लिए गए फैसलों के बिना संभव नहीं हो सकता था जिन्होंने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर काम किया।

यदि लॉकडाउन को सख्ती से लागू नहीं किया गया होता, कॉन्टैक्ट्स का पता नहीं लगाया गया होता, टेस्ट नहीं किए गए होते, तो भारत में कोरोना वायरस मामलों की संख्या आसानी से एक लाख को पार कर सकती थी। और कुल आंकड़ा एक लाख तक पहुंच गया होता, तो धरती की कोई भी ताकत इसे 10 या 20 लाख तक बढ़ने से नहीं रोक सकती था। अमेरिका, स्पेन, इटली और फ्रांस का हाल हम देख ही रहे हैं। अस्पतालों में आईसीयू चोक हो गए, जिन मरीजों को इलाज की जरूरत थी वे अस्पतालों के बाहर पड़े थे, वेंटिलेटर कम पड़ गए थे, डॉक्टरों और हेल्थकेयर स्टाफ के पास पहनने के लिए कोई पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) किट नहीं थी और कुछ जगहों पर तो मास्क भी कम पड़ रहे थे।

हमें उन चुनौतियों के बारे में भी समझना चाहिए जो इस दौरान पेश आईं। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि तबलीगी जमात के लोग इतनी बड़ी तादाद में दिल्ली के निज़ामुद्दीन मरकज़ से निकलकर 20 राज्यों तक फैल जाएंगे। जमात की वजह से 40,000 से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग करनी पड़ी। पुलिस और डॉक्टरों के लिए जमातियों और उनके कॉन्टैक्ट्स का पता लगाना एक बेहद ही चुनौती भरा काम था क्योंकि इसमें धार्मिक भावनाएं भी जुड़ी हुई थीं। चूंकि वे सफल हुए, इसलिए हम कह सकते हैं कि भारत अब सुरक्षित है। वक्त पर लॉकडाउन लागू करने के फैसले के चलते अब हम कह सकते हैं कि हम सभी सुरक्षित हैं।

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन एक्सपर्ट्स की सलाह पर लिया गया एक कड़ा फैसला था। इस फैसले के पीछे सावधानीपूर्वक तैयार की गई योजना थी। मैं तो कहूंगा कि भारत की किस्मत अच्छी है कि संकट की इस घड़ी में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, वरना हम भी लाशों के ढेर पर खड़े होते, जैसा कि हमने अमेरिका, इटली और स्पेन में देखा है। इसमें हमारे राज्यों के मुख्यमंत्रियों का योगदान भी कम नहीं है। उनकी सक्रिय भूमिका की वजह से ही हम कह सकते हैं कि महामारी अब नियंत्रण में है।

पूरे देश को एक होकर लॉकडाउन के बोझ को उठाना चाहिए। फिलहाल लोगों को 3 मई तक तकलीफें सहनी होंगी। पूरे देश ने पिछले एक महीने में अपने व्यवहार में परिवर्तन लाया है और कोरोना वायरस के खिलाफ सरकार की जंग को जनता की जंग में बदल दिया। मैं अब बिना किसी संदेह के कह सकता हूं कि यदि हम, भारत के लोग, इस संकट की घड़ी में एकजुट रहे तो निश्चित तौर पर इस महामारी को हरा सकते हैं। (रजत शर्मा)

देखिये, 'आज की बात, रजत शर्मा के साथ', 24 अप्रैल 2020 का एपिसोड

 

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