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Rajat Sharma's Blog: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर सरकारों की अलग-अलग राय

जो उपाय किए जा रहे हैं उन्हें देखकर लगता है कि ये जहर अभी कुछ दिन और पीना पड़ेगा। क्योंकि असली कारण क्या है इसको लेकर सबकी राय अलग-अलग है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: November 16, 2021 15:59 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

पिछले 11 दिनों से दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ चुका है। हवा जहरीली हो चुकी है और दिल्ली वालों की सांसें फूल रही हैं, लोगों का दम घुट रहा है। दिल्ली में रहनेवाला हर कोई इसे महसूस कर रहा है लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार कोई भी सरकार इसकी कोई खास वजह नहीं बता पा रही है। दिवाली की रात से पूरे शहर पर प्रदूषण और धुंध के बादल छाए हुए हैं। आखिर क्या वह खास वजह है जिसके चलते हवा इतनी जहरीली हुई है, इसे लेकर भी सरकारों और एक्सपर्ट्स की राय अलग-अलग है। 

 
दिल्ली सरकार के वकील ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि पश्चिमी यूपी, हरियाणा और पंजाब में धान की पराली जलाने से एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ा है और इसी वजह से यहां की हवा जहरीली हुई है। लेकिन केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह यहां चलने वाली इंडस्ट्री है। कंस्ट्रक्शन गतिविधियां और वाहनों से निकलनेवाले धुएं से यहां की हवा जहरीली हुई है। 
 
केंद्र और राज्य दोनों सरकारें दिल्ली में प्रदूषण की अलग-अलग वजह बताती हैं। आश्चर्य की बात ये है कि बीमारी की वजह क्या है ये किसी को पूरी तरह पता नहीं है और इलाज करने के लिए सब तैयार हैं। फिलहाल दिल्ली में सभी स्कूल और कॉलेज बंद हैं, हरियाणा सरकार ने फरीदाबाद, गुरुग्राम, पानीपत और सोनीपत में भी सभी स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए हैं और दिल्ली सरकार ने अपने सभी दफ्तर बंद कर दिए हैं और अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के लिए कहा है।
 
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली, हरियाणा, यूपी और पंजाब की राज्य सरकारों को अगले 48 घंटों के भीतर वायु प्रदूषण से निपटने के उपायों के लिए एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाने का निर्देश दिया। 
 
चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा, 'हमें नहीं लगता कि सरकारें एक साथ बैठकर फैसला करेंगी जैसा कि हमने शनिवार को उम्मीद की थी। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन चीजों के लिए उन्हें तत्काल फैसला लेना चाहिए और ध्यान केंद्रित करना चाहिए, उसपर हमें फैसला करना पड़ रहा है। 
 
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'हमने ऐसा पाया कि एनसीआर में कंस्ट्रक्शन गतिविधियां, गैर-जरूरी इंडस्ट्रीज का चलना, ट्रांसपोर्ट और कोयले से चलनेवाले पावर प्लांट्स वायु प्रदूषण के लिए ज्यादा जिम्मेदार हैं। हमने यह भी पाया कि कोर्ट द्वारा दिए निर्देशों का पालन वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा एनसीआर और आसपास के इलाकों में अच्छी तरह से किया गया। दिल्ली सरकार द्वारा भी इस संबंध में पहल की गई। हम इसकी तारीफ करते हैं।'
 
हालांकि कुछ अन्य पहलुओं पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार भी लगाई। कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी कि अगर प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार का ऐसा ही रवैया जारी रहा तो फिर मजबूर होकर कोर्ट को प्रदूषण के नाम पर हुए खर्च का ऑडिट करना पड़ेगा। असल में दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि इस मामले में एमसीडी के मेयर्स से भी टारगेटेड एफिडेविट मांगा जाना चाहिए। उन्होंने कहा-' नगर निगम की तरफ से सड़कों पर स्वीपिंग का काम कराया जाता है। वे स्वतंत्र स्वायत्त निकाय हैं इसलिए उनके मेयर्स से यह एफिडेविट मांगा जाना चाहिए कि क्या सड़कों को साफ करने के लिए 69 रोड स्वीपिंग मशीन पर्याप्त हैं।'
 
इस पर चीफ जस्टिस ने दिल्ली सरकार से कहा-' आप अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं। आपने क्या किया..ये बताइये।' वहीं जस्टिस सूर्यकांत ने कहा,'आपके इस तरह के बहाने हमें मजबूर कर रहे हैं कि कोर्ट दिल्ली सरकार के रेवेन्यू और सरकार के प्रचार के लिए बनाए गानों पर हुए खर्च का ऑडिट करे। जस्टिस सूर्यकांत ने दिल्ली सरकार के वकील को याद दिलाया कि कुछ अन्य मामलों को लेकर नगर निगम सुप्रीम कोर्ट में था और उसकी तरफ से यह दलील दी गई थी कि उसके पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं हैं।
 
सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा कि कोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक दिल्ली में एक स्मॉग टावर लगाया गया है। 17 नवंबर तक दिल्ली में कंस्ट्रक्शन पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। धूल उड़ने से रोकने के लिए 372 वाटर स्प्रिंकल्स लगाए गए हैं। दिल्ली के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं। दिल्ली सरकार ने यह भी कहा कि प्रदूषण में कमी लाने के लिए वह सीमित अवधि के लिए लॉकडाउन लगाने को तैयार है लेकिन हवा की कोई बाउंड्री नहीं होती इसलिए पड़ोसी राज्यों में भी लॉकडाउन लगाना चाहिए। दिल्ली सरकार ने दावा किया कि 20 हजार स्क्वॉयर फीट से ज्यादा के कन्स्ट्रक्शन साइट पर एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति इस बात की कोशिश कर रही है कि दिल्ली की सभी 1,636 औद्योगिक यूनिट को सीएनजी में बदला जाए।
 
शीर्ष अदालत ने कहा, 'जहां तक पराली जलाने का सवाल है तो मोटे तौर पर हलफनामे में कहा गया है कि वायु प्रदूषण को बढ़ाने में इसका योगदान दो महीने तक ही रहता है। हालांकि मौजूदा समय में हरियाणा और पंजाब में बड़े पैमाने पर पराली जलाने की घटनाएं हो रही हैं।'
 
केंद्र की ओर से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने  कहा, 'हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पराली जलाना प्रदूषण का प्रमुख कारण नहीं है और कुल वायु प्रदूषण में इसका योगदान केवल 10 प्रतिशत होता है। उनकी इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा, 'क्या आप इस बात से सहमत हैं कि पराली जलाना मुख्य कारण नहीं है? इसका कोई वैज्ञानिक या तथ्यात्मक आधार नहीं है?'
 
केंद्र की तरफ से दायर हलफनामे का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण का 75 प्रतिशत तीन प्रमुख कारकों- इंडस्ट्री, धूल और ट्रांसपोर्ट के कारण होता है। ' पिछली सुनवाई में हमने कहा कि पराली जलाना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, शहर से जुड़े मुद्दे हैं। इसलिए अगर आप उसपर कदम उठाते हैं तो हालात में सुधार होगा। वास्तव में अब सब कुछ खुलकर सामने आ गया है। चार्ट के मुताबिक किसानों के पराली जलाने से प्रदूषण में केवल 4 प्रतिशत का योगदान होता है। इसलिए हम उस चीज पर निशाना साध रहे हैं जो पूरी तरह से महत्वहीन है।' 
 
सोमवार को राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक 353 यानी 'बहुत खराब' था और अगले दो दिनों में इसमें सुधार की गुंजाइश नहीं है। हालांकि एक्यूआई पहले के दिनों की तुलना में कम है लेकिन सरकार यह कह कर आराम नहीं कर सकती कि हवा अब कम खतरनाक है। हवा में जहर तो है और सेहत के लिए खतरनाक भी है लेकिन पिछले साल के मुकाबले जहर जरा कम है। सोचिए हवा में जहर कम और ज्यादा क्या होता है ? जहर तो जहर है। नुकसान तो करेगा। बस आंकड़ों और एक्यूआई के नंबर को देखकर कैसे चुप बैठ जाएं। सबके घर में बड़े बुजुर्ग और बच्चे हैं ।डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली में एक दिन के लिए प्रदूषित हवा में सांस लेने का मतलब 15 सिगरेट पीने के बराबर है।
 
लेकिन जो उपाय किए जा रहे हैं उन्हें देखकर लगता है कि ये जहर अभी कुछ दिन और पीना पड़ेगा। क्योंकि असली कारण क्या है इसको लेकर सबकी राय अलग-अलग है। किसी ने पराली जलाने को जिम्मेदार बताया तो किसी ने कहा कि दिवाली में हुई आतिशबाजी वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। वहीं एक आवाज आई कि कार चलाने वाले प्रदूषण फैलाते हैं किसी ने कहा धूल उड़ाने वाले प्रदूषण फैलाते हैं और किसी ने कहा कि फैक्ट्री चलाने वाले सबसे ज्यादा जहर फैलाते हैं। बस उम्मीद कर सकते हैं कि कोर्ट की सख्ती कोई रास्ता निकालेगी।
 
लेकिन हमें ये जरूर मालूम है कि प्रदूषण तब खत्म होगा जब एक-दो दिन बारिश होगी। हवा अपने आप साफ हो जाएगी। जब तक ऐसा नहीं होता है तब तक आपको खुद ही जहरीली हवा से बचना होगा। अपने स्तर पर जो कर सकते हैं वो करें। सरकार से उम्मीद न रखें। घऱ में एरिका पाम, मनी प्लांट, मदर टंग प्लांट जैसे पौधे रखें जो हवा को साफ करते हैं और ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं। बच्चों और बुजुर्गों को सुबह शाम घर से न निकलने दें और आप जब घऱ से बाहर निकलें तो मास्क लगाकर निकलें। अब तक मास्क कोरोना से बचा रहा है और अब प्रदूषण से भी बचाएगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 15 नवंबर, 2021 का पूरा एपिसोड

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