फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म आजकल कुछ लोगों के लिए तरह-तरह की साजिशों को अंजाम देने का आसान साधन बन गए हैं। कुछ लोग डिटेक्टिव बन जाते हैं तो कोई हिन्दुओं का ठेकेदार बन जाता है तो कोई खुद को मुसलमानों का मसीहा बताता है। ऐसा देखा गया है कि अक्सर सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर दंगे फैलाए जाते हैं, सोशल मीडिया के जरिए मजहब के नाम पर लोगों की भावनाओं को भड़काया जाता है और आधा सच-आधा झूठ दिखाकर दंगा फसाद करवाने के लिए लोगों को उकसाया जाता है।
असल में सोशल मीडिया अब हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा हो गया है। पर्सनल लाइफ से लेकर पब्लिक लाइफ में, गवर्नेंस से लेकर इंटरनेशनल इश्यूज तक, इलैक्शन से लेकर सिलेक्शन तक, मार्केटिंग से लेकर ओपीनियन मेकिंग तक, हर जगह सोशल मीडिया का इस्तेमाल हो रहा है। चूंकि सोशल मीडिया में वैरीफिकेशन का कोई तरीका नहीं है, जो लिखा गया है, जो दिखाया गया है, वह कितना सच है और कितना झूठ, इसका कोई पैमाना नहीं हैं, इसको जांचने का तरीका नहीं है। इसीलिए अब यह साजिशों का सेंटर बन गया है।
सोमवार को एक ऐसी ही पेंटिंग वायरल हुई जिसमें श्रीकृष्ण को बिकनी पहने गोपियों के साथ रासलीला करते दिखाया गया है। इस तस्वीर को बनाने वाला पेंटर मुस्लिम है और उसका नाम इकराम है। बाकायदा पेंटर का नाम लिखकर यह तस्वीर वायरल की गई। कहा गया कि श्रीकृष्ण की ये तस्वीर गुवहाटी की सरकारी आर्ट गैलरी में रखी गई है। ये तस्वीर सोशल मीडिया पर इतनी तेजी से फैली कि ट्रेंड करने लगी। इसकी चर्चा होने लगी और नाराज लोगों ने कमेंट करने शुरू कर दिए। चूंकि पेंटिंग को बनाने वाला शख्स मुस्लिम था, इसलिए मामला साम्प्रदायिक होने लगा। इस्कॉन तक ने इस पर रिएक्ट किया और असम सरकार से इस पेंटिंग को बनाने वाले कलाकार के खिलाफ एक्शन की मांग की गई।
लेकिन अच्छी बात ये है कि इस तरह की साजिश को असम सरकार ने भी भांप लिया। असम सरकार के सीनियर मिनिस्टर हिमंत विश्व शर्मा ने ट्वीटर पर लिखा कि इस मामले को काफी पहले सुलझा लिया गया है। अब आर्ट गैलरी में ऐसी कोई पेंटिंग नहीं है। असम पुलिस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर भी यह बात बताई गई। भगवान श्रीकृष्ण की जिस आपत्तिजनक पेंटिंग का जिक्र किया गया है, ये मामला 2015 का है। तब इस मामले में केस रजिस्टर किया गया था। आरोपी को 30 मई 2015 को अरेस्ट किया गया था और पेंटिंग को जब्त किया गया था। अब ये पेंटिंग डिसप्ले में नहीं है। कुल मिलाकर, यह सोशल मीडिया पर एक नई बोतल में पुरानी शराब की पैकेजिंग थी, और इसके पीछे का इरादा भी स्पष्ट था।
सोमवार को एक और वीडियो वायरल हुआ। एक मॉल में बुरका पहने कुछ महिलाओं का गणेश की मूर्तियों को तोड़ने का वीडियो सर्कुलेट किया गया। दावा किया गया कि यह घटना अपने देश में हुई है और यह वीडियो यहीं का है, लेकिन जांच में पता चला कि यह वीडियो बहरीन का है। बहरीन की सरकार ने इस घटना के लिए महिला के खिलाफ कार्रवाई भी की। बहरीन के आंतरिक मंत्रालय ने कहा, 'मनामा में राजधानी पुलिस ने 54 वर्षीय महिला के खिलाफ जुफ़ेयर में एक दुकान को नुकसान पहुंचाने और एक संप्रदाय को बदनाम करने के लिए कानूनी कार्रवाई की।' इस मामले को पब्लिक प्रॉसिक्यूशन के लिए भेज दिया गया है। सोचिए, इस वीडियो का इस्तेमाल हमारे देश में आग लगाने के लिए किया जा रहा है
इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 22 अगस्त को है, और त्योहार से पहले धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए वीडियो को जानबूझकर सर्कुलेट किया गया।
पिछले हफ्ते बैंगलूरू में भी हजरत मोहम्मद साहब को लेकर फेसबुक इसी तरह एक मैसेज वायरल किया गया। फेसबुक के बाद तुरंत यह व्हाट्सएप पर सर्कुलेट होने लगा और वहां दंगे भड़क गए। भीड़ ने पुलिस थानों में तोड़फोड़ की और वाहनों में आग लगा दी। बेंगलुरु में हुई गोलीबारी में 3 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गए।
रविवार को एक और बड़ा विवाद हुआ जिसे राहुल गांधी ने इश्यू बनाने की कोशिश की। राहुल गांधी का कहना है कि भारत में फेसबुक और व्हाटसएप के जरिए बीजेपी और RSS देश में नफरत फैलाते हैं। फर्जी खबरें सर्कुलट करते हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'वे इसके माध्यम से फर्जी खबरें और नफरत फैलाते हैं और इसका इस्तेमाल मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए करते हैं। आखिरकार, अमेरिकी मीडिया फेसबुक के बारे में सच्चाई के साथ सामने आया है।'
राहुल गांधी ने अपने इस इल्जाम के साथ अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट का हवाला दिया गया। इस रिपोर्ट में बीजेपी नेता टी.राजा सिंह का जिक्र है। उन्होंने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि रोहिंग्या मुसलमानों को गोली मार देनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने मुसलमानों को लेकर विवादास्पद बयान दिया था।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फेसबुक की इंटरनल टीम ने टी.राजा सिंह के खिलाफ हेट स्पीच के मामला को सही मानते हुए कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर आंखी दास ने ये कहते हुए कार्रवाई में ढिलाई बरती कि इससे इंडिया में फेसबुक के कारोबार को नुकसान हो सकता है। कांग्रेस ने इसे सरकार की दखलंदाजी के तौर पर प्रोजेक्ट किया और इस मामले की जांच Joint Parliamentary Committee से कराने की मांग की। चूंकि राहुल गांधी समेत कांग्रेस के तमाम नेताओं ने इस खबर के आधार पर सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया कैंपेन चला दिया, इसलिएबीजेपी की तरफ से भी जबावी हमले हुए।
बीजेपी ने कांग्रेस नेताओं के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बेहतर होगा कि वे खुद अपने अंदर झांककर देखें। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए ट्विटर पर लिखा- 'हारे हुए वो लोग जो अपनी ही पार्टी के लोगों पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाते,कह रहे हैं कि पूरी दुनिया बीजेपी और RSS के कंट्रोल में है, चुनाव से पहले डाटा को हथियार बनाते हुए आप रंगे हाथ पकड़े गए थे, कैंब्रिज एनालिटिका और फेसबुक से आपका गठजोड़ पकड़ा गया था, ऐसे लोग आज बेशर्मी से हमसे सवाल कर रहे हैं।'
वॉल स्ट्रीट जर्नल की इस रिपोर्ट के बाद फेसबुक की इंडिया साउथ एंड सेंट्रल एशिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर आंखी दास के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कमेंट किए जाने लगे। ट्रोल्स उनके पीछे पड़ गए। जिसके बाद आंखी दास ने दिल्ली पुलिस साइबर सेल को एक चिट्ठी लिखकर एक्शन लेने की मांग की है। इस शिकायत में कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करने की अपील की गई है। आंखी दास ने लिखा है कि उनको जान से मारने की धमकी मिल रही है। आंखी दास को पीटने और बुरे अंजाम का अल्टीमेटम दिया जा रहा है। सरेआम फांसी पर लटकाने की बात कही जा रही है। आंखी दास 2011 से फेसबुक की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर हैं, वह कोई पब्लिक फ़िगर नहीं हैं बल्कि ज़करबर्ग की टीम की एक मेंबर हैं। आंखी दास की प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक तस्वीर को वायरल किया जा रहा है। इस तस्वीर की हकीकत भी आपको बता दूं। प्रधानमंत्री मोदी के साथ जिस तस्वीर में आंखी दास दिखाई दे रही हैं, वो तस्वीर 2014 की है। तब फेसबुक के प्रमुख मार्क ज़करबर्ग भारत दौरे पर आए थे और प्रधानमंत्री मोदी से मिले थे।
आरोप लगे तो फेसबुक की तरफ से भी क्लेरीफिकेशन आया। मार्क ज़करबर्ग की कंपनी को कहना पड़ा कि फेसबुक की पॉलिसी किसी व्यक्ति, वो आम हो या खास, को देखकर फैसले लेने की नहीं हैं। हिंसा भड़काने वाले, नफरत फैलाने वाले कंटेंट पर रोक लगाना फेसबुक की ग्लोबल पॉलिसी का हिस्सा है।
अगर दुनिया में फेसबुक के यूजर्स की संख्या देखें और भारत में फेसबुक के यूजर्स की तादाद देखें तो फेसबुक की मजबूरी आपको समझ आ जाएगी। भारत में इस वक्त फेसबुक के 34 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं। दूसरे नंबर पर अमेरिका है, जहां फेसबुक के 19 करोड़ यूजर्स हैं। इसके बाद इंडोनेशिया और ब्राजील का नंबर आता है। इंडोनेशिया में फेसबुक के 14 करोड़ यूजर्स हैं, जबकि ब्राजील में फेसबुक के यूजर्स की संख्या करीब 13 करोड़ है। सोचिए, अगर भारत में फेसबुक ने ज्यादा सख्ती दिखाई, सारे कॉन्टेंट को रोकना शुरू किया तो उसे नुकसान भी हो सकता है। लेकिन जिस आर्टिकल का जिक्र करके राहुल और कांग्रेस सरकार पर अटैक कर रही है उसी आर्टिकिल में फेसबुक के हवाले से बड़ी इंटरेस्टिंग बातें लिखी गईं। लिखा कि 2016 में फेसबुक भारत में एक फ्री टेलीकम्युनिकेशन सर्विस शुरू करना चाहती थी, लेकिन उसे सरकार से आजतक परमीशन नहीं मिली। इसी तरह व्हाट्सऐप, जो इसी ग्रुप का है, इसी कंपनी का हिस्सा है, भारत में पेमेन्ट गेटवे लाना चाहता है लेकिन दो साल से उसे अप्रूवल नहीं मिला। अब फेसबुक का कहना है कि अगर वो सरकार, बीजेपी या RSS को फेवर कर रही थी तो सरकार भी तो उसे कुछ फेवर करती लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मैं कांग्रेस पार्टी की मजबूरियों को समझता हूं। सोशल मीडिया पर नरेन्द्र मोदी दुनिया के सबसे पॉपुलर लीडर हैं। फेसबुक पर मोदी के 4.62 करोड़ फॉलोअर हैं और दूसरे नंबर पर अमेरिका के प्रेसीडेंट डोनॉल्ड ट्रंप (3.07 करोड़) हैं, जबकि राहुल गांधी के फॉलोअर्स की संख्या 37.5 लाख है। यानी मोदी के फॉलोअर्स राहुल से चौदह गुना ज्यादा हैं। इस लिहाज से फेसबुक पर नरेन्द्र मोदी का कब्जा तो है।
फेसबुक की तरह ट्वीटर को भी मोदी कन्ट्रोल तो करते हैं, क्योंकि ट्वीटर पर नरेन्द्र मोदी के 6 करोड़ 11 लाख से ज्यादा फॉलोअर हैं और राहुल गांधी के फॉलोअर्स की संख्य़ा एक करोड़ छप्पन लाख है। यानी यहां भी नरेन्द्र मोदी के फॉलोअर्स राहुल गांधी से चार गुना ज्यादा हैं। इसके बाद भी राहुल गांधी पिछले एक साल से सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए सियासत कर रहे हैं।
आपने देखा होगा कि कुछ महीनों से वह रोज सुबह एक ट्वीट करते हैं, सवाल पूछ लेते हैं। अब बीजेपी के नेता पूछते हैं कि मार्क जकरबर्ग ने कपिल मिश्रा के बयानों पर तो कमेंट किया ये कहकर कि उन्होंने दिल्ली में दंगे भड़काए लेकिन सोनिया गांधी ने जो 'आर-पार' की लड़ाई की बात की थी उसका जिक्र तो नहीं किया।
दूसरी बात जो बीजेपी के नेता कह रहे हैं वो यह कि फेसबुक पर लाखों ऐसे पोस्ट मिल जाएंगे जिसमें हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाया गया है। हजारों ऐसे पोस्ट मिल जाएंगे जहां नरेन्द्र मोदी के लिए अभद्र भाषा का, गालियों का इस्तेमाल किया गया है। फेसबुक पर मोदी की ऐसी morphed तस्वीरें भी मैंने देखीं, जिसमें मोदी के हाथ में पाकिस्तान का झंडा दिखाया गया है लेकिन कांग्रेस ने उसके बारे में सवाल नहीं उठाए। अगर निंदा करनी है, अगर सवाल उठाने हैं, तो सबके बारे में उठाने चाहिए, पॉलिसी तो सबके बारे में एक होनी चाहिए। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 17 अगस्त, 2020 का पूरा एपिसोड