बंगाल में सियासी जंग की बिसात अब बिछ चुकी है। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी जहां 15 मार्च को पुरुलिया में चुनावी रैली को संबोधित करेंगी, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 मार्च से अपना कैंपेन शुरू करने जा रहे हैं।
ममता बनर्जी को 48 घंटे तक ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद शुक्रवार की शाम SSKM अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। वह जब अस्पताल से बाहर निकलीं तो उनके बाएं पैर में प्लास्टर लगा था, और वह व्हीलचेयर पर बैठी थीं। ममता की यह तस्वीर अब बंगाल की चुनावी सियासत का सबसे खास पोस्टर बनेगी। डॉक्टरों ने उन्हें पूरी तरह आराम करने की सलाह दी है और कहा है कि अब एक हफ्ते बाद उनके पैर की जांच की जाएगी। लेकिन मुख्यमंत्री और पार्टी में उनके सहयोगियों ने फैसला किया है कि वह अपने चुनाव अभियान को फिर से शुरू करेंगी।
शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद जब ममता हॉस्पिटल से बाहर आईं तो उनके चेहरे पर चोट का दर्द साफ दिख रहा था, और वह कमजोर भी लग रही थीं। वह अपनी व्हीलचेयर से उठ भी नहीं पा रही थीं। ममता के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें सहारा देकर गाड़ी की फ्रंट सीट पर बैठाया। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद ममता ने मीडिया से बात नहीं की, लेकिन यह लगभग तय है कि अब वह व्हीलचेयर पर बैठकर ही अपनी अधिकांश रैलियों को संबोधित करेंगी। रविवार (14 मार्च) को वह अपनी पार्टी का चुनावी घोषणापत्र कोलकाता में जारी करेंगी।
अब जबकि ममता की चोट बंगाल के आम मतदाताओं के बीच चर्चा का विषय बन गई है, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को उम्मीद है कि इससे उनकी नेता के पक्ष में सहानुभूति की लहर पैदा होगी। तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी, दोनों ही पार्टियों ने नंदीग्राम में हुई उस घटना की जांच की मांग की है जिसमें ममता घायल हुई थीं। जांच का नतीजा चाहे जो हो, एक मुख्यमंत्री द्वारा व्हीलचेयर पर बैठकर रैलियों को संबोधित करने का दृश्य निश्चित तौर पर जनता को अपनी तरफ खींचेगा।
सौगत राय जैसे तृणमूल के वरिष्ठ नेता ने घटनाओं के लिंक जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि पहला लिंक तो यह है कि बीजेपी के नेताओं दिलीप घोष और सौमित्र खान ने पहले ही बता दिया कि नंदीग्राम में कुछ होने वाला है, दूसरा, प्रधानमंत्री ने खुद ब्रिगेड परेड ग्राउंड में कहा था कि क्या होता यदि नंदीग्राम में ममता की स्कूटी पलट जाती, और तीसरा, अचानक राज्य पुलिस के DGP और ADG (लॉ एंड ऑर्डर) को हटा दिया गया।
यह सच है कि मोदी ने कहा था कि यदि नंदीग्राम में ममता की स्कूटी फिसल गई तो क्या होगा, लेकिन इसे मुख्यमंत्री के साथ हुए हादसे से जोड़ना कुछ ज्यादा ही हो जाएगा। पीएम का मतलब था कि यदि ममता नंदीग्राम की चुनावी लड़ाई हार गईं तो क्या होगा, लेकिन उनके बयान को सौगत रॉय जैसे वरिष्ठ नेता ने तोड़-मरोड़कर पेश किया। शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपने नेता पर हुए ‘हमले’ की निंदा के लिए साइलेंट प्रोटेस्ट मार्च निकाला। बुधवार तक तृणमूल कई नेताओं द्वारा पार्टी छोड़े जाने के बाद डिफेंसिव मोड में थी, लेकिन ममता की चोट ने अब उनके उम्मीदवारों और समर्थकों में जोश भर दिया है।
स्वाभाविक तौर पर बीजेपी नेतृत्व परेशान है और उनकी चुनावी गणित गड़बड़ा गई है। बीजेपी नहीं चाहती कि ममता बनर्जी की चोट इस चुनाव में बड़ा इश्यू बने, क्योंकि यदि ऐसा होता है तो यह निश्चित तौर पर तृणमूल कांग्रेस के लिए एडवांटेज प्वाइंट हो सकता है। ममता को चोट तो लगी है, फ्रैक्चर भी है, प्लास्टर भी चढ़ा है। उनका कैम्पेन अब व्हीलचेयर पर बैठकर होगा और सहानुभूति उनके साथ होगी। खास तौर पर महिला वोटर्स पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है।
बीजेपी को अब यह देखना होगा कि इस सियासी नुकसान को कितना काम किया जा सकता है। इस सप्ताह के मध्य तक मुस्लिम अपीजमेंट के सवाल पर, हिंदुओं के सवाल पर, राजनीतिक हत्याओं के सवाल पर और अपने कार्यकर्ताओं की मौत के सवाल पर बीजेपी ऑफेंसिव मोड में थी। लेकिन अब लगता है कि बाजी पलट चुकी है।
अब ममता अटैकिंग मोड में होंगी, व्हीलचेयर में बैठकर अपने ऊपर हुए हमले का इल्जाम लगाएंगी और यह बंगाल के मतदाताओं के मन पर जरूर असर डालेगा। वह जनता को अपने पैरों में लगी चोट दिखाएंगी और इस पर बीजेपी को डिफेंसिव होना पड़ेगा। भारतीय जनता पार्टी सिर्फ इतना कह पाएगी कि जब उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा के काफिले पर डायमंड हार्बर में हमला हुआ था उस समय ममता क्यों खामोश थीं।
बीजेपी के लिए राहत की बात सिर्फ ये है कि अब पार्टी में कई ऐसे नेता हैं, जो कई बरसों तक ममता के साथ जुड़े रहे। वे अच्छी तरह जानते हैं कि पहले भी ममता ने मतदाताओं को लुभाने के लिए कैसे अपनी चोटों का इस्तेमाल किया है। ये नेता अपने वोटर्स से ये जरूर कहेंगे कि ममता की चोट एक ’राजनीतिक ड्रामा’ है। इन नेताओं में सबसे आगे शुभेंदु अधिकारी हैं, जिन्होंने शुक्रवार को ममता के खिलाफ नंदीग्राम से अपना नामांकन दाखिल किया। इस मामले पर अब शुभेंदु अधिकारी ही चुनौती देंगे। (रजत शर्मा)
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