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RAJAT SHARMA BLOG: बिहार के एक मंत्री की हड़बड़ी ने फैला दी यह फर्जी खबर

मैंने उस रात ‘आज की बात’ कार्यक्रम में इस खबर को इसीलिए शेयर नहीं किया क्योंकि मृतकों की संख्या की सत्यता को लेकर संदेह था...

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: May 05, 2018 16:12 IST
RAJAT SHARMA BLOG: How a Bihar minister was instrumental in circulating fake news - India TV Hindi
RAJAT SHARMA BLOG: How a Bihar minister was instrumental in circulating fake news 

गुरुवार की शाम को टीवी न्यूज चैनलों ने आग की लपटों से घिरी हुई एक यात्री बस के विजुअल दिखाए थे। यह घटना बिहार के मोतिहारी में हुई थी जिसमें बस के पलटने के बाद आग लग गई थी। खबरों में बताया गया कि इस घटना में बस में सवार 32 में से 25 यात्रियों की जान चली गई। इस खबर का स्रोत क्या था? दरअसल, यह खबर बिहार के मंत्री दिनेश चंद्र यादव ने दी थी। उन्होंने ‘स्थानीय सूत्रों’ का हवाला देते हुए मृतकों के ये आंकड़े बताए थे। देश के अधिकांश न्यूज चैनलों पर मृतकों की यह संख्या दिखाई जाने लगी। देश के प्रधानमंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री ने मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए ट्वीट भी कर दिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस वक्त जिस मीटिंग में थे वहां 2 मिनट का मौन भी रखा गया और राज्य सरकार ने मुआवजे की घोषणा भी कर दी।

रात होते-होते मृतकों की संख्या को लेकर जो आंकड़ा जारी किया गया था वह गलत निकला। उस बस में कुल मिलाकर 13 यात्री सवार थे और उनमें से किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचा। इसी बीच, बिहार के एक अन्य मंत्री नंद किशोर यादव ने मृतकों की संख्या को लेकर चली खबर के लिए मीडिया को ही दोषी ठहरा दिया। जबकि हकीकत यह है कि खुद बिहार के मंत्री दिनेश चंद्र यादव ने हड़बड़ी में बगैर पुष्टि के मृतकों की संख्या के बारे में जानकारी दी थी। मंत्री ने फाइनल रिपोर्ट का भी इंतजार नहीं किया और मृतकों की संख्या जारी कर दी।

विजुअल और डिजिटल मीडिया में मृतकों की संख्या पहले 27 बताई गई और बाद में यह घटकर 12 रह गई। 8 बजे के आसपास बताया गया कि 6 लोगों की मौत हुई है। मैंने उस रात ‘आज की बात’ कार्यक्रम में इस खबर को इसीलिए शेयर नहीं किया क्योंकि मृतकों की संख्या की सत्यता को लेकर संदेह था। मैं ट्विटर पर अपनी संवेदनाएं जाहिर करने के पीछे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की मजबूरी समझ सकता हूं। आजकल जिस तरह की सियासत चल रही है, यदि वे जरा भी देर करते और खबर सही होती तो विपक्ष उनके ऊपर असंवेदनशील होने का आरोप मढ़ देता।

कुल मिलाकर यह हमारे पूरे सिस्टम को आईना दिखाने वाली घटना है जिसके अंतर्गत हमारे नेता और ब्यूरोक्रेट काम करते हैं। इससे बिहार के मंत्रियों को कम से कम इतना सबक तो लेना चाहिए कि ऐसी घटनाओं के मामले में वे आगे से जिम्मेदारी से बोलें, सोच-समझकर बोलें। इस तरह के आंकड़े जारी करने से पहले उन्हें विश्वसनीय सूत्रों से पुष्टि कर लेनी चाहिए। उन्हें यह अहसास होना चाहिए कि मंत्रियों और राजनीतिक नेताओं की बात का बड़ा असर होता है। मैं आशा करता हूं कि ऐसा दोबारा नहीं होगा। (रजत शर्मा)

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