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Rajat Sharma Blog: गुजरात में कांटे का मुकाबला होने के आसार

नरेन्द्र मोदी अब गुजरात में चीफ मिनिस्टर नहीं हैं। नरेंद्र मोदी के मुकाबले आनंदी बेन पटेल और विजय रूपाणी उतने प्रभावी और लोकप्रिय मुख्यमंत्री नहीं रहे जो 22 साल की एंटी-इनकम्बेंसी का जवाब दे सकें।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated : October 26, 2017 18:15 IST
Rajat Sharma Blog
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चुनाव आयोग की तरफ से गुजरात विधानसभा के लिए चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा के साथ ही अब सत्तारुढ़ बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच मनोरंजक और निर्णायक मुकाबले की जमीन तैयार हो चुकी है। कांग्रेस नेताओं की उम्मीद दो बातों पर टिकी है। एक, नरेन्द्र मोदी अब गुजरात में चीफ मिनिस्टर नहीं हैं। नरेंद्र मोदी के मुकाबले आनंदी बेन पटेल और विजय रूपाणी उतने प्रभावी और लोकप्रिय मुख्यमंत्री नहीं रहे जो 22 साल की एंटी-इनकम्बेंसी का जवाब दे सकें। दूसरा, कांग्रेस खुद अपने आप में सशक्त नहीं है इसलिए बीजेपी के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने वाले तीन नेताओं हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी पर भरोसा कर रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से भी बातचीत जारी है। सत्तारुढ़ दल को कड़ी टक्कर देने के लिए अब कांग्रेस की कोशिश यह है कि गुजरात में सारे एंटी बीजेपी फोर्सेज को एकजुट किया जाए। क्योंकि कांग्रेस को अपने संगठन और  अपनी ताकत पर भरोसा नहीं है। वहीं बीजेपी को अपने संगठन, अपनी ताकत और नरेंद्र मोदी के करिश्मे पर पूरा भरोसा है। बीजेपी को सबसे ज्यादा भरोसा है उन 12 विधायकों पर जो कुछ दिन पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हैं। ये 12 सीटें वो हैं जो बीजेपी ने कभी नहीं जीती।

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी दावा कर रहे हैं कि मुकाबला एकतरफा है। हो सकता है वो अपने आकलन के हिसाब से बोल रहे हों, लेकिन मुझे लगता है कि इस बार गुजरात में बीजेपी की पोजीशन उतनी मजबूत नहीं है जितनी नरेन्द्र मोदी के जमाने में होती थी। उस समय तो बीजेपी एकतरफा बड़ी पार्टी थी। उसका एक बड़ा कारण नरेन्द्र मोदी का चेहरा भी था। गुजरात के अधिकांश लोगों को उनपर भरोसा भी था। इस बात को नरेंद्र मोदी भी जानते हैं। इसीलिए पिछले एक महीने में पांच बार पीएम मोदी गुजरात गए हैं। अगर गुजरात में बीजेपी को वोट मिलेंगे तो मोदी के नाम पर मिलेंगे। यह कहना भी गलत होगा कि कांग्रेस कहीं नहीं हैं और बीजेपी से पाटीदारों की नाराजगी पूरी तरह खत्म हो गई है। इनका असर तो होगा इसलिए कांग्रेस की हिम्मत बढ़ी है।

गुजरात में बीजेपी विकास को मुद्दा बना कर लोगों के बीच वोट मांगने जा रही है लेकिन उसे बाइस साल की एंटी-इनकम्बेंसी का सामना भी करना है। पाटीदारों और दलितों की नाराजगी बड़ा मुद्दा है। पिछले 22 साल में पहली बार बीजेपी अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी के बिना चुनाव मैदान में उतर रही है। चुनाव के तारीखों की घोषणा हो चुकी है और परिणाम 18 दिसंबर को आएंगे। तबतक हमें इंतजार करना होगा। (रजत शर्मा)

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