बिहार के लिए भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणापत्र को जारी करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को ऐलान किया कि यदि पार्टी सत्ता में वापसी करती है तो राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को मुफ्त में कोविड-19 का टीका लगाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘जैसे ही कोविड-19 का टीका बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए उपलब्ध होगा, बिहार में हर व्यक्ति का मुफ्त में टीकाकरण होगा। यह हमारे चुनावी घोषणापत्र का सबसे पहला वादा है।’
जहां एक तरफ आरजेडी, कांग्रेस, शिवसेना, लेफ्ट पार्टियों और अकाली दल ने ‘महामारी का राजनीतिकरण’ करने के लिए बीजेपी की आलोचना की, वहीं बीजेपी ने कहा कि चूंकि हेल्थ एक स्टेट सब्जेक्ट है, इसलिए पार्टी ने फ्री में वैक्सीन देने का वादा किया है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि ‘भारत सरकार ने कोविड वैक्सीन वितरण की घोषणा कर दी है। ये जानने के लिए कि वैक्सीन और झूठे वादे आपको कब मिलेंगे, कृपया अपने राज्य के चुनाव की तारीख देखें।’ बाद में रात को कर्नाटक और तमिलनाडु की सरकारों ने भी अपने-अपने राज्यों में लोगों को मुफ्त में वैक्सीन देने की घोषणा कर दी। मध्य प्रदेश सरकार ने भी गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को कोविड-19 का टीका मुफ्त में देने का वादा किया।
हालांकि बीजेपी के घोषणापत्र में 19 लाख लोगों को रोजगार देने, 3 लाख नए शिक्षकों को नियुक्त करने, बिहार को आईटी हब बनाने और सूबे को मछली उत्पादन में नंबर 1 राज्य बनाने का भी वादा किया गया है, लेकिन विपक्षी दल कोविड-19 की फ्री वैक्सीन के वादे पर सबसे ज्यादा शोर मचा रहे हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने इसे ‘चुनाव आचार संहिता का घोर उल्लंघन’ बताया, जबकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी लोगों के स्वास्थ्य के साथ राजनीति कर रही है। अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत तेजी से कोविड वैक्सीन के ट्रायल्स को पूरा करने की दिशा में बढ़ रहा है, और वैज्ञानिकों द्वारा वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उत्पादन की मंजूरी मिलते ही इसे बिहार के हरेक शख्स को मुफ्त में दिया जाएगा।
केंद्र ने पहले ही संकेत दिया है कि कोविड वैक्सीन अगले साल की शुरुआत में ही उपलब्ध हो पाएगी, क्योंकि एस्ट्रा जेनेका कैंडिडेट वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल डेटा के नवंबर के अंत या दिसंबर की शुरुआत में जांच के लिए तैयार होने की उम्मीद है। ऐसे में कोविड वैक्सीन की पहली खुराक इस साल के अंत से कुछ ही पहले मिलने की उम्मीद है, लेकिन उस समय तक बिहार में चुनाव खत्म हो चुके होंगे। केंद्र ने भारतीय नागरिकों को कोविड वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए इस वित्त वर्ष के दौरान 50,000 करोड़ रुपये ($37 बिलियन) अलग से रखे हैं। प्रत्येक खुराक की कीमत $6 से $7 हो सकती है और 135 करोड़ से भी ज्यादा जनसंख्या वाले देश में टीकाकरण की लागत काफी ज्यादा आएगी।
मैंने इस मुद्दे पर कई मंत्रियों, नेताओं और वैज्ञानिकों से बात की है और उनका अनुमान है कि वैक्सीन की पहली खुराक फरवरी से पहले लोगों के लिए उपलब्ध होना मुश्किल है। भारत में जुलाई के पहले हफ्ते तक वैक्सीन की लगभग 25 करोड़ खुराकें तैयार हो जाएंगी। वैज्ञानिक इस वैक्सीन से जुड़े सभी ट्रायल डेटा की जरूरी जांच करने में व्यस्त हैं, जबकि सरकार इसके डिस्ट्रिब्यूशन की रणनीति पर काम कर रही है।
जहां तक नेताओं का सवाल है, वे सभी वैक्सीन के डिवेलपमेंट की जमीनी हकीकत के बारे में जानते हैं, लेकिन वे बात ऐसे करते हैं जैसे कि वैक्सीन बन चुकी है और सरकार उन्हें वोट के लिए लोगों को बांटने जा रही है। भारत के, बल्कि यूं कहें कि दुनिया के हरेक शख्स को कोविड की वैक्सीन का इंतजार है। निर्मला सीतारमण ने साफ कहा है कि देश में तीन वैक्सीन पर काम एडवांस स्टेज में है। विपक्ष के लोग भी यह जानते हैं लेकिन वे अपने राजनीतिक लाभ के हिसाब से तथ्यों को पेश कर रहे हैं।
सभी नेता चाहते हैं कि वैक्सीन सभी को फ्री में ही उपलब्ध कराई जाए। गुरुवार की रात कर्नाटक और तमिलनाडु सरकारों द्वारा लिए गए फैसलों से यह साफ भी हो गया। ऐसे में अगर बीजेपी बिहार में सभी को मुफ्त में वैक्सीन देने का वादा करती है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। जेडी (यू) ने भी कुछ ऐसा ही वादा किया है। बेहतर होगा कि नेता मोरल हाई ग्राउंड लेना बंद करें और इसकी बजाय यह सुनिश्चित करें कि उनकी रैलियों में आने वाली भीड़ कोविड के मानदंडों का पालन करे, मास्क पहने और सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखे। (रजत शर्मा)
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