चितौड़ की रानी पद्मावती सदियों से न केवल राजपूताना में बल्कि पूरे भारत के राजपूतों के गौरव और बलिदान का प्रतीक रही हैं। पद्मावती के जौहर (आत्म बलिदान) की कहानियां आज भी राजस्थान के घर-घर में सुनाई जाती हैं। मैंने भी बचपन में रानी पद्मावती और अन्य रानियों की वीरता की गाथाएं सुनी है। किसी को भी इस बात पर तो गर्व होना चाहिए कि रानी पद्मावती के जीवन पर एक बड़ी फिल्म बनी है। इस फिल्म से उनके जीवन के बारे में आज की नई पीढ़ी को काफी कुछ पता चलेगा। अब बिना फिल्म देखे कोई यह कैसे कह सकता है कि इस फिल्म में पद्मावती की शान के खिलाफ या राजपूतों की आन के खिलाफ कुछ दिखाया गया है। इसलिए मेरा तो यही कहना है कि विरोध करने वाले संयम बरतें। फिल्म देखने के बाद कमेंट करें और अपने विचार रखें। जब कोई बात अफवाह बनके उड़ जाती है तो वह एक तरह का नकारात्मक माहौल खड़ा कर देती है। फिल्म पद्मावती के साथ यही हुआ है। जो लोग कलाकार हैं और जो फिल्म बनाने वाले हैं, उनकी कला और मेहनत का यही तकाजा है कि लोग पहले फिल्म को देखें, उसके बाद फैसला करें। (रजत शर्मा)