प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग ने शुक्रवार को मेहुल चौकसी और नीरव मोदी की मामा-भांजे की जोड़ी पर फंदा और कसते हुए उनके घरों, कार्यालयों और शोरूमों पर छापेमारी की। इसके अलावा आयकर विभाग ने नीरव मोदी और उसके परिवार के सदस्यों के सभी बैंक खातों को भी सीज कर दिया। इसके बाद जो तस्वीर उभरकर सामने आती है वह विचलित करती है। संदिग्ध लेन-देन के अन्य विवरण उभरकर सामने आने के बाद अब LOU फ्रॉड के चलते हुआ नुकसान 11,400 करोड़ रुपये से लेकर 20-30 हजार करोड़ रुपये तक हो सकता है।
अभी तक मिली जानकारी से साफ पता चलता है कि नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चौकसी, जो कि गीतांजलि जेम्स का मालिक है, 2011 से ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के अधिकारियों के साथ मिलकर पैसे उड़ा रहे थे। इलाहाबाद बैंक के एक पूर्व निदेशक दिनेश दुबे ने मेहुल चौकसी द्वारा किए गए इन अवैध लेन-देन के बारे में 2013 में खुले तौर पर शिकायत की थी, लेकिन उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाय तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने उनका इस्तीफा ले लिया था।
ये मामले पिछली UPA सरकार से संबंधित है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंताजनक पहलू यह है कि PNB में अभी भी कुछ ऐसे भेदिए काम कर रहे हैं, जो नीरव मोदी और मेहुल चौकसी तक अंदर की जानकारियां पहुंचा रहे हैं। इन लोगों ने बैंक में शुरू की गई आंतरिक जांच के बारे में फरार मामा-भांजे की जोड़ी को पहले ही सूचित कर दिया था। इस अंदर की जानकारी के कारण नीरव मोदी, उसके परिवार के सदस्य और मेहुल चौकसी भारत से भाग गए, वह भी तब जबकि आंतरिक जांच अभी चल ही रही थी।
आंतरिक जांच से पता चलता है कि PNB शाखा में एक उप प्रबंधक, गोकुलानाथ शेट्टी, नीरव मोदी का काफी करीबी था। गोकुलानाथ शेट्टी 6 दिन पहले ही अपनी पत्नी, बच्चों और भाई को पीछे छोड़कर मुंबई में अपने घर से गायब हो गया। CBI की टीम अभी भी उसकी लोकेशन का पता लगाने की कोशिश कर रही है। अभी PNB में काम कर रहे नीरव मोदी के मददगार अफसरों और कर्मचारियों के बारे में तुरंत पता लगाने की सख्त जरूरत है। इसके बाद अगला कदम UPA सरकार के उन अधिकारियों की पहचान करना होना चाहिए, जिन्होंने शिकायतें मिलने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की और फरार ज्वेलर की मदद करते रहे। (रजत शर्मा)