भारत में इन दिनों लोगों के मन में इस बात को लेकर फिक्र है कि कहीं व्हॉट्सएप, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन्द तो नहीं हो जाएंगे? व्हाट्सएप के 53 करोड़ यूजर्स को लगता है कि कहीं ये ग़ायब तो नहीं हो जाएगा? फेसबुक यूज करने वाले 41 करोड़ लोग सोच रहे हैं कि नई गाइडलाइन्स की वजह से ये भारत में बंद तो नहीं हो जाएगा? भारत में ट्विटर का इस्तेमाल सिर्फ पौने दो करोड लोग करते हैं, उन्हें डर है कि ट्विटर की सरकार के साथ तकरार चल रही है, इसके कारण कहीं ट्विटर का बोरिया बिस्तर गोल तो नहीं हो जाएगा? असल में तीन महीने पहले व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर और सोशल मीडिया के बाकी सारे प्लेटफॉर्म्स को, जिनमें गूगल भी शामिल है, गाइडलाइल्स जारी की गई थी। 25 मई तक सारी सोशल मीडिया कंपनियों को अपने यहां ऐसे नोडल ऑफीसर्स अप्वाइंट करने थे, जिनके पास लोग शिकायत कर सकें, उन्हें ऐसे लोग नियुक्त करने थे जो जवाबदेह हों। इन सभी को चीफ कॉम्पलायंस अफसर, नोडल कॉन्टेक्ट पर्सन और रेजीडेंट ग्रिवांस अफसर नियुक्त करने हैं। ये सभी अफसर जनता से शिकायत मिलने पर 15 दिन में उसका निवारण करने के लिए बाध्य होंगे। पब्लिक की शिकायतों के लिए सैल्फ रेगुलेशन भी लागू करना था। शुक्रवार को गूगल, व्हॉट्सएप और फेसबुक इस बात पर तैयार हो गए कि वे नए IT Regulations का पालन करेगं, लेकिन ट्विटर ने कहा कि वह एक वकील को बाहरी कंसलटेंट के तौर पर नियुक्त करेगा, लेकिन सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। अब तक Linked in, Telegram, Google, WhatsApp और Facebook ने IT मंत्रालय को अपने chief compliance officer, nodal contact person और grievance officer के नाम भेज दिये हैं। अभी Twitter अपने कड़े रुख पर कायम है और उसने सरकार पर आरोप लगाया कि वह बोलने की आज़ादी को छीनने की कोशिश कर रही है। हमने शुक्रवार को आज की बात शो में IT और संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद से बातचीत की। रवि शंकर प्रसाद ने दो-टूक शब्दों में कहा कि ट्विचर इधर उधर की बात न करे, भारतीय कानून का पालन करे। उन्होने साफ कहा कि भारत की डिजिटल संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं होगा।
रवि शंकर प्रसाद ने कहा, अगर कोई विदेशी कंपनी हमारे देश में कारोबार करेगी, पैसा कमाएगी, तो उसे भारत का कानून मानना होगा। उन्होने सवाल किया कि क्या ट्विटर,फेसबुक या गूगल के अफसर बुलाने पर अमेरिका की सीनेट के सामने पेश नहीं होते? क्या ये कंपनियां हाउस ऑफ कॉमन्स के सामने अपने प्रतिनिधि नहीं भेजती? जिन देशों में कारोबार करती हैं, उनके कानून मानती हैं, तो फिर भारत के कानून मानने में क्यों आनाकानी? ये दोहरा मापदंड क्यों? रवि शंकर प्रसाद ने ये भी सवाल किया कि जब फेसबुक और व्हाटसएप जैसी कंपनियां यूजर्स का डाटा एक दूसरे के साथ शेयर कर सकती हैं, तो फिर आपराधिक मामलों की जांच के लिए, क्रीमिनल केसेज़ के लिेए डेटा सरकारी एजेंसियों के साथ शेयर क्यों नहीं कर सकती? और सबसे बड़ी बात ये कि अगर सोशल मीडिया कंपनियां खुद को फैसिलिटेटर मानती हैं, अगर ये इंटरमीडियरी प्लेटफॉर्म हैं, तो फिर इन्हें कन्टेंट के साथ छेड़छाड़ करने का हक कैसे हो सकता है? कौन सही है, कौन गलत इसका फैसला करने का हक इन्हें कैसे हो सकता है?
रविशंकर प्रसाद ने ये भी कहा कि इन प्लेटफॉर्म्स पर अगर कोई गलत बात लिखता है, कोई भड़काऊ मैटेरियल पोस्ट करता है, तो कंपनियों के खिलाफ मुकदमा नहीं होता, उन्हें पार्टी नहीं बनाया जाता, लेकिन अगर कंपनी सही या गलत का खुद फैसला करती है, खुद ही पार्टी बनती है, तो फिर उसे जांच एजेसियों को बताना पड़ेगा कि उसने किस आधार पर फैसला किया। न तो इसमें कुछ गलत है और न ही इसमें अभिव्यक्ति की आजादी कहां छिनती है।
ट्विटर ने जिस तरह के तर्क दिए, जिस तरह से भारत सरकार की गाइडलाइन्स को हल्के में लिया है, उसे ठीक नहीं माना जाना चाहिए और मुझे खुशी है कि रविशंकर प्रसाद ने जिस सख्त लहजे में ट्विटर को मैसेज दिया है, वह जरूरी भी था क्योंकि भारत सरकार द्वारा बनाए गए कानून की अनदेखी की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती। इस देश की संप्रभुता, इस देश का संविधान, इस देश का कानून सबसे ऊपर है।
पेश है, ‘आज की बात’ में IT, संचार और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद से मेरी बातचीत –
सवाल - हमारे देश में 76 करोड़ से ज्यादा स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने वाले लोग हैं, फेसबुक और व्हाट्सएप लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल है, अब लोगों को लग रहा कि आपकी सरकार व्हाट्सएप को बंद करा देगी?
रवि शंकर प्रसाद - रजत जी, मैं आपके माध्यम से देश के लोगों को बता देता हूं, व्हाट्सएप का सामान्य उपयोग करने वाले लोगों को कोई परेशानी नहीं होगी, उनका न कोई काम रुकेगा, न उनके विचारों को रोका जाएगा। हम व्हाट्सएप से क्या कह रहे हैं, बहुत छोटी सी बात कह रहे हैं। ऐसा एक मैसज जो लोगों में सर्कुलेट होता है, जिसके कारण जो अपराध होता है, जो देश की सुरक्षा के संबंध में है, या किसी महिला के सम्मान को ठेस पहुंच रहा है, रेप जैसी चीजों को, और बच्चों को साथ यौन हिंसा को बढावा दे रहा है, ऐसी हिंसा के खिलाफ, ये खुराफात किसने शुरू की, ये आपको बताना पड़ेगा। मैसेज नही खोलना है क्योकि वो तो पहले ही लोगों के बीच में है। मॉब लिंचिंग के मैसेज, दिल्ली में दंगे हुए तो लोग बताते है कि कितने मैसेज तो सरहद के पार से यहां के बता कर फैलाए गए, और अगर बाहर से कोई मैसेज आता है तो भारत में ये खुराफात किसने की ये आपको बताना पड़ेगा। ये आप अमेरिका, इंग्लैंड में बताते हैं, कनाडा के कहने पर बताते हैं और यहां आप निजता की बात करते हैं। हम राइट टू प्राइवेसी का पूरा सम्मान करते हैं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मैंने खुद सरकार की तरफ से पीसी की थी, हम जजमेंट का सम्मान करते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले में लिखा है आतंकवादी को, किसी भ्रष्ट को, किसी अपराधी को निजता का अधिकार नहीं है, वरना तो अपराध पर नियंत्रण हो ही नहीं पाएगा।
सवाल- उनका तो ये कहना है कि व्हाट्सएप के जो नए रूल्स संविधान के ख़िलाफ़ हैं...प्राइवेसी के लिए खतरा हैं...DANGEROUS INVASION OF PRIVACY... ये कहा उन्होंने...
रवि शंकर प्रसाद- व्हाट्सएप ने जो नई प्राइवेसी पॉलिसी घोषित की है, उसमें इस बात का प्रावधान है कि हम लोगों के डेटा को व्हाट्सएप और अन्य बिजनेस प्लेटफॉर्म से शेयर करेंगे, उस समय आपकी प्राइवेसी पॉलिसी कहां चली जाती है। रजत जी, आपको याद होगा जब फेसबुक ने कैम्ब्रिज एनालिटिका को 5 लाख डेटा दे दिया था भारत का, उस वक्त मैंने ही सीबीआई जांच के लिए कहा था, बाद में वो कंपनी ही बंद हो गई थी, क्या कोई ऐसी खुराफात कर रहा है जिससे आतंकवाद आगे बढ़ रहा है, महिला की इज्जत पर बात आ रही है, रेप दिखाया जा रहा है, दंगे बढ़ाए जा रहे हैं, उस वक्त निजता होगी या लोगों की सुरक्षा।
सवाल- लेकिन व्हाट्सएप और फेसबुक आपस में जुड़ी हुई कंपनियां हैं, उनके डेटा शेयर करने से क्या नुकसान हो जाएगा?
रविशंकर प्रसाद - दोनों जुड़ी हुई कंपनियां भले हो, लेकिन आप तो व्हाट्सएप कर रहे हैं ना? व्हाट्सएप अलग है जिस पर आप मैसेज करते हैं वो आप किसी दूसरे को कैसे दे सकते हैं? तब तो कई आपकी सिस्टर कंपनियां होंगी। हमारा साफ कहना है इन चार चीजों को ले कर जो लोगों के बीच है, अगर उसमें कोई अपराध होता है तो उस अपराध को लेकर आपको उसका ओरिजिन बताना होगा। रजत जी, आप मुझे ये बताएं कि दिल्ली में जो सीएए के वक्त दंगे हुए थे, उनमें व्हाट्सएप के भडकाऊ संदेशों का रोल था या नहीं? लोग मारे गए, चीजों का नुकसान हुआ...
सवाल- आपकी बात सही है बहुत जगहों पर मॉब लिंचिंग की घटना हुई, व्हाट्सएप से जो मैसेज फैले उसकी वजह से हुए., आपकी ये बात ठीक है।
रवि शंकर प्रसाद- रजत जी, मेरे पास तो सारी खबरें आती हैं। दक्षिण भारत में एक महिला को जला कर मार दिया गया, क्योंकि व्हाट्सएप पर एक मैसेज वायरल हो गया था कि वो बच्चा चोरी करने वाली है। क्या ये सच्चाई है? अब आप बताएं एक मां जो मेरे पास रोज कहती है की मेरी बेटी का एक्स ब्वॉयफ्रेंड उसकी गलत फोटो को लोगों तक पहुंचा रहा है तो क्या मुझे खामोश रहना चाहिए? ये बड़े सवाल हैं। आपने ट्विटर की बात की, भारत की डिजिटल संप्रभुता पर हम समझौता नहीं करेंगे। ट्विटर लद्दाख को चीन का हिस्सा बता कर मैप चला देगा? 10 दिन लगाएंगे उसको हटाने में? वाशिंगटन में व्हाइट हाउस पर हमला होने पर ट्रंप का एकाउंट बंद कर देते हैं। भारत में लोग जब किसान आंदोलन पर तलवार लहराते हुए चढ़ जाएंगे लाल किले पर और पुलिस पर हमला करेंगे तो कहेंगे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हैं? लाल किला भी हमारा गौरव है, प्रधानमंत्री जी वहां झंडा फहराते हैं, ये है दौहरे मापदंड।
सवाल- लेकिन ट्विटर को लेकर आपने बहुत सख्त भाषा का प्रयोग किया है। आपने कहा कि भारत को बदनाम करने की कोशिश की गई।
रवि शंकर प्रसाद - तो और क्या किया गया? ये हैशटैग मोदी क्या था? उसमें बाहर से टूलकिट आया था या नहीं? आप मुझे बताएं। आपने खुद दिखाई थी खबर, लगभग सौ, सवा सौ करोड़ इन सब प्लेटफार्म के यूजर हैं भारत में। आप भारत में व्यापार करें, लोगों को बोलने का अधिकार दें, हम उसके ख़िलाफ़ नही हैं। भारत के प्रधानमंत्री की, रवि शंकर प्रसाद की, सबकी आलोचना कर सकते हैं, लेकिन अगर आप भारत के संबंध में दोहरे मापदंड लगाएंगे तो नहीं चलेगा। आपको भारत का कानून मानना पड़ेगा। भारत का संविधान मानना पड़ेगा। ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह नही चलेगा। लोग कहते थे, कहां शिकायत करे? न कोई नाम है, न नम्बर है।
सवाल - ट्विटर के लोग कह रहे हैं कि सरकार उनको पुलिस के जरिए डराने-धमकाने की कोशिश कर रही है।
रविशंकर प्रसाद - दिल्ली पुलिस इसका जवाब दे चुकी है। कांग्रेस पार्टी ने एक शिकायत की टूलकिट के ख़िलाफ़। अब वो इससे भाग रहे हैं, उसकी जांच चल रही है। भारत के कानून के अनुसार अगर किसी चीज में जांच चल रही है तो किसी भी संस्था या व्यक्ति का काम है उसमें सहयोग करें। तो पुलिस ने उनको धमकाया नहीं बल्कि जा कर पूछा कि अगर आपके पास कुछ है इस बारे में, तो आकर बताएं। जांच में सहयोग क्यों नही करेंगे?
सवाल - अगर ऑफिस में पुलिस आएगी तो क्या डरेंगे नहीं?
रविशंकर प्रसाद - पुलिस ने आपको समन दिया। आप पेश नहीं होते हैं तो पुलिस आपको समन के बारे में बताती है तो इसमें क्या गलत है? मैं फिर कहता हूं, ट्विटर सहित सारे लोग, भारत में व्यापार करें, स्वागत है, लेकिन भारत का संविधान और कानून मानना पड़ेगा.
सवाल- मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं, भारत में अगर काम करेंगे तो संविधान मानना पड़ेगा. कानून मानना पड़ेगा, बात सही है आपकी, लेकिन ट्विटर ने कहा कि उन्होंने बहुत सारे फैक्ट चेकर रखे हुए हैं, वो फैक्ट्स की जांच करते हैं...
रविशंकर प्रसाद - अब देखिए रजत जी, आप ने बात शुरू की है तो मुझे बोल लेने दीजिए. ट्विटर एक प्लेटफ़ॉर्म है न? लगभग 2 करोड़ इसके यूजर्स हैं और जनता के विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, तो आप प्लेटफ़ॉर्म हैं तो आप विचारों के पर भी काटते हैं, उनको रेगुलेट भी करते हैं, किसके कहने पर? फैक्ट चेकर? जरा एक बार रजत जी आप अपनी टीम से जांच करा लीजिए कि इनके फैक्ट चेकर कौन-कौन हैं और इनको पैसे कहां से आते हैं? क्या फैक्ट चेकर बनने के लिए मोदी जी से घृणा करने वाला होना जरूरी है क्या? अब मैं किसी का नाम नहीं लूंगा, लेकिन इनके बहुत सारे फैक्ट चेकर्स की प्रोफाइल को जाकर जांचिए. उनका एक मात्र यही मकसद है कि हमें मोदी जी की आलोचना के लिए क्या करना है, और इनको जो फंड करने वाले हैं, उनमें कितने तो भारत विरोधी गतिविधियों में खुलेआम शामिल हैं। तो आप ये मुझे बताइए कि आप किसको नियुक्त करते हैं? उमका नाम क्या है? उनका फोन नंबर क्या है? उनको नियुक्त करने के उनके मानक क्या हैं? कुछ नहीं है पब्लिक में और कह देंगे हमने टेस्ट करा लिया। आप मुझे बताइए आप भी तो ब्राडकास्टर एसोसियएशन के अध्यक्ष हैं? आपका नाम पब्लिकली नोन है न? किसी को कोई शिकायत होती है तो आपके पास आता है न? अच्छी बात है, कोई सही हुआ तो आप कार्यवाही करते हैं कोई गलत हुआ तो आप उसको रिजेक्ट करते है।
सवाल - सही है, बल्कि हम तो लोगों को बताते हैं कि जो ये वायरल मैसेजेज होते हैं, या ट्विटर पर कोई गलत चीज़ होती है उसका फैक्ट चेक करके बताते हैं कि ये गलत है इस पर भरोसा करो, इस पर भरोसा मत करो. बहुत सारे लोग रोज़ पूछते हैं कि बता दीजिये कि ये सही हैं या गलत।
रविशंकर प्रसाद - तो मैं फिर पूछूंगा कि रजत शर्मा जी को भी सोशल मीडिया के लिए फैक्ट चेकर रखना पड़ता है कि ये फेक न्यूज है या सही न्यूज है। ये सब उसी के लिए हुआ है और सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसले दिए हैं, 2018 में और 2019 में. एक प्रांजल में, दूसरा फेसबुक का केस है जिसमें 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा कि आतंकवाद, महिला की गरिमा इत्यादि के मामले में ओरिजन आफ मैसेज बताना चाहिए जिनसे हिंसा या अपराध हो रहा है ये सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। संसद में 2018 में सांसदों ने मुझसे कमिटमेंट लिया था कि फेक न्यूज, महिलाओं के अपमान, बच्चों की यौन हिंसा, इस पर कार्रवाई होगी. इस पर मैंने आश्वासन दिया था. वेंकैया नायडू जी ने राज्य सभा के लोगों के आग्रह पर एक ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री कमेटी बनाई थी, तो कोर्ट की अनुशंसा, संसद की अनुशंसा, व्यापक चर्चा...सब कुछ हुआ। मैं आपसे फिर एक सवाल करता हूं रजत जी, आप तो फैक्ट चेकर रखते हैं, अगर एक माँ पीड़ित होकर देश के आईटी मंत्री से कहती है कि मेरी यंग बिटिया का एक्स ब्वॉयफ्रेंड उसकी सारी तस्वीरों को वायरल कर रहा है कुछ करिए. तो मैं क्या कहूँ कि कुछ नहीं कर सकता? ये है बड़ा सवाल, तो इसके लिए हमें कानून लाने की जरुरत नहीं थी। इनको स्वयं ये करना चाहिए था, तो उन्होंने अपना एक मानक बना रखा है मैनिपुलेटेड कौन है, कौन नहीं है। लद्दाख को अगर आप चीन का अंग बताएंगे तो कैसे चलेगा। ट्विटर का काम था कि उसकी तहकीकात करता।
सवाल - इम्प्रेशन ये है कि क्योंकि उन्होंने बीजेपी के लीडर्स को मैनिपुलेटेड कह दिया, उनके अकाउंट को मैनिपुलेटेड करार दे दिया, इसलिए आप इतने नाराज़ हो गए और उनकी जो अभिव्यक्ति की आज़ादी है उसको छीनना चाहते हैं?
रविशंकर प्रसाद - मैं फिर बहुत विनम्रता से आपसे कहूंगा कि 25 फरवरी को जब हम गाइडलाइन्स लाए तो क्या कोई टूलकिट था क्या? कोई विषय था क्या? क्या हमने खाली ट्विटर पर ये कानून लगाया है या सब सोशल मीडिया पर लगाया है? और आप जानते हैं सब कम्प्लाई कर चुके हैं, भारतीय भी कम्प्लाई कर चुके हैं, कू भी कम्प्लाई कर चुके हैं. फिर मैं कहता हूं, मुझे दोहरे मानकों से बहुत ही पीड़ा हुई है। ये तो ट्विटर का, फेसबुक का, स्वयं का काम था। आज मैं आपको एक और उदाहरण दूं कि ये हमारे जो मार्क जुकरबर्ग हैं इन्होंने 2015 में लाया था, फ्री बेसिक, मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं, बहुत अच्छा काम किया है उन्होंने दुनिया में, टैलेंटेड व्यक्ति हैं। मैं 4-5 बार मिल चुका हूं तो उन्होंने कहा कि मैं इसे अनुमति दे दूं, मैंने कहा देखूँगा। मैंने मालूम किया, रजत जी, तो फ्री बेसिक होने के लिए उनके दरवाजे से घुसना जरुरी है, हमने कहा, नहीं, भारत लोकतंत्र है, भारत कई दरवाजों में विश्वास करता है, हम एक दरवाजे से ही सबको घुसने की इजाजत नहीं देंगे और मैंने उनको परमिट नहीं किया। डिजिटल इंडिया के अंतर्गत, रजत जी, हमने समावेशी डिजिटल भारत का आग्रह किया है तो ये हमने एक सर्वमान्य मानक बनाया है। सभी को एक स्वर से देखने के लिए। मैं ज्यादा ट्विटर का नाम नहीं लूंगा। देखिये आपने बात की तो फिर एक बात मैं कहना चाहता हूं और बहुत विनम्रता से कहना चाहता हूं, जो मैंने कल कहा था एक विदेश की कंपनी जो एक प्रॉफिट प्राइवेट कंपनी है मुझे इसपर आपत्ति नहीं है, वो हमें, भारत के लोकतंत्र को बोलने की आज़ादी की नसीहत कृपा कर के नहीं दें, ये भारत के संविधान से आता है, भारत की परंपरा , संविधान से आता है, भारत की न्यायपालिका है... आप हमसे सवाल कर रहे हैं कि नहीं कर रहे हैं. आपकी इस आज़ादी का हम सम्मान करते हैं।
सवाल - लोगों में बात जा रही है कि जो सरकार का विरोध करेगा, उसका मुंह बंद कर दिया जाएगा...
रविशंकर प्रसाद- ये बिल्कुल बेबुनियाद है। इस सरकार में नरेंद्र मोदी हैं, स्वर्गीय अरुण जेटली, स्वर्गीय सुषमा स्वराज जैसे लोग रहे हैं , वेंकैया नायडू, राजनाथ सिंह, रवि शंकर जैसे लोग हैं और मीडिया में रजत शर्मा। ये वो लोग हैं जिन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया था, लाठियां खाई थी, जेल गए थे, किसके लिए? मीडिया की आजादी के लिए, लोगों की आजादी के लिए गए थे, तो हम लोग लोकनायक जयप्रकाश के नेतृत्व में लोगों की आजादी के लिए लड़ने वाले लोग हैं, तो अब जहां कहा जा रहा है कि उनकी बातों को कुचला जा रहा है तो मैं बस हंस कर एक ही बात कहूंगा कि हमारे प्रधानमंत्री पर तो पिछले 20 साल से कितने प्रायोजित आरोप लगाए गए, दुनिया भर से लगाए गए क्योंकि कुछ लोगों का एक ही काम है “हेट मोदी”, तो ठीक है जनता हमे बार-बार जिता देती है तो हम क्या करें? आपने बात की ट्विटर की। सिंगापुर वेरिएंट का नाम ट्विटर पर आया, उन्होंने विरोध किया, आपने 1 घंटे में हटा दिया। ये मोदी वेरिएंट कोरोना की दूसरी लहर को बताया गया, आप उसको वायरल कर रहे थे, कांग्रेस के नेता कर रहे थे, आज क्या कहा राहुल गांधी ने, मोविड.. क्या मतलब है इसका? इसे रोकना ट्विटर का काम है। WHO ने इसका जो नाम दिया है उसका उपयोग करे। तो क्या हमें ये बताने की जरुरुत है? हमें नोटिस निकालना पड़ा उसके बाद भी उनको 3-4 दिन लगे उसे ठीक करने में। ये सवाल आज उठाएंगे...
सवाल - लेकिन राहुल गांधी तो रोज ट्विटर का ही इस्तेमाल कर रहे हैं, आज भी उन्होने कहा मोदी जी नौटंकी कर रहे हैं वैक्सीन को लेकर...
रविशंकर प्रसाद - कुछ लोग ट्विटर से राजनीति करते हैं और आज वही लोग ट्विटर पर राजनीति कर रहे हैं।जनता उनको बार-बार हरा देती है तो उन्हे अपनी खीज निकालने दीजिए, लेकिन आज जैसे शब्दों का प्रयोग उन्होंने किया बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है..
सवाल - लेकिन ट्विटर ने एक बात कही है कि बहुत सारे ऐसे अकाउंट है जिन्हे आपने दबाव डाल कर ब्लॉक करवाया था.. क्या ये सही है?
रविशंकर प्रसाद - आईटी एक्ट 69 में इसका प्रावधान है, और ये मनमोहन सिंह की सरकार के वक्त ही लाया गया था.. रजत जी, एक बार आप मेरे साथ चाय पीने आइये, मैं आपको ऐसे ट्वीट दिखा दूंगा और फिर आप ही मुझे बताना कि देश के IT मंत्री के रुप में मुझे क्या करना चाहिए? दंगे भड़कने दें? लोगों के बीच झगड़े होने दें? देश के लिए गलत होने दें? आजकल लोगों का काम हो गया है ट्विटर पर संपादकों की आलोचना, सब की आलोचना करना, जजों की आलोचना, नेता तो रोज ही गाली खाते हैं, कोई नया बिजनेस शुरु करता है तो उसके प्रतिद्वंद्वी उसकी इतनी आलोचना करते हैं कि वो पहले ही बैठ जाता है। वो शिकायत करते हैं कि हम जाएं तो जाएं कहां। मैं फिर कह रहा हूं, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 प्रांजल केस में कहा था - frame the guidelines quickly... फेसबुक केस में कहा origin को ट्रेस करने की खुराफात किसने शुरू की, बताएं.. तो पूरी चर्चा की गई।
सवाल- आप सही कह रहे हैं.. बहुत सारे फेक अकाउंट होते हैं जिसके बारे में कोई नहीं जानता, कोई भी फेक अकाउंट बना कर किसी को भी गाली दे सकता है, क्या अब इस पर रोक लगेगी?
रविशंकर प्रसाद- मैंने खुद इस पर चर्चा की है। हमने कहा है कि आप को यूजर के वेरिफिकेशन का तंत्र खड़ा करना पडेगा, सरकार नही हैं इसमें, वो चाहे तो उसे वेरीफाई करवा सकते हैं। जिनका अकाउंट वेरीफाई हो गया उसे टिक कर दें जिससे सब समझ सकेंगे कि इनका अकाउंट वेरीफाईड है। लोगों को भी समझ आएगा कि जो बड़ी-बड़ी मूंछें लगा कर बाते करते है वो सज्जन कौन हैं? और जिन्होंने नहीं करवाया उनका अलग ही पता चल जाएगा। एक ग्रिवान्स अफसर, एक कंप्लायंस ऑफसर, और एक नोडल अफसर, इनको रखने के लिए कोई यूपीएससी जैसी तैयारी करनी पड़ती है क्या। आप प्राइवेट कंपनियां हैं, आराम से रख सकते हैं, हमने कहा शिकायत हो, आप 15 दिन में उसका निपटारा कर दें, आप अकाउंट ब्लाक करते हैं तो उसकी सुनवाई कर लीजिए, इसमें सरकार कहीं नहीं है।
सवाल - आपकी बात सही है। जैसे न्यूज ब्रॉडकास्टर्स के लिए NBSA बनी है। कोई भी शिकायत होती है वो ग्रिवान्स अफसर के पास जाती है जिसके लिए हमें जवाब देना ही होता है, एक इंडिपेंडेंट जज फ़ैसला करते हैं, उसी तरह से यहां भी होना चाहिए।
रविशंकर प्रसाद- इसके लिए हमे कानून लाने की जरुरत थी क्या? मुझे अच्छा लगता है गांव-गांव में लोग फोन इस्तेमाल करते है, आज कोरोना में हम करोड़ो मैसेज भेजते हैं, मुझे अच्छा लगता है, लेकिन उन्हे शिकायत हो तो वो अमेरिका जाएं? भारत को आप क्या समझते हैं?
सवाल- ये तो पूरी दुनिया में है और बाकी देशों के कानूनो का तो ये पालन करते हैं..
रविशंकर प्रसाद- वो सब का समर्थन करते है, अभी बहुत दबाव पड़ा तो यहाँ भी उन्होने एक ग्रीवान्स ऑफिसर बनाया, पता है कहां बनाया? आयरलैंड में. जिसके नाम तक का नही पता है , आपने खुद बता दिया। कानून ये है कि आप अपने किसी स्टाफ को लाए जिसे आपके सिस्टम का पता हो, कि उसे शिकायत का समाधान करना है। ट्वीटर ने किसको बना दिया? एक वकील को , ये कानून का पालन है क्या? आप भारत में खूब पैसा कमाएं , आपके यूजर सरकार की खूब आलोचना करें, उसका सम्मान है, लेकिन भारत का संविधान मानना पड़ेगा और कानून मानना पड़ेगा। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 28 मई, 2021 का पूरा एपिसोड