ब्रिटेन की एक अदालत ने सोमवार को शराब कारोबारी और आर्थिक भगोड़े विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण की अनुमति दे दी। अदालत ने माल्या का केस भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर कार्रवाई के लिए गृह सचिव के पास भी भेज दिया। अदालत ने माल्या के वकीलों के उस दावे को भी खारिज कर दिया कि भगोड़े कारोबारी का भारत में राजनीतिक उत्पीड़न किया जा सकता है। माल्या को ऊपरी अदालत में अपील दायर करने के लिए दो सप्ताह दिए गए हैं।
अदालत के आदेश की तारीफ करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक ट्वीट में लिखा, ‘भारत के लिए महान दिन। भारत के साथ धोखाधड़ी करने वाला कोई भी खुला नहीं घूम सकता। ब्रिटेन की अदालत का फैसला स्वागत योग्य है। एक दोषी जिसे यूपीए सरकार के दौरान फायदा हुआ, उसे एनडीए की सरकार ने कटघरे में पहुंचाया है।’ अरुण जेटली की ये बात पूरी तरह सही है कि यदि सरकार की नीयत साफ है, तो देश का पैसा लेकर भागे अपराधी कुछ समय के लिए तो छिप सकते हैं, लेकिन कानून के दायरे से ज्यादा देर तक बाहर नहीं रह सकते।
वेस्टमिंस्टर मैजिस्ट्रेट की अदालत ने माल्या की दलीलों और सीबीआई के सबूतों को ध्यान से देखा और विजय माल्या के खिलाफ फैसला सुनाया। माल्या पर भारतीय बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये बकाया है और इसकी देनदारी से बचने के लिए वह इंग्लैंड फरार हो गए। माल्या सोच रहे होंगे कि वह ब्रिटेन के नागरिक बन जाएंगे और आराम से लंदन में रहेंगे, लेकिन आज उन्हें यह बात समझ आ गई होगी कि कानून के हाथ उनकी सोच से ज्यादा लंबे हैं।
यदि माल्या को निचली अदालत के आदेश पर अपर कोर्ट में स्टे मिल जाता है तो उन्हें थोड़ी देर के लिए राहत मिल सकती है और प्रत्यर्पण में थोड़ा और वक्त लग सकता है, लेकिन इतना तो तय है कि भविष्य में कभी न कभी उन्हें भारत की अदालत के सामने पेश होना ही पड़ेगा। माल्या भी यह बात जानते हैं इसीलिए आजकल उनके सुर कुछ बदले हुए हैं। ये वही माल्या हैं जो पहले सीना चौड़ा करके कहते थे कि बैंकों ने उन्हें चोर और ठग घोषित कर दिया है और उन्हें सरकार की कोई परवाह नहीं, इसलिए अब वह फूटी कौड़ी भी वापस नहीं करेंगे। वही माल्या अब बार-बार बैंकों से लिए गए कर्जे का पूरा मूलधन चुकाने की बात कर रहे हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि आज नहीं तो कल उनका प्रत्यर्पण हो जाएगा और इसके बाद मुंबई की आर्थर रोड सेंट्रल जेल की किसी बैरक में उनका ठिकाना होगा।
विजय माल्या के सफल प्रत्यर्पण का बड़ा राजनैतिक मतलब भी होगा। इसी महीने ऑगस्टा वेस्टलैंड के बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को यूएई से भारत लाया गया और अब वह न्यायिक हिरासत में है। अब विजय माल्या की बारी है। इसके अलावा विदेश में छिपे बैठे दो अन्य भगौड़ों नीरव मोदी और मेहुल चौकसी पर भी शिकंजा कसता जा रहा है। अब यह साफ है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार को एक बड़ा मुद्दा बनाएंगे। वह लोगो को बताएंगे कि कैसे उनकी सरकार ने देश का पैसा लेकर भागने वाले कारोबारियों को पकड़ कर वापस लाने का काम किया। यह उनकी सरकार के लिए एक बड़े प्लस पॉइंट के रूप में काम कर सकता है। (रजत शर्मा)
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