फ्रांस से 36 राफेल विमान सौदे को लेकर संसद सत्र के आखिरी दिन नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पटल पर रखी गई। यह रिपोर्ट साफ कहती है कि 2007 में यूपीए सरकार द्वारा किये गए सौदे से 2.86 फीसदी कम कीमत पर 36 विमानों की खरीद की गई, जबकि मोदी सरकार ने 9 फीसदी कम कीमत में खरीद का दावा किया था।
फ्रांस की सरकार के साथ राफेल विमान सौदे के व्यापक मूल्यांकन के बाद रिपोर्ट में कहा गया है कि राफेल सौदा कीमत के मामले में बेहतर था, लेकिन एनडीए सरकार यदि कुछ रियायतों की पेशकश नहीं करती तो यह सौदा और बेहतर हो सकता था।
अब जबकि राफेल सौदे पर सीएजी की रिपोर्ट आ चुकी है, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को चाहिए कि वह इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निंदा करना छोड़ दें।
कांग्रेस अध्यक्ष ने बुधवार को कहा कि इस रिपोर्ट का 'उस कागज जितना भी महत्व नहीं जिस पर यह लिखी गई है।' उन्होंने कहा, सीएजी ने वार्ता करने वाली समिति के सदस्यों की असहमति वाली टिप्पणियों को नजअंदाज किया जो साफ तौर पर कीमतों और इसकी डिलिवरी को लेकर सरकार की स्थिति का खंडन करता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट ने सरकार के रुख को दोषमुक्त किया है और 'इसने कांग्रेस द्वारा फैलाए जा रहे बड़े झूठ का पर्दाफाश भी किया है।'
अब जबकि राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सीएजी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, इससे साफ है कि वे राफेल को चुनावी मुद्दा बनाना चाहते हैं। राहुल किसी भी तरह से नरेन्द्र मोदी पर भ्रष्टाचार का दाग लगाना चाहते हैं। मुझे ये लगता है कि नरेन्द्र मोदी की कार्यप्रणाली में आप कमियां देख सकते हैं, आप उनकी नीतियों से असहमत हो सकते हैं, उनके बयानों की और उनके काम करने के तरीके की आलोचना भी कर सकते हैं, लेकिन नरेन्द्र मोदी को भ्रष्ट कहना या इस सौदे को लेकर उनकी ईमानदारी पर शक करना आम मतदाताओं के गले नहीं उतरेगा। (रजत शर्मा)
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