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Rajat Sharma’s Blog: पाकिस्तान का दोहरा चरित्र- हिंदुओं और मंदिरों पर हमले

पाकिस्तान में हिन्दू, सिख और ईसाई लड़कियों का अपहरण किया जाता है और उनसे जबरन इस्लाम कबूल करवा कर किसी मुस्लिम शख्स से उनकी शादी करा दी जाती है। मैं इस तरह के धार्मिक उत्पीड़न की ताजा घटना के बारे में बताता हूं।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : November 03, 2020 16:27 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

कराची के भीमपुरा इलाके में रविवार रात मुस्लिम कट्टरपंथियों क भीड़ ने शीतल मंदिर पर हमला कर दिया और तोड़फोड़ की। भीड़ में शामिल लोगों ने भगवान शिव और गणेश की मूर्तियां खंडित कर दी। देखते ही देखते कुछ मिनटों के भीतर पूरा पूजा स्थल मलबे में तब्दील हो गया। मंदिर में तोड़फोड़ पूरी साजिश के तहत की गई। भीड़ ने पहले इसी इलाके में फ्रांस में हुई घटना के विरोध में प्रदर्शन किया, इसके बाद कुछ लोगों ने एक हिन्दू बच्चे पर ईशनिंदा का आरोप लगा दिया और भीड़ को उकसाया। थोड़ी ही देर के बाद तोड़फोड़ शुरू हो गई। भीड़ ने इस प्राचीन मंदिर पर हमला बोल दिया। मूर्तियों को खंडित कर बाहर फेंक दिया। बाद में पता चला कि ईशनिंदा जैसी कोई बात नहीं है। कुछ लोगों ने झूठी अफवाह फैलाई थी।

जब बात फैली तो कराची में रहने वाले हिंदू भी इकट्ठे हुए और प्राचीन मंदिर में तोड़फोड़ के विरोध में ल्यारी इलाके में पहुंच कर प्रशासन और पुलिस से सुरक्षा की मांग की। लेकिन उसी वक्त वहां कुछ गुंडे पहुंच गए और पुलिस की मौजूदगी में प्रदर्शनकारियों को धमकाने लगे। गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी देने लगे।

पाकिस्तान में हिन्दुओं पर जुल्म और मंदिरों को तोड़ने की ये अकेली घटना नहीं है। पिछले 20 दिनों में मंदिर तोड़े जाने की ये तीसरी घटना है। इससे पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत में दो मंदिरों को तोड़ा गया। यहां भी वही हुआ जो पाकिस्तान में मंदिरों पर हर हमले के वक्त होता है। कुछ लोग आए और इस्लाम की तौहीन का इल्जाम लगाया, भीड़ जुटाई और मंदिर पर हमला कर दिया। सिंध में भी भीड़ ने मंदिर में रखी मूर्तियों को तोड़ दिया। मंदिर को भी नुकसान पहुंचाया गया। हिंदुओं की शिकायत के बाद पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है और जांच की बात कह रही है। लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।  इसके अलावा सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में भी मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी। कट्टरपंथियों ने मंदिर में रखी दुर्गा माता की मूर्ति को खंडित कर दिया था। लेकिन अभी तक किसी मामले में पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया है।

पाकिस्तान सरकार अपने यहां अल्पसंख्यकों की रक्षा कर पाने में बुरी तरह नाकाम रही है। यहां के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में सदस्य के तौर पर एक भी अल्पसंख्यक नहीं है। पाकिस्तान में हिंदू, सिख, शिया, अहमदिया और ईसाई अल्पसंख्यक डरे हुए हैं। पुलिस की तरफ से भी उन्हे सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जा रही है। पिछले एक साल में सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों के जबरन धर्म परिवर्तन, हिंदू लड़कियों का अपहरण और जबरन शादी, धार्मिक स्थलों पर हमले के कई मामले सामने आए हैं। देश के बंटवारे के समय सिंध प्रांत में 428 हिंदू मंदिर थे। पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह संख्या अब घटकर केवल 20 रह गई है।

इसी साल अगस्त महीने में कराची के ल्यारी इलाके में एक निर्माण स्थल पर पाकिस्तान के एक बिल्डर ने 1947 से पहले के एक पुराने हनुमान मंदिर को खुलेआम ध्वस्त कर दिया। बिल्डर ने कोरोना की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए यह दावा किया कि चूंकि इस मंदिर में कोई श्रद्धालु नहीं आता था इसलिए उसने मंदिर ध्वस्त करने का फैसला किया। वहीं जुलाई में इस्लामाबाद में धार्मिक कट्टरपंथियों ने निर्माणाधीन श्री कृष्ण मंदिर की चारदीवारी को ढहा दिया। उनका कहना था कि इस्लामिक देश की राजधानी में मंदिर के निर्माण की क्या ज़रूरत है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पूरी दुनिया में शोर मचा कर कहते फिरते हैं कि भारत में मुसलमानों के साथ बुरा सलूक होता है। इमरान अपने देश में अल्पसंख्यकों को संरक्षण देने का दावा करते हैं। इमरान कहते हैं कि वे दुनिया में अमन के चीयर लीडर बनेंगे। दुनिया को दिखाएंगे कि कैसे पाकिस्तान में सभी मजहबों के लोगों का सम्मान होता है। सभी को अपने मजहब के हिसाब से जीने की पूरी आजादी है। लेकिन इमरान खान की बातें झूठी साबित हुई। सिंध में हाल ही में भील और मेघवाल समुदायों के हिन्दुओं के घरों को भीड़ ने जला दिया। सिंध में सितंबर महीने में भील समुदाय के 171 हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन किया गया। उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर कर दिया गया।

पाकिस्तान में हिन्दू, सिख और ईसाई लड़कियों का अपहरण किया जाता है और उनसे जबरन इस्लाम कबूल करवा कर किसी मुस्लिम शख्स से उनकी शादी करा दी जाती है। मैं इस तरह के धार्मिक उत्पीड़न की ताजा घटना के बारे में बताता हूं। पिछले दिनों 13 साल की ईसाई बच्ची को अगवा कर लिया गया। माता-पिता पुलिस के पास गए लेकिन कुछ नहीं हुआ। फिर इन लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत में सुनवाई हुई तो कोर्ट में बच्ची का वीडियो दिखाया गया। बताया गया कि लड़की ने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल कर लिया है और लड़की अब अपने शौहर के साथ है। अदालत ने बच्ची को माता-पिता के हाथों में सौंपने के बजाए उसे 44 साल के उस शख्स के हवाले करने का आदेश दिया जिसके साथ उसकी शादी का दावा किया गया। किसी माता-पिता पर इससे बड़ा जुल्म क्या हो सकता है? एक 13 साल की बच्ची के साथ इससे ज्यादा नाइंसाफी क्या हो सकती है? लेकिन इमरान खान इस पर कुछ नहीं बोलेंगे। फ्रांस में इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ हो रहे एक्शन पर बहुत उन्हें एतराज है और वो उसकी पुरजोर निन्दा करने की बात कहते हैं।

सोचने वाली बात ये है कि फ्रांस में जो हुआ उससे हिन्दुओं का क्या लेना-देना? फ्रांस में पैगम्बर मोहम्मद साहब का कार्टून बनाने पर विवाद हो रहा है और हिंसा हो रही है। वहां हिंसा करने के वालों के खिलाफ फ्रांस की सरकार एक्शन ले रही है, इससे पाकिस्तान के मुसलमान नाराज हैं और इसका बदला पाकिस्तान में गिने-चुने बचे हिन्दुओं से लिया जा रहा है। पाकिस्तान में मंदिर तोड़े जा रहे हैं, सिखों और ईसाइयों को निशाना बनाया जा रहा है।

उधर पड़ोसी देश बांग्लादेश के कोमिला जिले के मुरादनगर के पास कुर्बानपुर गांव में कट्टरपंथियों की भीड़ ने रविवार को 10 हिंदू परिवार के घरों में तोड़फोड़ की। कट्टरपंथियों की भीड़ ने तोड़फोड़ करने के बाद घरों में आग लगा दी। हमले की वजह सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे। पता चला कि हमले से पहले ये अफवाह फैलाई गई कि फ्रांस में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की तरफ से इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ जो एक्शन हो रहा है उसकी तारीफ करते हुए एक बांग्लादेशी युवक ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी। इस पोस्ट पर हिन्दू युवक ने कमेंट किया। ये अफवाह तेजी से फैली। भीड़ जुटी और हिन्दू बस्ती में आगजनी  और तोड़फोड़ शुरू कर दी। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये है कि भीड़ ने जिन लोगों के घरों पर हमला किया, जिन लोगों के घर जला दिए, पुलिस ने उन्ही लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। 2 लोगों को धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया जिसमें एक स्कूल हेडमास्टर भी शामिल है।

इस घटना को लेकर फैली नाराजगी के बाद बांग्लादेश के गृह मंत्री ने दावा किया कि आगजनी और दंगा करने के आरोप में 5 लोगों को हिरासत में लिया गया है। हालात को नियंत्रण में रखने के लिए कुर्बानपुर और आंदिकोट गांवों में पुलिस तैनात की गई है।

हाल के दिनों में बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरवाद तेजी से फैला है। यहां पुलिस-प्रशासन को धर्म के नाम पर आगजनी और तोड़फोड़ में लिप्त होने वालों से सख्ती से निपटना चाहिए। हालांकि हज़रत मोहम्मद साहब को लेकर फ्रांस में जो हुआ, उन्हें मानने वालों की भावनाओं को जो ठेस पहुंचायी गई वो गलत है, ऐसा नहीं होना चाहिए। ये तो इसलाम भी नहीं सिखाता कि किसी की हत्या की जाए। कोई धर्म नहीं सिखाता कि किसी इंसान की हत्या कर दूसरे धर्म के लोगों को निशाना बनाया जाए। पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जुल्म कर इस्लामिक जिहादी इस मुद्दे का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह की चालों को सफल होने से रोकना होगा। पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमला करने वाले के खिलाफ पूरी दुनिया को आवाज उठानी चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 02 नवंबर, 2020 का पूरा एपिसोड

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