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Rajat Sharma’s Blog: आसमानी बिजली की चपेट में आने से बचने के लिए क्या करें और क्या न करें

बिजली गिरने से लगभग 78 प्रतिशत मौतें तब होती हैं जब लोग बारिश से बचने के लिए किसी पेड़ के नीचे खड़े हो जाते हैं।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: July 13, 2021 17:32 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में सोमवार को कुदरत ने जमकर कहर बरपाया। अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से इन दोनों राज्यों में काफी नुकसान हुआ, लेकिन कई राज्यों में बिजली गिरने से लोगों की मौत की खबरें सबसे ज्यादा परेशान करने वाली रहीं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में रविवार रात बिजली गिरने से 74 लोगों की मौत हो गई। इसे हाल के दिनों में वज्रपात की सबसे भीषण आपदाओं में से एक बताया जा रहा है।

जयपुर के पास स्थित 12वीं सदी के ऐतिहासिक आमेर किले में 11 पर्यटकों की जान चली गई। वे रविवार की शाम किले के वॉच टावर से सेल्फी ले रहे थे, तभी वहां 2 बार बिजली गिरी। इस हादसे में अपनी जान गंवाने वाले लोगों में पंजाब के छेहरता के भाई और बहन भी शामिल थे। चश्मदीदों के मुताबिक, पर्यटक बारिश से खुद को भीगने से बचाने के लिए वॉच टावर के अंदर जमा हो गए थे। जब बिजली गिरी तब वॉच टावर के अंदर 30 लोग मौजूद थे। जयपुर में हुई इस त्रासदी के अलावा रविवार की शाम उत्तर प्रदेश के 16 अलग-अलग जिलों में 41 लोगों की मौत हो गई।

रविवार को राजस्थान के जयपुर, कोटा, झालावाड़, बारां, धौलपुर, सवाई माधोपुर और टोंक, उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी, कानपुर, प्रयागराज, फिरोजाबाद, आगरा, उन्नाव, प्रतापगढ़, वाराणसी और रायबरेली, और मध्य प्रदेश के शिवपुरी, श्योपुर, अनूपपुर, बैतूल और ग्वालियर में बिजली गिरने से लोगों की मौत की खबरें सामने आईं। इन सभी जगहों पर इस समय बारिश का मौसम है, मॉनसून सक्रिय है, एक तरफ गर्मी और उमस है तो दूसरी तरफ हवा में नमी है और यह बिजली गिरने के लिए सबसे मुफीद माहौल हो सकता है।

आमेर के किले में हुई त्रासदी इस बात का ज्वलंत और सीख देने वाला उदाहरण है कि आसमान से बिजली गिरने पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। पर्यटकों की भीड़ किले की सबसे ज्यादा ऊंचाई वाली जगह (वॉच टॉवर) पर गई थी, और इसके आसपास घना जंगल भी था। उनमें से अधिकांश लोग अपने सेलफोन का इस्तेमाल कर रहे थे और सेल्फी ले रहे थे। यही सेल्फी उनका डेथ वॉरंट साबित हुई। आमतौर पर आसमानी बिजली जमीन पर सबसे ऊंची जगह से टकराती है और इसने बिजली के लिए सबसे ऐक्टिव कंडक्टर पॉइंट के रूप में काम किया।

सबक नंबर एक: वज्रपात के दौरान कभी भी अपने सेलफोन का इस्तेमाल न करें, और खुली जगह पर तो बिल्कुल न करें। आपका सेलफोन बिजली के लिए एक कंडक्टर का काम कर सकता है।

जब किसी के ऊपर बिजली गिरती है तो उसके शरीर का ग्लूकोज आयनाइज हो जाता है, उसके अंदर की एनर्जी खत्म हो जाती है, दिल को शॉक लगता है, दिल का धड़कना या तो बंद हो जाता है या बेहद धीमा हो जाता है, और सांसें उखड़ने लगती हैं।

सबक नंबर दो: बिजली गिरने के बाद यदि किसी शख्स के दिल की धड़कन बंद होने लगे तो उसे तुरंत CPR (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) दें। अगर व्यक्ति के हाथ-पैर ठंडे होने लगें तो उसकी हथेलियों और तलवे को जोर-जोर से रगड़ें। जब आमेर के किले में बिजली गिरी तो कई पर्यटक बेहोश हो गए और उनमें से कुछ बुर्ज से खाई में गिर गए। पुलिस और SDRF (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) के जवान मौके पर पहुंचे लेकिन अंधेरा होने के कारण बचाव कार्य में काफी दिक्कतें आईं।

सोमवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने इस घटना में बाल-बाल बचे साहिल को दिखाया था जिन्होंने बताया कि उस वक्त आखिर हुआ क्या था। जब पहली बार बिजली गिरी तो साहिल को कोई चोट नहीं आई थी। उन्होंने पुलिस को फोन किया और CPR देकर लोगों की मदद करने लगे। दुर्भाग्य से, जब दूसरी बिजली गिरी तो वह बेहोश हो गए और इस समय अस्पताल में भर्ती हैं।

इस त्रासदी हम सभी को एक सबक सीखना चाहिए: बिजली गिरने के दौरान कभी भी सेल्फी न लें। आपका सेल्फी पॉइंट आपकी मौत का पॉइंट बन सकता है। सेल्फी स्टिक विद्युत के अच्छे कंडक्टर के रूप में कार्य करती है और जब बिजली गिरती है तो ऐसे पॉइंट्स को तुरंत छूती है। ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ सेल्फी स्टिक से खतरा है। खतरा तो तब भी हो सकता है जब आप खुले आसमान के नीचे बारिश की फुहारों का मजा ले रहे हों। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में जिन लोगों की मौत हुई, उनमें से कोई बारिश से बचने के लिए पेड़ों के नीचे खड़ा था, कोई खेत में काम कर रहा था या कोई ऐसा छाता लेकर जा रहा था जिसमें मेटल का इस्तेमाल हुआ था।

कानपुर और उसके आसपास के जिलों में रविवार को बिजली गिरने से 18 लोगों की जान गई। प्रयागराज में 14 लोग मारे गए जबकि कौशाम्बी में 7, आगरा में 3, उन्नाव में 2 और प्रतापगढ़, वाराणसी एवं रायबरेली में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। बिजली गिरने से 250 से ज्यादा मवेशी भी मारे गए।

बिजली गिरने से लगभग 78 प्रतिशत मौतें तब होती हैं जब लोग बारिश से बचने के लिए किसी पेड़ के नीचे खड़े हो जाते हैं। बारिश के दौरान भीगी हुईं पेड़ों की टहनियां और शाखाएं बिजली के कंडक्टर का काम करती हैं और ‘साइड फ्लैश’ में पेड़ के पास खड़े इंसान को अपनी चपेट में ले लेती है। आमतौर पर आसमानी बिजली में एक हजार एंपीयर तक करेंट होता है और लाखों वोल्ट की पावर होती है। इसलिए जब बिजली पेड़ के जरिए धरती में जाती है तो आसपास के कई मीटर के दायरे को चार्ज कर देती है। इस दायरे में अगर कोई इंसान है तो उसे भी बिजली का झटका लगता है जो कि उसकी मौत के लिए काफी होता है।

वज्रपात की चपेट में आने से बचने के लिए क्या करें और क्या न करें: (1) आकाश में बिजली चमकने पर कभी बाहर न जाएं (2) बिजली गिरने से अकसर 2 जगहों पर जलने की आशंका रहती है, वह जगह जहां से बिजली के झटके ने शरीर में प्रवेश किया और जिस जगह से उसका निकास हुआ। आमतौर पर ये पैर के तलवे होते हैं, इन हिस्सों पर तुरंत ध्यान दें (3) अगर बादल गरज रहे हों, और आपके रोंगटे खड़े हो रहे हैं तो ये इस बात का संकेत है कि बिजली गिर सकती है, ऐसे में नीचे दुबक कर पैरों के बल बैठ जाएं, अपने हाथ घुटने पर रख लें और सर दोनों घुटनों के बीच, इस मुद्रा के कारण आपका जमीन से कम से कम संपर्क होगा (4) इस दौरान छाते या मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें, पेड़ के नीचे या खुले मैदान में न जाएं (5) भारी बारिश और वज्रपात के दौरान बिजली के उपकरणों जैसे टीवी, फ्रिज, एसी, माइक्रोवेव ओवन आदि को बंद कर दें (6) फर्श पर चलने के लिए सैंडल का इस्तेमाल करें, नंगे पैर न घूमें (7) ऐसी चीजों से भी दूर रहे जो बिजली गिरने पर इसके कंडक्‍टर की भूमिका में आ सकते हैं, जैसे बिजली के उपकरण और लोहे के पाइप आदि (8) दरवाजे की कुंडी या खिड़की के फ्रेम को न छुएं।

पिछले एक साल के दौरान भारत में बिजली गिरने की घटनाओं में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी पंजाब में देखने को मिली है, जहां पिछले साल की तुलना में वज्रपात के मामलों की संख्या साढ़े तीन गुना ज्यादा बढ़ी है। बिहार, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में भी पिछले साल की तुलना में वज्रपात के मामलों में दोगुनी वृद्धि हुई है। एक रिसर्च के मुताबिक, वैश्विक तापमान में एक प्रतिशत की वृद्धि से बिजली गिरने की संख्या में 12 प्रतिशत की वृद्धि होती है।

ऐसे में सावधानी बेहद जरूरी है। मैं आपको पहले ही बता चुका हूं कि घर पर आप अपनी सुरक्षा के लिए क्या कर सकते हैं और आपको क्या नहीं करना चाहिए। यदि आप वज्रपात के समय कार चला रहे हैं तो खिड़कियों के शीशे बंद कर दें और कार की छत या किसी मेटल पार्ट को न छुएं। खराब मौसम के थमने तक गाड़ी न चलाएं और किसी बिल्डिंग में जाने की कोशिश करें। बिजली गिरने के कुछ नैचुरल इंडिकेशंस हैं। वज्रपात के समय आपके रोंगटे खड़े हो सकते हैं और आपको शरीर में झुनझुनी या सिहरन महसूस हो सकती है। ऐसे में बचाव का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप तुरंत किसी बिल्डिंग में चले जाएं और मेटल की चीजों से दूरी बनाते हुए दुबक कर पैरों के बल बैठ जाएं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 12 जुलाई, 2021 का पूरा एपिसोड

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