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Rajat Sharma’s Blog: अफवाहों से बचें, वैक्सीनेशन को सफल बनाने के लिए एकजुट होकर काम करें

मैं सही सोच रखने वाले सभी भारतीयों से अपील करता हूं कि वे लोगों में कोरोना की वैक्सीन को लेकर जागरूकता फैलाएं और सभी तरह की निराधार अफवाहों का खात्मा करें।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : May 15, 2021 16:17 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

कोरोना वायरस के नए मामलों में शुक्रवार को कमी आई, और दूसरी तरफ वैक्सीनेशन के मोर्चे पर अमेरिका से कुछ अच्छी खबरें आईं। पिछले 24 घंटे में देशभर में कोरोना के 3,26,332 नए मामले सामने आए,  लेकिन कोरोना से मरनेवालों की संख्या अभी भी बहुत ज्यादा है। पिछले 24 घंटे में देश भर में 3,883 लोगों की मौत हो गई। कोरोना के नए मामलों में गिरावट तो दिख रही है लेकिन यह कह पाना अभी बेहद मुश्किल है कि कब यह संख्या तेजी से नीचे जाएगी।

 
प्रभावित राज्यों की बात करें तो कर्नाटक ने महाराष्ट्र को पीछे छोड़ दिया है। कर्नाटक प्रभावित राज्यों की लिस्ट में सबसे ऊपर आ गया है। यहां 24 घंटे में कुल 41, 779 नए मामले सामने आए जबकि 373 लोगों की मौत हो गई।वहीं महाराष्ट्र में 39,923 मामले सामने आए जबकि 695 लोगों की मौत हो गई। केरल 34,694 नए मामलों के साथ तीसरे नंबर पर है, यहां 93 मौतें हुईं। तमिलनाडु 31,892 मामलों के साथ चौथे नंबर पर है और यह 288 लोगों की जान चली गई। आंध्र प्रदेश में 22,018 नए मामले आए और 96 मौतें हुईं। प्रभावित राज्यों की लिस्ट में यह पांचवें स्थान पर है। ऐसा लगता है कि दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों को इस महामारी की दूसरी लहर ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है।
 
देश के पूर्वी हिस्से में पश्चिम बंगाल 20,846 नए मामलों और 136 मौतों के साथ सबसे ऊपर है । उत्तर प्रदेश में नए मामलों में कमी आई है। उत्तर प्रदेश में 15,747 नए मामले आए और 312 लोगों की मौत हुई है। राजस्थान में 14,289 नए मामले सामने आए और 155 मौतें हुईं, जबकि हरियाणा में 10,608 नए मामले और 164 मौतें हुईं। ये आंकड़े बताते हैं कि दूसरी लहर में थोड़ी गिरावट दिख रही है, लेकिन खतरा अभी बना हुआ है। दिल्ली में शुक्रवार को 8,506 नए मामले सामने आए और 289 मौतें हुईं। एक महीने में पहली बार ऐसा हुआ है जब दिल्ली में एक दिन में कोरोना के 10,000 से कम मामले दर्ज किए गए ।
 
भारत जहां कोरोना की तबाही झेल रहा है वहीं अमेरिका से अच्छी खबर ये आई कि वहां के लोगों को मास्क से मुक्ति मिल गई है। अब अमेरिका में मास्क लगाना जरूरी नहीं हैं। लोग बिना मास्क के भी बाहर निकलते सकते हैं, एक दूसरे से हाथ मिला सकते हैं, एक दूसरे को गले लगा सकते हैं। इसका ऐलान खुद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने किया।  बाइडन ने कहा-'यह बड़ी कामयाबी है।  अमेरिका के लिए बहुत बड़ा दिन है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन लगाने में हमारी असाधारण सफलता से यह संभव हुआ है।'
 
जब से कोरोना महामारी फैली है उसके बाद पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन  उपराष्ट्रपति कमला हैरिस सहित अपनी टीम के साथ  बिना मास्क के नजर आए। रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की नई गाइडलाइंस का जिक्र करते हुए बाइडन ने कहा कि वैक्सीन की पूरी डोज ले चुके लोगों को कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बहुत ही कम है। राष्ट्रपति ने कहा कि अगर आपने वैक्सीन की पूरी डोज ले ली है तो आपको मास्क पहनने की जरूरत नहीं है। आप बिना मास्क पहने या बिना सोशल डिस्टेंसिंग के भी बड़ी या छोटी इनडोर और बाहरी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। इस गाइडलाइन में अभी-भी भीड़भाड़ वाली जगहों जैसे बसों में, विमान, अस्पताल, जेल, शेल्टर होम में मास्क लगाने की अपील की गई है लेकिन जो लोग वैक्सीन की पूरी डोज ले चुके हैं उनके लिए सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत नहीं है। 
 
अमेरिका ने यह सफलता अपने आक्रामक वैक्सीनेशन अभियान की वजह से हासिल की। अमेरिका की कुल 33 करोड़ आबादी में से 10.5 करोड़ लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है। यानी 30 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। इन लोगों में एंटीबॉडी डेवलप हो चुकी है। धीरे धीरे हर्ड इम्युनिटी डेवलप हो रही है। बड़ी बात ये भी है कि अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने 12 साल और इससे ऊपर के बच्चों को भी फाइज़र की कोरोना वैक्सीन लगाने की इजाजत दे दी है। इसका मतलब है कि दफ्तर, कार्यस्थलों और स्कूलों को फिर से उनलोगों के लिए खोलने का रास्ता साफ हो जाएगा जो वैक्सीन की पूरी डोज ले चुके हैं।
 
अमेरिका में महामारी शुरू होने के बाद से कोरोना के मामले पिछले साल सितंबर के बाद से अब सबसे कम हैं, अप्रैल के बाद से मौतों की संख्या भी सबसे कम है, वहीं टेस्ट की पॉजिटिविटी रेट भी सबसे कम है। यही वजह है कि अमेरिका ने अपने उन नागरिको को मास्क नहीं पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग नहीं अपनाने की इजाजत दे दी है जो वैक्सीन की पूरी डोज ले चुके है। 
 
अमेरिका में वैक्सीनेशन प्रोग्राम 14 दिसंबर को शुरू हुआ था। पूरे 6 महीने में अमेरिका ने अपने दस करोड़ लोगों को वैक्सीनेट किया यानि बीस करोड़ वैक्सीन की डोज लोगों को दी गई। भारत में वैक्सीनेशन 16 जनवरी को शुरू हुआ था। चार महीने में यहां 18 करोड़ वैक्सीन डोज दी जा चुकी हैं। लेकिन हमारी जनसंख्या बहुत बड़ी है। अमेरिका के 33 करोड़ की तुलना में हमारे यहां 137 करोड़ से भी ज्यादा लोग है। हर्ड इम्युनिटी के लिए कम से कम 70 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट करना जरूरी है, इसका मतलब  वैक्सीन की 140 करोड़ डोज देनी होगी। यह आसान काम नहीं है।
 
केंद्र सरकार का दावा है कि इस साल के आखिर तक देश में कोरोना वैक्सीन की 216 करोड़ डोज उपलब्ध हो जाएंगी। वैक्सीन का प्रोडक्शन और सप्लाई बढ़ाने में पूरी ताकत लगा दी गई हैं। फिर भी सवाल तो यही है कि हमारे देश में कोरोना के खौफ से आज़ादी कब मिलेगी। कोई भी यह निश्चित तौर पर नहीं कह सकता कि हम कब अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।
 
जब तक लोग खुद वैक्सीन लगवाने के लिए आगे नहीं आएंगे, अफवाहों पर यकीन करेंगे, तब  तक कोरोना से मुक्ति की बात  हम कैसे सोच सकते हैं। इनमें अनपढ़,  पढ़े लिखे लोग, डॉक्टर और हेल्थ वर्कर्स भी शामिल हैं।  क्या आप यकीन करेंगे कि  आज भी हमारे देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जो कह रहे हैं कि कोरोना का टीका 'मौत का टीका' है। यह सरकार की साजिश है। कोरोना की वैक्सीन देकर लोगों को मारा जा रहा है। बिहार में कई जगहों पर वैक्सीनेशन के लिए गए स्वास्थ्यकर्मियों की ग्रामीणों ने पिटाई कर दी। ऐसे दृश्यों को देखकर मैं हैरान रह गया। एक तरफ बड़ी संख्या में लोग कोरोना से मर रहे हैं और दूसरी तरफ लोग वैक्सीन लेने को तैयार नहीं हैं।
 
मैंने राजस्थान, दिल्ली और बिहार में अपने रिपोर्टर्स से यह पता लगाने के लिए कहा कि गांवों और शहरों की झुग्गियों में रहने वाले आम कम पढ़े-लिखे या अनपढ़ लोग कोरोना वैक्सीन बारे में क्या सोचते हैं। वैक्सीन के बारे में आम लोगों से उन्हें जो प्रतिक्रिया मिली, और जो मैंने अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में शुक्रवार की रात दिखाई, वह चौंकाने वाली थी।
 
अजमेर से 14 किलोमीटर दूर स्थित केसरपुरा गांव में पिछले 10 दिनों में कोरोना से 15 लोगों की मौत हो चुकी है। 1,300 की आबादी वाले इस गांव में लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए राज्य सरकार ने हेल्थ वर्कर्स की एक टीम भेजी, लेकिन किसी भी गांववाले ने वैक्सीन नहीं लगवाई। इस गांव में वैक्सीन की सिर्फ एक डोज लगी, और वह भी एक हेल्थ वर्कर को। पास के ही लहरी गांव में भी ज्यादातर लोगों ने टीका लगवाने से मना कर दिया। इन गांवों में यह अफवाह फैला दी गई थी कि वैक्सीन लगवाने से मौत हो रही है। अजमेर जैसे अच्छी-खासी आबादी वाले जिले में वैक्सीन की सिर्फ 5 लाख डोज ही लग पाई हैं।
 
हमने अपने रिपोर्टर भास्कर मिश्रा को पूर्वी दिल्ली में अक्षरधाम के पास स्थित यमुना खादर इलाके की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों से बात करने के लिए भेजा। यहां के अधिकांश निवासियों का कहना था कि उन्होंने सुना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद लोग बीमार पड़ रहे हैं इसलिए उन्होंने टीका नहीं लगवाया। उनमें से कुछ ने कहा कि मेहनत-मजदूरी करने वाले लोगों को कोरोना नहीं होता, और केवल एसी में रहने और काम करने वाले ही वायरस के संक्रमण का शिकार होते हैं।
 
बिहार में मुंगेर जिले के अफजल नगर गांव में पिछले 15 दिनों में 10 लोगों की मौत हो गई। जिन लोगों की मौत हुई, उनमें कोरोना के लक्षण थे। हमारे संवाददाता ने बताया कि अब भी गांव के 100 लोग ऐसे हैं जिन्हें खांसी और बुखार जैसे लक्षण हैं, लेकिन न तो वे कोरोना टेस्ट करवाते हैं और न ही उनका वैक्सीन लगवाने में कोई इंटरेस्ट है। इसी तरह 10 हजार की आबादी वाले पास के खुदिया गांव में भी लोग टीका नहीं लगवा रहे। पता चला कि एक हफ्ते पहले यहां कोरोना की जांच और वैक्सीनेशन के लिए कैंप लगाया गया था। हेल्थ डिपार्टमेंट के लोग ग्रामीणों को समझाते रहे, लेकिन एक भी आदमी टीका लगवाने नहीं आया। गांव के कुछ लोगों का कहना था कि वैक्सीन लगवाएंगे तो शरीर पर छाले पड़ेंगे, त्वचा मांस से अलग होकर गिरने लगेगी और मौत हो जाएगी।
 
सिर्फ कम पढ़े-लिखे ग्रामीण ही नहीं, बल्कि अच्छे-खासे पढ़े-लिखे लोग भी वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार नहीं है। जब भारत ने स्वास्थ्यकर्मियों के लिए अपना टीकाकरण अभियान शुरू किया, तो केवल 37 प्रतिशत ही वैक्सीन लगवाने के लिए आगे आए, और इसमें भी 4 महीने लग गए। अभी भी शत-प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों ने वैक्सीन नहीं लगवाई है। मैं ऐसे कई डॉक्टर्स को जानता हूं जिन्हें अभी तक वैक्सीन की दोनों डोज लग जानी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने नहीं लगवाई। यहां तक कि एक यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर भी, जिन्हें मैं व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं, कह रहे थे कि थोड़े दिन और देख लेते हैं।

हमारे नेताओं ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि ये बीजेपी की वैक्सीन है, मैं नहीं लगवाऊंगा। कांग्रेस की सरकारों के कई मुख्यमंत्रियों ने इसे ‘मोदी वैक्सीन’ कहा था। उन्होंने वैक्सीन की एफिकेसी पर सवाल उठाए थे। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में आसपास मौत का तांडव देखने के बाद अब तमाम नेताओं के सुर बदल गए हैं। वे अब कोरोना के टीकों की तत्काल सप्लाई की मांग कर रहे हैं।
 
हमारा टीकाकरण अभियान तभी सफल हो सकता है जब लोग खुद वैक्सीन लगवाने के लिए आगे आएं। अगर लोग वैक्सीन लगाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों पर पत्थर फेंकेंगे औऱ उनसे लिखित में ‘गारंटी’ मांगेंगे कि वैक्सीन लगवाने से वे कोरोना का शिकार नहीं बनेंगे, तो सरकारें क्या कर पाएंगी? अजमेर जिले में 5 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई गई, और अभी तक उनमें से किसी की भी मौत नहीं हुई, लेकिन फिर भी अफवाह फैला दी गई वैक्सीन लगवाने से लोगों की मौत हो रही है। जिन गांवों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है, वहां यह अफवाह फैला दी गई कि वैक्सीन के जरिए मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। हैरानी की बात ये है कि लोग सुनी-सुनाई और वॉट्सऐप, यूट्यूब एवं फेसबुक के जरिए फैलाई जा रही इस तरह की आधारहीन अफवाहों पर यकीन भी कर रहे हैं।
 
जिन लोगों को अभी भी कोरोना वैक्सीन को लेकर कोई शंका है, उन्हें मिसाल के तौर पर अमेरिका की तरफ देखना चाहिए। यह मुल्क कोरोना के मामलों और इससे होने वाली मौतों के नजरिए से एक साल से भी ज्यादा समय तक पहले नंबर पर था। अमेरिका ने वैक्सीनेशन को गंभीरता से लिया और अब वे एक ऐसी स्थिति में आ गए हैं जिसमें वैक्सीन लगवा चुके लोगों के लिए मास्क पहनना और सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखना जरूरी नहीं है।
 
मैं सही सोच रखने वाले सभी भारतीयों से अपील करता हूं कि वे लोगों में कोविड के टीके के बारे में जागरूकता फैलाएं और सभी तरह की निराधार अफवाहों का खात्मा करें। यदि अमेरिका वैक्सीनेशन चैलेंज में सफल होता है तो भारत भी हो सकता है। जब तक भारतीय खुद वैक्सीनेशन सेंटर्स पर नहीं आएंगे, तब तक कोई भी सरकार उन्हें वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं कर सकती । हम जितनी जल्दी 70 करोड़ भारतीयों को वैक्सीन की दोनों डोज देने का लक्ष्य हासिल करेंगे, उतनी जल्दी हम कोरोना के इस दानव को हरा पाने में कामयाब होंगे। हमें इस लक्ष्य को पाने के लिए अपना पूरा जोर लगाना होगा। कम से कम वैक्सीनेशन के मुद्दे पर हम सब अपने सियासी, व्यक्तिगत या धार्मिक द्वेष को पीछे छोड़ दें । वैक्सीन जरूर लगवाएं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 14 मई, 2021 का पूरा एपिसोड

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