उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाकों में शुक्रवार की नमाज शांतिपूर्वक संपन्न हो गई। इस बीच 4 और लोगों के अस्पताल में दम तोड़ने के बाद दिल्ली हिंसा में मरने वालों की संख्या आधिकारिक तौर पर बढ़कर 42 हो गई। दिल्ली पुलिस की विशेष जांच टीम और फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पूर्व AAP पार्षद ताहिर हुसैन के घर और पास में स्थित नाले, जहां लाशें बरामद हुई थीं, से मिले सबूतों की जांच में लगे हुए हैं। ताहिर हुसैन की इमारत की छत पर जिस तरह से पत्थर, ईंट, पेट्रोल और एसिड बम जमा किए गए थे, और छत पर बड़ी-बड़ी गुलेलें रखी गई थीं, उससे साफ पता चलता है कि दंगे की तैयारी कई दिन पहले से ही कर ली गई थी।
चश्मदीदों से बात करने पर पता चलता है कि पड़ोसी राज्य से बड़ी संख्या में बाहरी लोग आगजनी, पत्थरबाजी और हत्याओं को अंजाम देने के लिए दंगाग्रस्त इलाकों में आए थे। इनमें से ज्यादातर बाहरी लोग दंगों के बाद गायब हो गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए 2 कुख्यात आपराधिक गिरोहों के लोग उत्तर पूर्वी दिल्ली में घुस आए थे। ये शातिर अपराधी बड़ी संख्या में देसी कट्टे लाए थे जिनसे दंगों के दौरान 900 राउंड से भी ज्यादा फायरिंग की गई थी। बाहर से आए इन अपराधियों ने लंबे समय तक दहशत फैलाने का प्लान बनाया था, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल खुद मैदान में उतर गए और मंगलवार की रात दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया जिससे दंगाइयों की सारी प्लानिंग पर पानी फिर गया।
अपराधियों को पता था कि ऐसे में वे जल्द ही पकड़ में आ जाएंगे और इसीलिए वे तुरंत दिल्ली से फरार हो गए। शाहरुख नाम का दंगाई जिसे दिल्ली पुलिस के एक सिपाही पर पिस्तौल तानते देखा गया था, वह भी इन अपराधियों के साथ अंडरग्राउंड हो गया। इन दंगा प्रभावित इलाकों के अधिकांश बाशिंदों, जिनमें हिंदू और मुसलमान दोनों शामिल हैं, ने खुलासा किया कि दंगाई बाहर से आए थे और उन्होंने उन्हें पहले कभी नहीं देखा था।
इन लोगों ने बताया कि वे पेशेवर अपराधियों की तरह घूम रहे थे और उन्हें मालूम था कि उन्हें करना क्या है। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि जिस वक्त दिल्ली में दंगा हुआ, उस वक्त दिल्ली में कितने बाहरी मोबाइल फोन एक्टिव थे। पुलिस इन सभी मोबाइल फोन्स के कॉल रिकॉर्ड्स को देख रही है, और यह भी देख रही है कि सोशल मीडिया के जरिए कैसे संदेश सर्कुलेट किए गए। जांचकर्ता दिल्ली के बाहर से आए अपराधियों की गहराई से तफ्तीश कर रहे हैं।
इंडिया टीवी के पत्रकारों को दंगे के दौरान आगजनी की घटनाओं को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल की गईं दो गुलेलें मिलीं। इनमें से एक गुलेल एक पब्लिक स्कूल की छत पर लगाई गई थी, जबकि दूसरी गुलेल एक रिक्शे पर बनाई गई थी। ये दोनों गुलेलें लोहे के बड़े टुकड़ों को वेल्डिंग करके बनाई गई थीं जिससे कि ये बेहतर तरीके से काम कर सकें। इसी तरह ताहिर हुसैन की छत पर एसिड और पेट्रोल से भरी बोतलें मिलीं, जो साफ इशारा करती थीं कि दंगों की प्लानिंग पहले ही कर ली गई थी। शिव विहार में 2 बड़े स्कूलों, डीआरपी स्कूल और राजधानी स्कूल, को दंगाइयों ने पूरी तरह से तबाह कर दिया और बाद में उन्हें हमलों के लिए लॉन्चिंग पैड के रूप में इस्तेमाल किया गया।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अपने स्लीपर सेल की मदद से भारत में सांप्रदायिक तनाव और संघर्ष को बढ़ावा देने की कोशिश करती रही है। यही वजह है कि जांचकर्ताओं को गुमराह करने के लिए आतंकी अजमल कसाब के हाथ में कलावा बांधकर मुंबई भेजा गया था ताकि वह हिंदू लगे। हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कड़वाहट पैदा करने के लिए मंदिरों और मस्जिदों पर आतंकी हमले किए गए, लेकिन भारत के लोग, चाहे किसी भी धर्म के हों, हमारे दुश्मनों के इस खेल को पहले से ही समझते हैं। कलह और सांप्रदायिक संघर्ष पैदा करने की कोशिशों को हिंदुओं और मुसलमानों ने नाकाम कर दिया है, और सदियों से शांति के साथ रहते आ रहे हैं।
यह हम सभी के लिए व्हाट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया टूल्स पर प्रसारित भड़काऊ संदेशों और वीडियो को अनदेखा करने का समय है। भारत के लोगों को समुदायों के बीच गलतफहमी और नफरत पैदा करने के लिए पाकिस्तान द्वारा रची जा रही साजिशों को नाकाम करना चाहिए। दुनिया की नजर में भारत को बदनाम करने की चाहत रखने वालों को करारा जवाब देने का वक्त आ गया है। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 28 फरवरी 2020 का पूरा एपिसोड