नए साल के पहले दिन एक अच्छी खबर आई। देश में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए कोरोना वैक्सीन को अप्रूव करने की सिफारिश कर दी गई है। यह ऐसी खबर है जिसका इंतजार पिछले नौ महीने से हर हिन्दुस्तानी को था। ये तय हो गया है कि देश में कोरोना के खिलाफ कोविशील्ड वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाएगा। शुक्रवार को कोविशील्ड को अप्रूवल देने की सिफारिश का फैसला एक्सपर्ट्स कमेटी की मीटिंग में किया गया। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की एक्सपर्ट्स कमेटी ने पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में निर्मित ऑक्सफोर्ड-जेनेका कोविशिल्ड वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की सिफारिश कर दी। वैक्सीन को शर्तों के साथ इस्तेमाल की इजाजत दी गई है जिसमें कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने वाले हर शख्स को पहले एक फैक्टशीट दी जाएगी जिसमें टीके के बारे में पूरी जानकारी होगी। कंपनी को कहा गया है कि वह हर पखवाड़े वैक्सीन से हुए प्रतिकूल प्रभावों पर एक रिपोर्ट देगी। वैक्सीन लेनेवाले शख्स को 4 से 6 सप्ताह के अंतराल पर दो डोज दी जाएगी। अब ड्रग कन्ट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की मुहर लगने के बाद कोविशील्ड के इस्तेमाल का रास्ता साफ हो जाएगा। डीसीजीआई एक से दो दिनों में कोविशिल्ड की मार्केटिंग को मंजूरी दे देगा।
कोविशिल्ड वैक्सीन की पहली खुराक अगले सप्ताह किसी भी समय दी जाएगी। यह वैक्सीन सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स के बीच दी जाएगी। प्राथमिकता के आधार पर करीब 30 करोड़ की आबादी को इस साल जुलाई तक वैक्सीन मिल जाएगी। इस वैक्सीन की 10 करोड़ डोज का पहला ऑर्डर पीएम केयर्स फंड के जरिए दिया जाएगा। जहां तक वैक्सीन के रख-रखाव का सवाल है तो इसे दो से आठ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखा जा सकता है। यह वैक्सीन कंपनी की तरफ से सरकार को 225-250 रुपये में दी गई है और इसे 500 रुपये से 700 रुपये के बीच की कीमत में केमिस्ट की दुकानों में बेचा जाएगा।
किसी भी वैक्सीन को अप्रूवल देने के लिए पांच चीजों का ध्यान रखा जाता है। पहली एफीकेसी यानि वैक्सीन कितनी प्रभावी है, दूसरी बात है सेफ्टी यानि वैक्सीन कितना सुरक्षित है, तीसरा अफोर्डेबिलिटी यानी क्या इसकी कीमत आम आदमी की पहुंच में है, चौथी बात है उपलब्धता...क्या लोगों को मिल पाएगी और पांचवीं चीज है ट्रांसपोर्टेबिलिटी यानी परिवहन। कोविशील्ड वैक्सीन इन पांचों मानकों पर खरी उतरी है। इसे दो से आठ डिग्री तक के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है। इस तापमान पर स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन आसान है। वैक्सीन के प्रभाव या असर की बात करें तो पहली डोज में 70 प्रतिशत और दूसरी डोज में 95 प्रतिशत तक प्रभावी है। अब तक के टेस्ट में वैक्सीन सुरक्षित है। हल्का बुखार, हल्का सिर दर्द जैसे लक्षण कुछ लोगों में आए हैं, इसके अलावा कोई साइड इफैक्ट अभी तक नहीं दिखा। कीमत के लिहाज से अन्य वैक्सीन की तुलना में यह बहुत सस्ती है। जहां तक उपलब्धता का सवाल है तो इसकी पांच करोड़ खुराक का उत्पादन हो चुका है। तीस जुलाई तक तीस करोड़ लोगों के वैक्सीनेशन की योजना है।
एक्सपर्ट्स कमेटी ने तीन कोरोना वैक्सीन ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और फाइजर बायोनटेक की वैक्सीन के प्रेजेंटेशन को देखा। तीनों की तरफ से जो आंकड़े दिए गया था उनका अध्ययन किया गया, तुलना की गई और कोविशील्ड को इमरजेंसी इस्तेमाल की सिफारिश करने का फैसला लिया गया। हालांकि अन्य दो वैक्सीन को खारिज नहीं किया गया है बल्कि उस पर आगे चर्चा होगी। भारत बायोटेक ने सरकार को 350 रुपये में कोवैक्सीन की पेशकश की है। हालांकि आगे कीमतों घट-बढ़ सकती हैं, लेकिन फिलहाल कोविशील्ड का नाम ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास फाइनल मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
वैक्सीनेशन के लिए अकेले दिल्ली में 48 सरकारी और 100 से ज्यादा प्राइवेट अस्पतालों में 1 हजार वैक्सीनेशन बूथ बनाए जाएंगे। कोविशिल्ड वैक्सीन को स्पेशल कार्गो विमानों द्वारा दिल्ली हवाई अड्डे पर लाया जाएगा और सबसे पहले राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और सिविल लाइंस में बनाए गए दो मुख्य स्टोरेज प्वाइंट में रखा जाएगा। फिर यहां से वैक्सीन को एक खास रेफ्रिजरेटेड वैन के जरिए 603 कोल्ड चेन प्वाइंट्स पहुंचाया जाएगा। कोल्ड चेन प्वाइंट्स से इन्हें अलग-अलग सेंटर्स पर डिस्ट्रीब्यूट किया जाएगा। वैसे मैं आपको बता दूं कि दिल्ली में शुरुआत में 51 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी।
दिल्ली के 11 जिलों में से प्रत्येक में 55 से 60 कोल्ड चेन प्वाइंट और 90 से 100 वैक्सीनेशन बूथ होंगे। हर बूथ पर एक दिन में 100 से ज्यादा वैक्सीन नहीं दिए जाएंगे। अब सोचिए अगर एक सेंटर पर एक दिन में सौ लोगों का वैक्सीनेशन होगा तो इसका मतलब हुआ कि दिल्ली में 1 दिन में ज्यादा से ज्यादा एक लाख लोगों का वैक्सीनेशन हो सकता है। दिल्ली में सबसे पहले तीन लाख स्वास्थ्यकर्मी, छह लाख फ्रंटलाइन वर्कर, 50 साल से ज्यादा की उम्र पार कर चुके या 50 से कम की उम्र के रोगग्रस्त 42 लाख लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी जाएगी। जो लोग वैक्सीन लगवाना चाहते हैं उन्हें सबसे पहले कोविन (CoWin) नाम का एक एप डाउनलोड करने के बाद खुद को वैक्सीनेशन के लिए रजिस्टर करना होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद वैक्सीनेशन से दो दिन पहले मैसेज के जरिए उन्हें यह सूचना दी जाएगी उन्हें कहां, किस समय और किस बूथ पर जाना है।
देशव्यापी टीकाकरण अभियान के लिए चार रीजनल कोविड वैक्सीन स्टोर करनाल (हरियाणा), मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में बनाए गए हैं। पूरे भारत में अब तक लगभग 96,000 लोगों को वैक्सीनेशन के लिए प्रशिक्षित किया गया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों की लिस्ट तैयार करने को कहा है जो पहले चरण में वैक्सीन देने का काम करेंगे।
शुक्रवार की रात अपने शो 'आज की बात' में हमने बेंगलुरु, लखनऊ, पटना, मुंबई, नागपुर, भोपाल और अन्य शहरों में कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर की जा रही तैयारियों पर रिपोर्ट दिखाई। यहां मैं एक बार लोगों को सावधान करना चाहता हूं कि वैक्सीनेशन शुरू हो जाने का मतलब ये नहीं कि कोरोना खत्म हो जाएगा। मैंने कई डॉक्टर्स से बात की और उनका कहना है कि ये सही है कि हमारे देश में कोरोना इस वक्त काबू में है और वैक्सीन लगने का काम छह जनवरी से शुरू हो जाएगा, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वायरस का खतरा टल गया है। डॉक्टर्स का कहना है ये बहुत खतरनाक और शरारती वायरस है, ये वापस भी आ सकता है, रूप भी बदल सकता है, वैज्ञानिकों को चकमा भी दे सकता है और सबसे बड़ी बात ये कि इतने बड़े देश में 130 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करते-करते वक्त लगेगा। जब तक वैक्सीनेशन पूरा नहीं हो जाता, तब तक तो सावधानी ही बचने का एकमात्र तरीका है। लोग मास्क पहनें, सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाएं और हाथों को सैनिटाइज करते रहें।
अपने शो में हमने ये दिखाया कि कैसे हजारों लोग नए साल के मौके पर देश के विभिन्न मंदिरों में कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते हुए पूजा करने पहुंचे। गोवा के समुद्री तटों और अन्य पर्यटन स्थलों पर छुट्टियां मनाने पहुंची लोगों की भीड़, नाचते-गाते लोगों की भीड़, बिना मास्क के और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते लोगों के दृश्य भी दिखाए। कुछ लोग आज भी खतरे को समझना नहीं चाहते। इस तरह की लापरवाही करने वालों से खतरा दूसरे लोगों को भी होता है। पूरे समाज को होता है। मुश्किल ये है कि जब लापरवाही करने वालों को कोई समझाता है तो वो कहता है कि जो ऊपर वाला चाहेगा वही होगा, इसलिए डरना क्या। सब कुछ भगवान भरोसे है। दरअसल यह ऐसा वायरस है। जो भक्त और भगवान के बीच की दूरी मिटा देता है। इसलिए मैं फिर कहूंगा कि भगवान भी नहीं चाहते कि भक्तों को दिक्कत हो। लेकिन जब भक्त खुद मुसीबत मोल लेने को तैयार हो तो भगवान भी क्या करेंगे? इसलिए सरकार की बात सुनिए और घर में रहिए। घर में रहकर भक्ति, भजन कीजिए। इससे आप भी सुरक्षित रहेंगे, आपका परिवार और समाज भी सुरक्षित रहेगा, भगवान भी खुश होंगे।
अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी के लोगों के बारे में सोचें जहां लोगों ने कोविड गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाई और अब खामियाजा भुगत रहे हैं। लापरवाही ऐसी हुई कि वहां अब मौत का मातम है। जिन देशों के लोगों ने सरकार के निर्देशों को हल्के में लिया, वो बड़े भारी खतरे में हैं। जो लोग क्रिसमस मनाने के लिए सड़कों पर निकले, अब उन्हें नए साल में लॉकडाउन जैसे हालात में घरों में कैद रहना पड़ा है। जब हम देश में कोरोना काबू में है और वैक्सीन आ चुकी है, तब ऐसी गलती न करें। इस समय अत्यंत सावधानी बरतें। कृपया धैर्य और संयम बनाए रखें। हम निश्चित तौर पर कोरोना के खिलाफ जंग जीतने जा रहे हैं। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 01 जनवरी, 2021 का पूरा एपिसोड