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Rajat Sharma’s Blog: कोरोना का टीका लगवाकर मोदी ने यूं किया प्रेरित

मोदी ने ट्वीट किया, ‘मैं उन सभी लोगों से कोरोना वायरस का टीका लगवाने की अपील करता हूं, जो इसके पात्र हैं। आइए, हम सब मिलकर भारत को कोविड-19 से मुक्त बनाएं।’

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: March 02, 2021 17:45 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 60 साल से ज्यादा उम्र के सभी भारतीयों को कोरोना वैक्सीन लगाने के बड़े अभियान की शुरुआत को फ्रंट से लीड किया। वह बगैर किसी शोर-शराबे के चुपचाप अपने सरकारी आवास 7, लोक कल्याण मार्ग से सुबह 6 बजे निकल गए। वह बगैर किसी खास सुरक्षा प्रोटोकॉल के गाड़ियों के एक छोटे काफिले में एम्स पहुंचे। वहां दक्षिण भारत की 2 नर्सों ने उन्हें कौवैक्सीन का टीका लगाया। आधे घंटे तक ऑब्जर्वेशन में रहने के बाद मोदी अपने आवास पर लौट आए, और दुनिया को इस बात की खबर देने के लिए सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट कर दीं। ऐसा कर उन्होंने देश में ही विकसित कोरोना वायरस की वैक्सीन (Covaxin) के प्रति बगैर कुछ कहे ही अपना भरोसा दिखा दिया जिसपर कुछ विशेषज्ञों ने हाल ही में इसके असर के बारे में पर्याप्त डेटा की कमी को लेकर सवाल उठाए थे।

मोदी ने ट्वीट किया, ‘मैं उन सभी लोगों से कोरोना वायरस का टीका लगवाने की अपील करता हूं, जो इसके पात्र हैं। आइए, हम सब मिलकर भारत को कोविड-19 से मुक्त बनाएं।’ उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और गृह मंत्री अमित शाह ने भी सोमवार को टीका लगवाया। 2 मुख्यमंत्रियों, बिहार के नीतीश कुमार और ओडिशा के नवीन पटनायक, ने भी वैक्सीन की पहली डोज ली।

विपक्ष के कुछ नेताओं ने, जिनमें से ज्यादातर कांग्रेस से थे, मोदी द्वारा वैक्सीन लेने के तरीके पर सवाल उठाए। प्रधानमंत्री के कंधे पर एक असमिया गमोशा (गमछा) था, और जिन 2 नर्सों ने उन्हें वैक्सीन लगाई वे केरल और पुदुचेरी से थीं। विपक्षी नेताओं ने इस चीज को इन राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों से जोड़ दिया। लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘तस्वीर में मोदी ने असम का गमछा ले रखा था, केरल और पुदुचेरी की नर्स थीं। इन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। यदि प्रधानमंत्री ने महर्षि अरविंदो की फोटो और रविंद्रनाथ टैगोर की गीतांजलि भी अपने हाथ में ले ली होती तो तस्वीर पूरी हो जाती।’

अधीर रंजन चौधरी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि इतने बड़े मिशन में इतनी छोटी बात ठीक नहीं हैं, कम से कम यह लड़ाई सब मिलकर लड़ें। उन्होंने कहा, ‘इस मुद्दे पर राजनीति न हो तो बेहतर है।’ लेकिन राजनीति किसी के रोकने से थोड़े रूकती है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक नया शिगूफा छोड़ दिया। उन्होंने कहा, ‘बेहतर होता कि बुजुर्गों से पहले नौजवानों को वैक्सीन दी जाती, क्योंकि बुजुर्ग तो अपनी जिंदगी जी चुके हैं जबकि नौजवानों के सामने पूरी जिंदगी पड़ी है।’ खड़गे को भी डॉक्टर हर्षवर्धन ने ही जबाव दिया। उन्होंने कहा, दुनिया जानती है कि बुजुर्गों को कोरोना से ज्यादा खतरा है, और उन्हें दूसरों पर वरीयता दी जानी चाहिए। डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा, ‘मैं तो चाहूंगा कि खड़गे जी जल्द ही वैक्सीन की डोज ले लें, और युवाओं को अपनी बारी का इंतजार करने दें।’

AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने कहानी में एक नया ट्विस्ट जोड़ते हुए कहा कि जर्मनी की सरकार कहती है कि सीरम इंस्टीट्यूट में बनी कोविशील्ड सिर्फ 18 से 64 साल के लोगों पर असरदार है, इससे ऊपर की उम्र वालों पर इसका कोई खास असर नहीं होता है। ओवैसी ने प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण मांगा कि कोविशील्ड 64 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए प्रभावी है या नहीं। ओवैसी के इन सवालों का जवाब कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दिया। प्रसाद ने कहा, ऐसे समय में जब दुनिया कोविड वैक्सीनेशन में भारत की बड़ी भूमिका को स्वीकार कर रही है, तमाम देश हिंदुस्तान का लोहा मान रहे हैं, विरोधी दलों को भी अपना रवैया बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगे भी सियासत के तमाम मौके आएंगे, लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति बंद होनी चाहिए।

दोनों केंद्रीय मंत्रियों की बातें सही हैं। कोविड के मुद्दे पर सियासत नहीं होनी चाहिए, लेकिन इसके बाद भी सियासत होगी और खूब होगी। इस मुद्दे पर राजनीति तबसे हो रही है जबसे कोरोना के खिलाफ जंग शुरू हुई। मोदी ने लोगों में जोश भऱने के लिए, डर खत्म करने के लिए 5 मिनट के लिए कोरोना के खिलाफ शंखनाद करने की अपील की तो उसका मजाक बनाया गया। फिर जब कोरोना वॉरियर्स को सपोर्ट देने के लिए उनके सम्मान में कैंडल लाइट जलाने की अपील की तो पूरे देश ने सपोर्ट किया, लेकिन विरोधी दलों के नेताओं ने हंसी उड़ाई। इसके बाद जब वैक्सीन तैयार हुई, वैक्सीनेशन की शुरूआत हुई, तो कहा गया कि मोदी खुद पहले वैक्सीन क्यों नहीं लगवाते। राहुल गांधी के ट्वीट से ये मुहिम शुरू हुई, इसके बाद मनीष तिवारी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, दिग्विजय सिंह समेत कांग्रेस के तमाम नेताओं ने मोदी से वैक्सीन लगवाने की मांग की। इसके बाद एनसीपी के नबाव मलिक और अखिलेश यादव ने अपने बयानों से ये जताने की कोशिश की जैसे मोदी खुद वैक्सीन लगवाने से डरते हैं।

अब जबकि मोदी ने वैक्सीन लगवा ली है, तो कुछ नेता सवाल कर रहे हैं कि उन्होंने कोवैक्सीन की डोज क्यों ली। कुछ लोग यह भी कह सकते हैं उन्होंने सीरम की कोविशील्ड इसलिए नहीं लगवाई क्योंकि वो महाराष्ट्र में बनी है, और मोदी महाराष्ट्र के खिलाफ हैं। कुछ लोगों ने कहा कि मोदी ने असमिया ‘गमोशा’ पहनकर राजनीतिक स्टंट किया है और दक्षिण भारतीय राज्यों के मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए इन राज्यों की नर्सों से खुद को टीका लगवा रहे हैं।

मैं उन लोगों को याद दिलाना चाहूंगा कि अमेरिका के प्रेजिडेंट जो बाइडेन हों या फिर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, सबने अपने घर पर डॉक्टरों की टीम बुलाकर वैक्सीन लगवाई। इन दोनों में से किसी भी मुल्क में कोई बयानबाजी नहीं हुई। और यहां भारत में, प्रधानमंत्री सुबह-सुबह एम्स जाकर टीका लगवाते हैं ताकि अस्पताल में आने वाले दूसरे मरीजों को दिक्कत न हो, फिर भी उनके ऊपर ‘राजनीतिक स्टंट’ करने के लिए निशाना साधा जा रहा है।

बेहतर होता कि सभी धड़ों के नेताओं ने हाथ मिलाकर लोगों से अपील की होती कि वे अपनी बारी आने पर वैक्सीन जरूर लगवाएं। हालांकि इस मामले में अपवाद भी हैं। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने मुंबई के जेजे अस्पताल में कोविशील्ड की वैक्सीन लगवाई, कोई भी सियासी बयान देने से परहेज किया और लोगों से टीकाकरण अभियान में शामिल होने की अपील की। जनता दल (यूनाइटेड) के सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में अपने जन्मदिन पर कोविशील्ड का टीका लगवाया, और घोषणा की कि बिहार के प्रत्येक निवासी को कोरोना का टीका मुफ्त में लगाया जाएगा।

कभी-कभी तो मुझे लगता है कि भारत जैसे महान देश के प्रधानमंत्री के रूप में काम करते हुए हर किसी को खुश करना नरेंद्र मोदी जैसे शख्स के लिए बहुत मुश्किल है। जब मोदी ने वैक्सीन नहीं लगवाई थी तो कहते थे वह वैक्सीन क्यों नहीं लगवाते, अब लगवा ली तो कह रहे हैं कि क्यों लगवाई। जब मोदी ने कैमरों के सामने टीका लगवाया, तो इसे एक पब्लिसिटी स्टंट कहा गया। अगर मोदी कैमरों के सामने टीका नहीं लगवाते, तो विपक्ष के नेता उनसे वैक्सीन लगवाने का सबूत मांगते। एक पुरानी कहावत है: आप हर किसी को खुश नहीं कर सकते। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 01 मार्च, 2021 का पूरा एपिसोड

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