अभूतपूर्व...दिल्ली-एनसीआर के इतिहास में कभी भी लोगों ने ऑक्सीजन की इतनी कमी नहीं देखी थी। कौन सोच सकता था कि दिल्ली और एनसीआर के लोग आक्सिजन के लिए तरस जाएंगे। यहां हॉस्पिटल छोटा हो या बड़ा सबकी हालत एक जैसी है। कुछ हॉस्पिटल वालों ने कहा कि उनके पास बैड हैं, डॉक्टर्स हैं लेकिन ऑक्सिजन नहीं है इसलिए वो मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे।
सिचुएशन कितनी सीरियस है इसका अंदाजा इस बात लगाइए कि पिछले साल कोरोना की फर्स्ट वेब के वक्त दिल्ली के प्रसिद्ध सर गंगाराम अस्पताल में एक बार में सबसे ज्यादा 298 मरीज एडमिट हुए थे और इनमें से 81 मरीज ऑक्जीन पर थे लेकिन इस बार 515 पेशेंट्स हॉस्पिटल में एडमिट है। इनमें से 128 आईसीयू में है। कुल मिलाकर 80 परसेंट मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर है इसलिए ऑक्सीजन की डिमांड बढी है। शुक्रवार सुबह गंगाराम अस्पताल ने एक मैसेज जारी किया: "हमारे अस्पताल में पिछले 24 घंटों के दौरान 25 बीमार मरीजों की मौत हुई है। ऑक्सीजन अगले दो घंटे तक चलेगी। वेंटिलेटर और बीपीएपी मशीनें प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रही हैं। 60 अन्य बहुत बीमार मरीजों की जान जोखिम में हैं। बहुत बड़े संकट की आशंका है। तबाही रोकें। ऑक्सीजन की तत्काल आवश्यकता है। सरकारें मदद करें। हमने चेतावनी दी है।" घंटों बाद, एक ऑक्सीजन टैंकर अस्पताल पहुंच गया।
भारतीय वायु सेना के सी-17 और आईएल-76 परिवहन विमानों ने मेडिकल ऑक्सीजन के सप्लाई को तेज करने के लिए देश भर से बड़े ऑक्सीजन कंटेनरों को एयरलिफ्ट करना शुरू कर दिया है। भारतीय वायुसेना के पायलट दिन-रात काम कर रहे हैं ताकि ऑक्सीजन की सख्त जरूरत वाले मरीजों तक समय पर को ऑक्सीजन पहुंचा सकें और उनकी जान बचाई जा सके।
गुरुवार को, कोविड के ताजा मामलों में दैनिक वृद्धि 3,32,730 तक पहुंच गई और 2,263 मौतें दर्ज की गईं। कुल सक्रिय मामले 24,28,616 हैं। दिल्ली, मुंबई, यूपी, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में लोगों में दहशत है, क्योंकि पूरा का पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं। दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, पटना, नागपुर, मुंबई में हालात बेकाबू हैं। लोग ऑक्सीजन के एक-एक सिलेंडर के लिए, रेमडेसिविर के एक-एक इंजेक्शन के लिए तड़प रहे हैं लेकिन कुछ लोगों ने इस आपदा को अवसर में बदल लिया है। कहीं रेमडेसिविर की ब्लैकमार्केटिंग हो रही है तो कहीं नकली इंजेक्शन बेचा जा रहा है। कहीं कोरोना वैक्सीन की चोरी हो रही है। महानगरों में मुनाफाखोर कोविड रोगियों के रिश्तेदारों को लूट रहे हैं।
गंगाराम जैसा बड़ा अस्पताल हो या फिर शान्ति हॉस्पिटल जैसा हॉस्पिटल, सबकी सांसे अटकी है। दिल्ली का सरोज अस्पताल हो या बत्रा हॉस्पिटल, माता चन्नन देवी और शांति मुकुंद अस्पताल का भी यही हाल है क्योंकि ऑक्सीजन का टैंक लालबत्ती जला रहा है। दिल्ली सरकार का दावा है कि दिल्ली के छह हॉस्पिटल्स में तो ऑक्सीजन बिल्कुल खत्म हो चुकी है। किसी हॉस्पिटल के पास चार घंटे की ऑक्सीजन बची है तो किसी के पास दो घंटे की। कैलाश हॉस्पिटल्स ने तो गुरुवार को कम ऑक्सीजन की वजह से नए रोगियों को भर्ती नहीं करने का फैसला किया।
गुरुवार रात मेरे प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में, हमने दिखाया कि कैसे इंडिया टीवी ने दिल्ली के एक्शन बालाजी हॉस्पिटल की मदद की। डॉ. आनंद बंसल की बात हमने तुरंत इंडिया टीवी पर दिखाई। उनको लाइव दिखाया, उनकी बात सुनी, अथॉरिटीज से बात की। इंडिया टीवी पर ये खबर दिखाई गई। असर ये हुआ कि ऑक्सीजन का प्रोडक्शन करनी वाली एक बड़ी कंपनी ने बालाजी हॉस्पिटल को संपर्क किया और शाम होते होते हॉस्पिटल को ऑक्सजीन की सप्लाइ पहुँच गई। मरीजों की जान बच गई। हमने अपना फर्ज निभाया। डॉक्टर्स और नर्सेज वो भी अपना फर्ज निभा रहे हैं। सरकारें भी कोशिश कर रही हैं लेकिन दिक्कत ये है कि संकट इतना बड़ा है। मरीजों की तादाद इतनी ज्यादा है कि सारी कोशिशें कम पड़ रही हैं। मुझे सुकून मिला जब बालाजी हॉस्पिटल का मैसेज आया कि इंडिया टीवी पर खबर देखने के बाद ऑक्सीजन का प्रोडक्शन करने वाली कंपनी ने उन्हें अपने आप कॉन्टेंक्ट किया और ऑक्सीजन भेजी। कितने लोगों की जान का खतरा टल गया।
दिल्ली, मुबंई, लखनऊ, गुरूग्राम, भोपाल, नोएडा, उज्जैन, इंदौर और कानपुर जैसे तमाम शहरों से कई हॉस्पिटल्स से डॉक्टर्स ने मुझे फोन किया, मैसेज किया और दो ही सेंटेस कहे मदद कीजिए। किसी तरह सरकार तक हमारी बात पहुंचाइए। जल्दी से जल्दी ऑक्सीजन का इंतजाम न हुआ तो बहुत बड़ा संकट आ जाएगा। सोचिए हॉस्पिटल में दो सौ से ज्यादा कोरोना के मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हों और ऑक्सीजन के टैंक में रेड लाइट जलने लगे, प्रैशर कम होने लगे, ऑक्सीजन का लेवल जीरो की तरफ दिखने लगे तो हॉस्पिटल में तैनात डॉक्टर्स का क्या हाल होगा। जो डॉक्टर्स अपनी जान खतरे में डालकर लोगों की जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं, वो आक्सिजन की कमी से पैनिक में हैं। दूसरी बड़ी परेशानी है दवाओं की। जो दवाएं पहले पन्द्रह रूपए में मिलती थी वो या तो दुकान से गायब हो गईं या दोगुनी कीमत पर मिल रही है। जो इन्जेक्शन 500 का था उसके लिए एक लाख रुपये मांगे जा रहे हैं। जो ऑक्सीजन का सिलेंडर पहले पांच सौ रूपये का मिलता था अब उसे पन्द्रह हजार से बीस हजार में बेचा जा रहा है। यानि जिसकी जितनी मजबूरी उसके लिए उतना ज्यादा दाम।
लखनऊ का हाल ये है कि कोई भी अस्पताल कोविड के मरीजों को एडमिट करने को तैयार नहीं। आज हमारी संवाददाता लखनऊ में ऑक्सीजन रिफिल सेंटर्स पर गईं और फिर अस्पतालों में जाकर ग्राउंड सिचुएशन देखी। जो तस्वीरें दिखीं, जो बातें सामने आईं वो डराने वाली थी। रोते बिलखते लोग अपने रिश्तेदार के लिए परेशान लोग। दो तरह की दिक्कतें हैं, पहली तो ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि पांच सौ हजार में मिलने वाला आक्सीजन सिलेंडर पैंतीस हजार में मिल रहा है वो भी सबको नहीं। दूसरी दिक्कत ये है कि अगर लखनऊ में कोई अपने रिश्तेदार को एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल में ले जाना चाहे तो CMO की परमीशन चाहिए, CMO का लैटर चाहिए और ऑक्सजीन की तरह CMO साहब भी नहीं मिलते।
महाराष्ट्र में भी ऑक्सीजन की जबरदस्त किल्लत है। मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई, पालघर, नासिक, नागपुर में भी जो हॉस्पिटल्स हैं हर जगह ऑक्सीजन की शॉर्टेज है इसीलिए हर जगह ऑक्सीजन के प्लांट्स के बाहर सिलेडर भराने के लिए टेंपो-ऑटो, बड़े बड़े ट्रक्स की लाइऩ लगी हुई है। हमारे संवाददाता दिनेश मौर्य आज मुंबई से 35 किलोमीटर दूर वसई इलाके में एक बडे ऑक्सीजन प्लांट में पहुंचे। यहां से रोजाना 700 से 1000 सिलेंडर्स आसपास के इलाकों में भेजे जाते थे। पहले 12 घंटे काम होता था लेकिन लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बाद से 24 घटे प्लांट चालू रहता है। जो लोग ऑक्सीजन सिलेंडर लेने आते हैं उनका कहना है कि तीन तीन घंटे का वेटिंग टाइम है। अस्पतालों पर जबरदस्त प्रैशर है इसलिए एक एक दिन में छह चक्कर तक लगाने पडते हैं।
देश में कोरोना के हालात बेकाबू हैं। लोग ऑक्सीजन के एक-एक सिलेंडर के लिए, रेमडेसिविर के एक-एक इंजेक्शन के लिए तड़प रहे हैं क्योंकि बहुत कम लोगों ने अनुमान लगाया था कि कोविड महामारी की दूसरी लहर का हजारों लोगों पर इतना विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। भारतीय रेलवे, भारतीय वायु सेना और प्रमुख निजी क्षेत्र के कॉर्पोरेट अब आम लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए आगे आए हैं। रेलवे नॉन-स्टॉप ऑक्सीजन एक्सप्रेस चला रहा है, IAF ऑक्सीजन टैंकरों और कंटेनरों को एयरलिफ्ट कर रहा है, और रिलायंस जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियां मेडिकल ऑक्सीजन का निर्माण कर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने अच्छा किया कि बंगाल की चुनावी रैलियां कैंसल कर दी और पूरा दिन देश को इस संकट से निकालने में लगाए। शाम को मैंने डॉक्टर्स से पूछा कि क्या इन सारे स्टेप्स का फायदा होगा। उनका कहना है कि अभी तक जो स्टेप्स उठाए गए हैं उनका असर दिखाई दे रहा है। अब जो वादा किया गया उसके मुताबिक अगर कदम उठाए जाएंगे तो अगले 48 घंटे में देश भर में ऑक्सीजन की प्रॉब्लम काफी हद तक सॉल्व हो जाएगी। ये 48 घंटे जैसे तैसे करके जहां से भी इंतजाम हो, किसी तरह निकालने हैं। डॉक्टर्स की ये बात सुनकर मुझे राहत मिली। मेरी प्रार्थना है कि डॉक्टर्स की ये बात सही साबित हो और देश में ऑक्सीजन की कमी से किसी की जान ना जाए।