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Rajat Sharma’s Blog । वैक्सीनेशन की बेहतर प्लानिंग और रणनीति अमेरिका से सीख सकता था भारत

देश में पहली बार शुक्रवार को कोरोना वायरस के नए मामलों की संख्या 4 लाख को पार कर गई। शुक्रवार को देशभर में कोरोना वायरस के 4,01,993 नए मामले सामने आए जबकि इस घातक वायरस ने 3,523 लोगों की जान ले ली।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: May 01, 2021 16:49 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma- India TV Hindi
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma

देश में पहली बार शुक्रवार को कोरोना वायरस के नए मामलों की संख्या 4 लाख को पार कर गई। शुक्रवार को देशभर में कोरोना वायरस के 4,01,993 नए मामले सामने आए जबकि इस घातक वायरस ने 3,523 लोगों की जान ले ली। हालांकि, पिछले 24 घंटे में करीब तीन लाख (2,99,988) मरीज ऐसे थे जो कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए है लेकिन कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। देश के दूर-दूर तक हिस्सों में इसने तबाही मचा रखी है। अस्पतालों में आईसीयू बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर्स की कमी पड़ गई है। 

आज मैं आपको सावधान करना चाहता हूं। आप सभी से मेरा आग्रह है कि कोरोना के वैक्सीनेशन सेंटर्स पर भीड़ न लगाएं। डॉक्टरों ने अलर्ट किया है कि इन केंद्रों पर भारी भीड़ के कारण तेजी भी कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है। इन सेंटर्स पर अगर भीड़ हुई तो आप इस घातक वायरस का आसान शिकार बन सकते हैं।  मेरी आपसे अपील है कि अगर आपने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है तो भी आप वैक्सीनेशन सेंटर पर तब तक न जाएं जब तक आपके पास अप्लाइंटमेंट का मैसेज नहीं आ जाता है। इस वक्त भीड़ का मतलब है, इन्फेक्शन  को दावत देना। इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल जरूर रखें। 

वैक्सीन के स्टॉक की कमी के कारण 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन केवल 6 राज्यों में शुरू हुआ है। यह शुरुआत भी अभी प्रतिकात्मक तौर पर ही हुई है। सरकारी अस्पतालों में 45 से अधिक आयु वर्ग के लिए वैक्सीन फ्री में उपलब्ध होगी। केंद्र ने प्राइवेट अस्पतालों से कहा है वह वैक्सीन स्टॉक को अपने यहां की राज्य सरकारों को वापस करें। प्राइवेट अस्पताल सीधे वैक्सीन निर्माताओं से वैक्सीन खरीदना चाहते हैं लेकिन देश में वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनिया सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक ने तत्काल वैक्सीन सप्लाई करने में असमर्थता जताई है। क्योंकि इन कंपनियों ने अपने यहां निर्मित वैक्सीन का 50 फीसदी केंद्र सरकार और बाकी का 50 फीसदी राज्य सरकारों को देने का वादा किया है। राज्य सरकारों ने अपने ऑर्डर अलग से दे रखा है। 

मेरा मानना है कि केंद्र की उस प्लानिंग में कुछ गंभीर कमियां थी जिसके तहत यह ऐलान किया गया था कि 1 मई से 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा। दरअसल, वैक्सीनेशन में अमेरिका ने जिस मुस्तैदी से काम किया उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है। वहां इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया गया है कि अब अमेरिका में 2 डोज लगवा चुके लोगों को छोटे-छोटे ग्रुप्स में बिना मास्क लगाए बाहर घूमने की इजाजात भी दी जा रही है। अमेरिका का लक्ष्य है कि 4 जुलाई तक हर नागरिक को वैक्सीन की दोनों डोज लग जाए। अमेरिका ने फाइज़र और मॉर्डना जैसी बड़ी कंपनियों को पहले फेज में ही 10 करोड़ वैक्सीन डोज बनाने का ऑर्डर दे दिया और इन कंपनियों के वैक्सीन एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी। ये कंपनियों जो कच्चा माल बाहर भेजना चाहती थी उस पर भी पाबंदी लगा दी गई।

 
अमेरिका में वैक्सीनेशन अभियान को तीन चरणों में शुरू किया गया। पहले चरण में 60 साल से ज्यादा, फिर दूसरे चरण में 45 साल से ज्यादा और तीसरे चरण में 18 साल से ज्यदा उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन किया गया। लेकिन जब लोगों को वैक्सीन लगनी शुरू हुई तो इसमें बहुत ज्यादा कानूनबाजी नहीं हुई। इसका अंदाजा आपको इस बात से लग जाएगा कि जो लोग अमेरिका में अवैध प्रवासी हैं, गैरकानूनी तरीके से रहते हैं, उनको भी वैक्सीन लगा दी गई और किसी को कोई परेशानी नहीं हुई।  अमेरिका में 10 करोड़ लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी है जो कि अमेरिका की कुल आबादी का 40 फीसदी है। 65 प्रतिशत बुजुर्गों को भी वैक्सीन दी चुकी है। इस पूरे अभियान का असर ये हुआ कि अब अमेरिका में कोरोना के नए मामले और मरने वालों की संख्या कम हुई है। अमेरिका की सरकार को यह उम्मीद है कि इस साल जुलाई तक वहां सबकुछ सामान्य हो जाएगा। 

यहां हमें यह समझना चाहिए कि भारत अमेरिका नहीं है। हमारे यहां अमेरिका से 100 करोड़ लोग ज्यादा हैं। अगर हम युद्धस्तर पर भी वैक्सीनेशन शुरू करते हैं तो इसे पूरा होने में लंबा समय लगेगा। हमारे यहां वैक्सीन की जरूरत बहुत बड़ी है। अब तक हम 16 करोड़ से ज्यादा डोज ही दे पाए हैं। नंबर के हिसाब ये बड़ा लग रहा होगा लेकिन आबादी की प्रतिशत के लिहाज से यह संख्या बहुत छोटी है। इसके अलावा हम 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए यूनिवर्सल वैक्सीनेशन अभियान बहुत जल्द नहीं शुरू कर सकते क्योंकि हमारे पास पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसके साथ ही दूसरी समस्या ये भी है कि हमारे यहां हर काम पर कानूनबाज़ी बहुत होती है और सवाल भी बहुत पूछे जाते हैं ।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वैक्सीनेशन को लेकर केंद्र सरकार से सवाल पूछे। अदालत ने कहा कि केन्द्र सरकार कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन को राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के तौर पर क्यों नहीं लेता? वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से पूरी वैक्सीन केन्द्र सरकार क्यों नहीं खरीदती? CoWin ऐप पर रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी है? जो लोग पढ़े लिखे नहीं हैं या जिन लोगों के पास इंटरनेट नहीं है, वो रजिस्ट्रेशन कैसे करेंगे ? वैक्सीन के लिए अलग-अलग कीमतें क्यों तय की गईं? अब देश को कोविड वैक्सीनेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का इंतजार है

जब स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी से पूछा गया कि 18-वर्ष से ज्याद उम्र के लोगों के लिए राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान की घोषणा क्यों की गई, जब वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नहीं था. इस पर तो आधिकारी (लव अग्रवाल) ने जवाब दिया कि एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू होने पर इस तरह की कमियां अक्सर रहती है। इसके अलावा तीसरे चरण में यह पेड वैक्सीनेशन अभियान है। लोगों को टीकों के लिए भुगतान करना होगा। उन्होंने वादा किया कि जल्द ही इस अभियान को गति मिलेगी। अब दो बातें साफ हैं: 45 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को मुफ्त टीके मिलेंगे, जबकि 18 से 45 वर्ष के बीच के लोगों को वैक्सीन के लिए भुगतान करना पड़ सकता है।

भारत में स्वास्थ्य सेवाएं बहुत हद तक प्राइवेट सेक्टर पर निर्भर करती हैं। इसलिए प्राइवेट अस्पताल तीव्र गति से वैक्सीनेशन में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन उनके पास वैक्सीन नहीं है। वैक्सीन बनानेवाली कंपनियों ने उन्हें 6 से 8 सप्ताह तक इंतजार करने के लिए कहा है। वैक्सीन का इम्पोर्ट संभव नहीं है क्योंकि निर्माता कह रहे हैं कि वे केवल सरकार के साथ सौदा करेंगे। मुझे लगता है कि इसमें सुधार की जरूरत है। क्योंकि मौजूदा समय में बहुत तेज गति से वैक्सीनेशन ही एकमात्र विकल्प है और यह प्राइवेट सेक्टर की सक्रिय भागीदारी के बिना संभव नहीं हो सकता है।

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