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Rajat Sharma’s Blog । कोरोना महामारी: लॉकडाउन लगा तो अगले दो-तीन हफ्ते में हालात जरूर सुधरेंगे

कोरोना वायरस की दूसरी लहर एक सुनामी की तरह पूरे देश में कहर बरपा रही है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: April 20, 2021 23:44 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

कोरोना वायरस की दूसरी लहर एक सुनामी की तरह पूरे देश में कहर बरपा रही है। पिछले 24 घंटे के दौरान देश के अलग-अलग राज्यों में इस वायरस के घातक संक्रमण ने 1,761 लोगों की जान ले ली। एक्टिव मामलों की संख्या पिछले 10 दिनों में दोगुनी हो गई है और यह 20 लाख के आंकड़े को पार कर गई है। सोमवार को कोरोना के कुल 2.6 लाख नए मामले सामने आए हैं। कई शहरों और कस्बों में हालात बेहद गंभीर हैं। 

 
इस महामारी से अबतक 1,80,530 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं दूसरी तरफ देशभर में टीकाकरण अभियान भी चल रहा है। अबतक 12.7 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। इस बीच कोरोना को कंट्रोल करने के लिए केंद्र सरकार ने सोमवार को बड़ा फैसला किया है। केंद्र सरकार ने यह ऐलान किया कि अब 1 मई से देश में 18 साल से ऊपर का हर व्यक्ति वैक्सीन लगवा सकेगा। वैक्सीनेशन के तीसरे चरण में तेजी से लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए यह फैसला लिया गया। उधर देश की राजधानी दिल्ली में एक हफ्ते का पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया है। यहां सोमवार को कोरोना के कुल 23,700 नए मामले सामने आए और 24 घंटे में 240 मरीजों की मौत हो गई। 
 
सरकारी और प्राइवेट अस्पताल कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या का भार अब नहीं उठा पा रहे हैं लिहाजा केंद्र ने सेना और डीआरडीओ से मदद मांगी है। केंद्र ने इन्हें कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल बनाने को कहा है। डीआरडीओ लखनऊ और अहमदाबाद में अस्थायी कोविड अस्पताल बनाएगा। इससे पहले डीआरडीओ ने दिल्ली में भी एक बड़ा कोविड अस्पताल बनाया है। दिल्ली में इस कोविड अस्पताल के खुलते ही सभी 250 बेड फुल हो गए थे। इस अस्पताल की क्षमता अब 500 बेड तक बढ़ाई जा रही है। 
 
रक्षा मंत्रालय ने सभी कैंट अस्पतालों से कहा है कि वे कोविड पीड़ित आम नागरिकों को भी अपने अस्पतालों में भर्ती करें। डीआरडीओ द्वारा दो और अस्पताल पटना और नासिक में बनाए जाएंगे। 
 
दिल्ली में एक हफ्ते के लॉकडाउन का ऐलान होने के साथ ही एकबार फिर पिछले साल की तरह प्रवासी कामगारों का एक बड़ा तबका शहर से पलायन करने लगा। लॉकडाउन का ऐलान होते ही 5 हजार से ज्यादा की संख्या में प्रवासी कामगार अपने घर जाने के लिए बस पकड़ने आनंद विहार बस अड्डा (आईएसबीटी) पहुंच गए। 
 
हालांकि घबराने की कोई बात नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक लॉकडाउन के पीछे मुख्य उद्देश्य वायरस की उस चेन को तोड़ना है जो पिछले दो महीनों से फैल रहा है। जैसे ही वायरस की यह चेन टूटेगी, कोरोना के बढ़ते मामलों का ग्राफ निश्चित तौर पर धीरे-धीरे नीचे आ जाएगा। जैसा कि हमने आपको इंडिया टीवी पर अपने शो 'आज की बात' में पिछली रात दिखाया था कि ऐसा मुंबई में पहले ही हो चुका है। 
 
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा राजधानी में हफ्तेभर लॉकडाउन के फैसले का स्वास्थ्य जगत ने स्वागत किया है। डॉक्टरों ने कहा कि राजधानी के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों पर जिस तरह से मरीजों का भारी दबाव है, उसे कम करना जरूरी था। इन लोगों ने कहा कि इस तरह का कठोर कदम जरूरी था और जल्द ही इसके रिजल्ट दिखाई देंगे। दरअसल मुद्दा केवल बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी का नहीं है बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों की भी भारी कमी हो रही है। कई स्वास्थ्कर्मी भी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं और वे आइसोलेशन में हैं। डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों में कोरोना के हल्के लक्षण हैं और उनके टेस्ट पॉजिटिव हैं तो वे घर पर रह सकते हैं और दवाइयां ले सकते हैं।
 
सबसे अहम बात है वैक्सीनेशन। क्योंकि जितने ज्यादा लोग वैक्सीन लगवाएंगे, उतना ही अस्पतालों पर का भार कम होगा। भारत में रिकॉर्ड संख्या में लोगों को वैक्सीन लगी है। शुरुआत से ही हमारे प्रधानमंत्री की यह कोशिश रही है कि वैक्सीन जल्द से जल्द आम लोगों तक पहुंच सके। इसके बावजूद अभी-भी कई लोग हैं जो वैक्सीन पर संदेह करते हैं। वैक्सीनेशन के पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को प्राथमिकता दी गई थी। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 3 करोड़ ज्यादा स्वास्थ्य कर्मचारियों में से केवल 37 फीसदी ने ही वैक्सीनेशन का विकल्प चुना। वैक्सीनेशन के दूसरे चरण में उम्र सीमा घटाकर 45 वर्ष कर दी गई और इसके बाद भी इस आयुवर्ग के कई लोग वैक्सीन लगवाने के लिए आगे नहीं आए। 
 
अब जबकि एक मई से 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन देने की इजाजत दे दी गई तो हमें उम्मीद है कि वैक्सीनेशन के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ेगी। अमेरिका और ब्रिटेन में बड़ी संख्या में लोगों ने वैक्सीन लगवाई और आज वहां कोरोना के मामलों में गिरावट आई है। बाजार एकबार फिर से खुल गए हैं। हमें इनके अनुभवों से सीख लेनी चाहिए। हमारे देश की आबादी अमेरिका की तुलना में लगभग 100 करोड़ ज्यादा है, और सभी के वैक्सीनेशन में लंबा समय लगेगा। इस बात को याद रखें कि इस महामारी को कंट्रोल करने के लिए वैक्सीनेशन ही एकमात्र उपाय है। 
 
सबसे बड़ी गलती जो हमने की थी वो ये कि जब कोरोना की पहली लहर जा चुकी थी यह मान लिया गया कि देश में इसकी दूसरी लहर नहीं आएगी। कोविड जो बड़े अस्पताल पिछले साल बनाए गए थे, फरवरी तक रोगियों की कमी के चलते उन्हें हटा दिया गया था। अधिकांश लोगों ने कोरोना की दूसरी लहर की राह को इसलिए भी आसान बना दिया कि उन्होंने गाइडलाइंस का पालन करना छोड़ दिया। मास्क पहनना छोड़ दिया, भीड़-भाड़ में जाने लगे, हाथों को धोना छोड़ दिया और इसका रिजल्ट सबके सामने है। 
 
हम इस महत्वपूर्ण समय का उपयोग अस्पताल में बेड की संख्या बढ़ाने, ऑक्सीजन की आपूर्ति, वेंटिलेटर और दवाओं का स्टॉक बढ़ाने के लिए कर सकते थे। लेकिन हमने अपना नजरिया बदल लिया और वैक्सीन पर केंद्रीत हो गए। हमारा ध्यान इस बात पर था कि टीका लेना है या नहीं लेना है। तब तक शादी का मौसम भी शुरू हो गया, पार्टियां होने लगीं, फिर कुंभ मेले की इजाजत दी गई, राजनीतिक रैलियां हुईं और कोरोना महामारी को कैरियर मिलता गया और इसने अपने डरावना रूप अख्तियार कर लिया। पिछले दो हफ्तों में हालात बेहद खराब हुए हैं। अब जब कर्फ्यू और लॉकडाउन लगाए गए हैं तो मुझे पूरा भरोसा है कि अगले दो से तीन सप्ताह में इसके बेहतर रिजल्ट दिखाई देंगे।

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