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Rajat Sharma’s Blog: सही वक्त पर उठाए गए मोदी के कदम से कोरोना से यूं बचीं लाखों जानें

इस बात में कोई शक नहीं कि मोदी की लीडरशिप ने लाखों जिंदगियों को कोरोना वायरस के प्रकोप से बचाया है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : November 25, 2020 19:34 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यह साफ कर दिया कि सरकार कोविड-19 का टीकाकरण कब होगा और कौन-सा टीका लगाया जाएगा, इसके मुद्दे पर वैज्ञानिकों और नियामकों की सलाह का पालन करेगी। अभी तक एक भी वैक्सीन कैंडिडेट को फाइनलाइज किया नहीं गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लोगों के टीकाकरण में सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण होगी जितनी कि इसकी रफ्तार।

मुख्यमंत्रियों के साथ हुई वीडियो मीटिंग में पीएम मोदी ने कहा, हमारी प्राथमिकता यही रहेगी कि टीका हर भारतीय तक पहुंचे। उन्होंने कहा, नेता नहीं बल्कि वैज्ञानिक और नियामक ही टीके के चयन और वितरण के लिए समय सीमा तय करेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग टीके को लेकर सियासत करने की कोशिश कर रहे हैं, हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया।

गौरतलब है कि राहुल गांधी ने अपने हालिया ट्वीट में कहा था, ‘पीएम मोदी को देश को बताना चाहिए: 1. सभी कोविड वैक्सीन कैंडिडेट्स में भारत सरकार किसे और क्यों चुनेगी? 2. वैक्सीन सबसे पहले किसे मिलेगी और इसके वितरण की रणनीति क्या होगी? 3. मुफ्त टीकाकारण सुनिश्चित करने के लिए क्या पीएमकेयर्स फंड का इस्तेमाल किया जाएगा? 4. कब तक सभी भारतीयों को टीका लग जाएगा?’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत सरकार टीके की तैयारियों को लेकर हर बात पर बारीकी से नजर रखे हुए है, हम सबके संपर्क में भी हैं। और अभी ये तय नहीं है कि वैक्सीन की एक डोज होगी, दो डोज होंगी या तीन डोज होंगी। ये भी तय नहीं है कि इसकी कीमत कितनी होगी, उसकी कीमत कितनी होगी, ये कैसी होगी। यानि अभी भी इन सारी चीजों के सवालों के जवाब हमारे पास नहीं हैं, क्‍योंकि जो इसके बनाने वाले हैं, दुनिया में जिस प्रकार के कॉर्पोरेट वर्ल्ड हैं, उनका भी कम्पिटिशन है। दुनिया के देशों के भी अपने-अपने डिप्लोमैटिक इंटेरेस्ट होते हैं। WHO से भी हमें इंतजार करना पड़ता है तो हमें इन चीजों पर वैश्विक सन्दर्भ में ही आगे बढ़ना पड़ेगा। हम इंडियन डिवेलपर्स और मैन्युफैक्चरर्स के साथ भी संपर्क में हैं। इसके अलावा ग्लोबर रेग्युलेटर्स, अन्य देशों की गवर्नमेंट्स, मल्टिलैटरल इंस्टिट्यूशंस और साथ ही अंतरराष्ट्रीय कंपनियों, सभी के साथ जितना संपर्क बढ़ सके, यानी रियल टाइम कम्यूनिकेशन हो, इसके लिए पूरा प्रयास, एक व्‍यवस्‍था बनी हुई है।'

पीएम ने कहा, ‘कोरोना के खिलाफ अपनी लड़ाई में हमने शुरुआत से ही एक-एक देशवासी का जीवन बचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। अब वैक्सीन आने के बाद भी हमारी प्राथमिकता यही होगी कि सभी तक कोरोना की वैक्सीन पहुंचे, इसमें तो कोई विवाद हो ही नहीं सकता है। लेकिन कोरोना की वैक्सीन से जुड़ा भारत का अभियान, अपने हर नागरिक के लिए एक प्रकार से नेशनल कमिटमेंट की तरह है। इतना बड़ा टीकाकरण अभियान स्मूद हो, सिस्टमैटिक हो, और सस्टेंड हो, ये लंबा चलने वाला है, इसके लिए हम सभी को, हर सरकार को, हर संगठन को एकजुट हो करके, कोऑर्डिनेशन के साथ एक टीम के रूप में काम करना ही पड़ेगा।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘वैक्सीन को लेकर भारत के पास जैसा अनुभव है, वो दुनिया के बड़े-बड़े देशों को नहीं है। हमारे लिए जितनी ज़रूरी रफ्तार है, उतनी ही जरूरी सुरक्षा भी है। भारत जो भी वैक्सीन अपने नागरिकों को देगा, वो हर वैज्ञानिक कसौटी पर खरी होगी। जहां तक वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन की बात है तो उसकी तैयारी भी आप सभी राज्यों के साथ मिलकर की जा रही है। वैक्सीन प्राथमिकता के आधार पर किसे लगाई जाएगी, ये राज्यों के साथ मिल करके एक मोटा-मोटा खाका अभी आपके सामने रखा है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लेकिन फिर भी ये निर्णय तो हम सब मिलकर ही करेंगे, हर राज्‍यों के सुझाव का महत्‍व इसमें बहुत रहेगा क्‍योंकि आखिरकर उनको अंदाज है कि उनके राज्‍य में कैसे होगा, हमें कितने अतिरिक्त कोल्ड चेन स्टोरेज की जरूरत रहेगी। केंद्र सरकार ने राज्यों से कुछ समय पहले आग्रह किया था कि स्टेट लेवल पर एक स्टीयरिंग कमिटी एवं स्टेट और डिस्ट्रिक्ट लेवल पर टास्क फोर्स का और मैं तो चाहूंगा कि ब्लॉक लेवल तक हम जितना जल्‍दी व्‍यवस्‍थाएं खड़ी करेंगे और किसी न किसी एक व्‍यक्ति को काम देना पड़ेगा।’

वैक्सीन की कीमत के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, ‘कौन-सी वैक्‍सीन कितनी कीमत में आएगी, ये भी तय नहीं है। मूल भारतीय वैक्‍सीन अभी दो मैदान में आगे है। लेकिन बाहर के साथ मिल करके हमारे लोग काम कर रहे हैं। दुनिया में जो वैक्‍सीन बन रही हैं वे भी मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत के लोगों के साथ ही बात कर रहे हैं, कंपनियों के साथ। लेकिन इन सारे विषयों में हम जानते हैं कि 20 साल से मान लीजिए कोई दवाई पॉप्युलर हुई है, 20 साल से लाखों लोग उसका उपयोग कर रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों को उसका रिएक्‍शन आता है, आज भी आता है, 20 साल के बाद भी आता है, तो ऐसा इसमें भी संभव है। निर्णय वैज्ञानिक तराजू पर ही तोला जाना चाहिए। निर्णय उसकी जो अथॉरिटी हैं उनकी ही सर्टिफाइड व्‍यवस्‍था से होना चाहिए।’

प्रधानमंत्री ने साथ ही मुख्यमंत्रियों को ढिलाई न बरतने के लिए आगाह करते हुए कहा, ‘मैंने पहले ही कहा वैक्‍सीन अपनी जगह पर है, वो काम होना है, करेंगे। लेकिन कोरोना की लड़ाई जरा भी ढीली नहीं पड़नी चाहिए, थोड़ी सी भी ढिलास नहीं आनी चाहिए। यही मेरी आप सबसे रिक्वेस्ट है।’

अभी तक भारत ने कोरोना के प्रकोप का मुकाबला कैसे किया, इसकी पूरी तस्वीर रखते हुए मोदी ने कहा, ‘पहले चरण में बड़ा डर था, खौफ था, किसी को ये समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो जाएगा और पूरी दुनिया का ये हाल था। हर कोई पैनिक में था और उसी हिसाब से हर कोई रिएक्ट कर रहा था। हमने देखा प्रांरभ में आत्‍महत्‍या तक की घटनाएं घटी थीं। पता चला कोरोना हुआ तो आत्‍महत्‍या कर ली।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इसके बाद धीरे-धीरे दूसरा चरण आया। दूसरे चरण में लोगों के मन में भय के साथ-साथ दूसरों के लिए संदेह भी जुड़ गया। उनको लगने लगा कि इसको कोरोना हो गया मतलब कोई गंभीर मामला है, दूर भागो। एक प्रकार से घर में भी नफरत का माहौल बन गया। और बीमारी की वजह से समाज से कटने का डर लोगों को लगने लगा। इस कारण कोरोना के बाद कई लोग संक्रमण को छिपाने लगे। उनको लगा ये तो बताना नहीं चाहिए, नहीं तो समाज से मैं कट जाऊंगा। अब उसमें से भी धीरे-धीरे समझे लोग, इससे बाहर आए।’

पीएम ने आगे कहा, 'इसके बाद आया तीसरा चरण। तीसरे चरण में लोग काफी हद तक संभलने लगे। अब संक्रमण को स्वीकारने भी लगे और बताने भी लगे कि मुझे ये तकलीफ है, मैं आइसोलेशन कर रहा हूं, मैं क्वॉरन्टाइन कर रहा हूं, आप भी करिए। यानि एक प्रकार से लोग भी अपने-आप लोगों को समझाने लगे। देखिए, आपने भी देखा होगा कि लोगों में अधिक गंभीरता भी आने लगी, और हमने देखा कि लोग अलर्ट भी होने लगे। और इस तीसरे चरण के बाद हम चौथे चरण में पहुंचे हैं। जब कोरोना से रिकवरी का रेट बढ़ा है तो लोगों को लगता है कि ये वायरस नुकसान नहीं कर रहा है, ये कमजोर हो गया है। बहुत से लोग ये भी सोचने लगे हैं कि अगर बीमार हो भी गए तो ठीक हो ही जाएंगे। इस वजह से लापरवाही का ये स्‍टेज बहुत व्‍यापक हो गया है।'

पीएम मोदी ने कहा, 'इसलिए मैंने हमारे त्‍योहारों की शुरूआत में ही खासतौर पर राष्‍ट्र के नाम संदेश दे करके, सबको हाथ जोड़ करके प्रार्थना की थी कि ढिलाई मत बरतिए क्‍योंकि कोई वैक्‍सीन नहीं है, दवाई नहीं है हमारे पास। एक ही रास्‍ता बचा है कि हम हरेक को कैसे अपने-आप बचाएं और हमारी जो गलतियां हुई, वो ही एक खतरा बन गया, थोड़ी ढिलाई आ गई। इस चौथे चरण में लोगों को कोरोना की गंभीरता के प्रति हमें फिर से जागरूक करना ही होगा। हमें फैटेलिटी रेट को एक प्रतिशत से भी नीचे और पॉजिटिविटी रेट को 5 प्रतिशत के दायरे में लाना ही होगा।'

इस बात में कोई शक नहीं कि मोदी की लीडरशिप ने लाखों जिंदगियों को कोरोना वायरस के प्रकोप से बचाया है। उन्होंने समय रहते ऐक्शन लिया, लॉकडाउन लगाया और सारी दुनिया ने इसका लोहा माना। कोरोना वायरस की वैक्सीन लोगों तक पहुंचाने के सवाल पर नेताओं को राजनीति नहीं करनी चाहिए। यह एक ऐसा मुद्दा है जो राष्ट्रहित से जुड़ा है।

सभी मुख्यमंत्री चाहते हैं कि वैक्सीन प्रत्येक देशवासी तक जल्दी से जल्दी और कम से कम खर्चे में पहुंचे। लेकिन राहुल गांधी की आदत थोड़ी अलग है। वह अपनी मोदी विरोध की आदत से बाज नहीं आए और इस मामले में भी राजनीति पर उतर आए। प्रधानमंत्री ने उनका नाम लिए बिना ही सारे सवालों के जवाब दे दिए। पीएम मोदी ने इस दौरान एक शेर कहा जिसका जिक्र मैं करना चाहूंगा, 'हमारी किश्ती भी वहां डूबी जहां पानी कम था।' उन्होंने कहा कि ये स्थिति हमें नहीं आने देनी है।

मैं इस बात को भी समझता हूं कि अधिकांश लोग घरों में बैठे-बैठे, अकेले रहते-रहते थक गए हैं, लेकिन हमें थोड़ी सावधानी और हिम्मत से काम लेने की जरूरत है। वैक्सीन के आने के बाद ही लोग खुलेआम घूम सकते हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 24 नवंबर, 2020 का पूरा एपिसोड

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