मंगलवार को देश के कुछ हिस्सों में एटीएम में नकदी की किल्लत की खबरें आईं तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी तीखी टिप्पणी में कहा, 'मोदी जी ने बैंकिंग सिस्टम को तबाह कर दिया है। नीरव मोदी 30 हजार करोड़ रुपये लेकर भाग गया। हमें लाइन में खड़ा रहने के लिए मजबूर किया गया और उन्होंने हमारी जेब से 500, 1000 रुपये के नोट छीनकर नीरव मोदी की जेब में डाल दिए।'
नकदी की किल्लत के मुद्दे को नीरव मोदी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के साथ किए गए फ्रॉड के साथ जोड़ना, राहुल गांधी द्वारा एक सियासी 'जुमला' के सिवा और कुछ नहीं है। कल्पना की किसी भी सीमा तक इन दोनों मुद्दों को नहीं जोड़ा जा सकता। जहां तक नकदी की किल्लत की बात है तो इसकी चर्चा सोशल मीडिया में शुरू हुई। इसके बाद अफवाहों का दौर चला जो जोर पकड़ता गया। यूपी और बिहार में बहुत सारी जगहों पर लोग घबरा कर पैसे निकालने के लिए ATM के बाहर लाइन में लग गए।
अफवाहें इतनी ज्यादा और तेजी से फैली कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी रिएक्ट करना पड़ा। उन्होंने इसे साजिश बताते हुए आरोप लगाया कि 2000 रुपये के नोटों की जमाखोरी कर बाजार में नकदी की किल्लत पैदा की जा रही है। मंगलवार को राहुल गांधी की टिप्पणी ने आग में घी का काम किया।
सच्चाई ये है कि नोटबंदी के कारण 15 लाख 22 हजार करोड़ की करेंसी वापस ली गई थी और इस वक्त मार्केट में 18 लाख करोड़ से ज्यादा की करेंसी सर्कुलेशन में है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पास ढ़ाई लाख करोड़ से ज्यादा की करेंसीं रिजर्व में है। वहीं पांच सौ करोड़ की करेंसी रोज प्रिंट हो रही है। इसलिए ये कहना तो गलत है कि रिजर्व बैंक के पास करेंसी की किल्लत है। कुल मिलाकर बात इतनी है कि कुछ राज्यों में बदइंतजामी की वजह से नकदी की कमी हुई और उम्मीद है कि इसे अगले एक दो दिन में कन्ट्रोल भी कर लिया जाएगा। (रजत शर्मा)