शुक्रवार को इंडिया टीवी के रिपोर्टर को दिए एक इंटरव्यू में गुजरात के ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर ने पाटीदारों को ओबीसी कोटा से आरक्षण देने की बात से इनकार किया है। अल्पेश ठाकोर ने पिछले सप्ताह कांग्रेस पार्टी का दामन थामा है। वहीं पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल इन दिनों कांग्रेस से आरक्षण का पक्का वादा लेने में व्यस्त हैं। अब अगर अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल, दोनों की बात को ध्यान से सुना जाए तो ऐसा लगता है कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकती है। क्योंकि सिर्फ यह कहने से काम नहीं चलेगा कि पाटीदारों को अलग से आरक्षण देंगे। कांग्रेस पार्टी को यह भी बताना पड़ेगा कि आरक्षण कैसे देंगे और इसे किस तरह से लागू किया जाएगा। क्योंकि शुक्रवार को ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा को 16 प्रतिशत आरक्षण देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है। इसकी वजह है कि आरक्षण पचास प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता। इसी तरह राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिया गया। हरियाणा में जाटों को विधानसभा में विधेयक पारित करके आरक्षण दिया गया। आन्ध्र प्रदेश में और तमिलनाडु में भी यही हुआ। लेकिन कोर्ट में कोई केस नहीं टिक पाया। इसलिए यह तर्क तो नहीं चलेगा कि गुजरात में कांग्रेस की सरकार बनी तो पाटीदारों को अलग से आरक्षण दिया जाएगा। अगर ऐसा करना है तो इसके लिए संविधान संशोधन करना पड़ेगा। लेकिन केन्द्र में कांग्रेस की सरकार तो है नहीं। फिर इसका वादा भी कांग्रेस नहीं कर सकती। तो अब या तो कांग्रेस को फॉर्मूला बताना पड़ेगा, या फिर हार्दिक को गुजरात की जनता को यह बताना होगा कि आरक्षण के सवाल पर कांग्रेस के साथ उनकी क्या डील हुई है। ऐसा लगता है कांग्रेस अल्पेश, जिग्नेश और हार्दिक को साथ लाने के चक्कर में एक जाल में फंस गई है। (रजत शर्मा)