Monday, December 23, 2024
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RAJAT SHARMA BLOG: चीफ जस्टिस को हटाने की मांग कर कांग्रेस एक खतरनाक परिपाटी स्थापित कर रही है

मेरे विचार से गुरुवार को जस्टिस लोया के केस में याचिकाकर्ताओं की कोर्ट द्वारा जबर्दस्त धुलाई किए जाने के बाद बदले की कार्रवाई के तहत कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों की तरफ से यह कदम उठाया गया।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated : April 21, 2018 20:12 IST
RAJAT SHARMA BLOG: Congress is setting a dangerous precedent by seeking removal of CJI
Image Source : INDIA TV RAJAT SHARMA BLOG: Congress is setting a dangerous precedent by seeking removal of CJI

कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों द्वारा शुक्रवार को राज्यसभा के सभापति एम वेंकैय्या नायडू के पास सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को कथित अनियमितताओं के आधार पर हटाने के लिए एक याचिका सौंपी गई। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह एक अभूतपूर्व कदम है, जब कुछ दलों ने मुख्य न्यायाधीश  को हटाने के लिए याचिका दायर की है।

राज्यसभा में सदन के नेता वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर अपनी एक टिप्पणी पोस्ट की जिसमें उन्होंने कहा,' कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगियों ने महाभियोग को एक राजनीतिक हथियार के पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।'

 
इसे एक बदले की याचिका बताते हुए जेटली ने लिखा: 'राजनीतिक केंद्र के तौर पर संसद के दोनों सदनों को महाभियोग की न्यायिक शक्ति प्रदान की गई है। इस प्रकार एक राजनीतिक केंद्र द्वारा अपनी न्यायिक शक्ति का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक सदस्य को एक न्यायाधीश के तौर पर कार्य करना होता है। उसे तथ्यों और सबूतों की स्वतंत्र रूप से समीक्षा करनी होती है। फैसले पार्टी लाइन या पार्टी व्हिप के आधार पर नहीं लिए जा सकते। अनियमितता या दुर्व्यवहार साबित होने पर शक्ति का प्रयोग किया जाता है।' इस शक्ति के उपयोग को महत्वहीन करना एक खतरनाक घटना है.. जब दुर्व्यवहार या अनियमितता साबित नहीं हुई हो या संख्या बल आपके पास नहीं हो, इस शक्ति का धमकाने वाली रणनीति के तौर पर इस्तेमाल करना न्यायिक स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरा है।
 
इस मुद्दे पर कांग्रेस के अंदर असंतोष और विद्रोह की आवाजें अभी से उठ रही हैं। वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद और अश्विनी कुमार कानून मंत्री रह चुके हैं। अगर आपने सलमान खुर्शीद और अश्विनी कुमार की बातें सुनी हो तो वे बिल्कुल कांग्रेस के कदम से सहमत नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, जो कि खुद पेशे से वकील हैं, की बात सुनें और उनकी बॉडी लैंग्वेज देखें तो आपको लगेगा कि वो जानते हैं और मानते हैं कि मामला पॉलिटिकल है। अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने बयान में चीफ जस्टिस का नाम नहीं लिया बल्कि एक आदमी कहकर इशारा किया। 
 
मेरे विचार से गुरुवार को जस्टिस लोया के केस में याचिकाकर्ताओं की कोर्ट द्वारा जबर्दस्त धुलाई किए जाने के बाद बदले की कार्रवाई के तहत कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों की तरफ से यह कदम उठाया गया। गुरुवार को कोर्ट ने कहा था जनहित याचिका की आड़ में राजनीतिक बदला लेने की कोशिश हो रही है। 
 
ये तो कांग्रेस भी अच्छी तरह जानती है कि उसके पास न लोकसभा में बहुमत है और न राज्यसभा में और चीफ जस्टिस को वोट के जरिए हटाया नही जा सकता। लेकिन मकसद दो हैं: कांग्रेस का पहला मकसद तो ये है कि चीफ जस्टिस पहले ही घबरा कर अपने पद से इस्तीफा दे दें और कांग्रेस अपनी जीत का ढोल पीट सके। दूसरा मकसद ये है कि अगर चीफ जस्टिस इस्तीफा नहीं दें तो महाभियोग प्रस्ताव पर जो बहस हो उसमें कांग्रेस चीफ जस्टिस का बहाना बनाकर अमित शाह और नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाए। इसे कहते हैं 'कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना'।
 
कांग्रेस की ये हरकत लोकतन्त्र के लिए बहुत घातक है और इससे एक शर्मनाक परंपरा की शुरूआत होगी। एक मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि न्यायपालिका, चुनाव आयोग और मीडिया को राजनीति सेदूर रखा जाए। पॉलिटिकल स्कोर सैटल (राजनीतिक बदला) करने के लिए ऐसे संस्थानों का इस्तेमाल न हो। कांग्रेस की परंपरा यही रही है...लेकिन अब कांग्रेस ने चीफ जस्टिस को हटाने के लिए जो किया है उससे बड़े-बड़े नेता भी समहत नहीं है। (रजत शर्मा)

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