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Rajat Sharma’s Blog: निजामुद्दीन में विदेशियों के बारे में तथ्यों को छिपाना एक राष्ट्र-विरोधी अपराध है

मुझे लगता है कि अब उन लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का वक्त आ गया है जो कोरोना वायरस से बचाव के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: March 31, 2020 12:13 IST
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India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma | India TV

हमारे शो ‘आज की बात’ के नियमित दर्शकों को याद होगा कि शुक्रवार को मैंने एक 65 वर्षीय व्यक्ति के मामले का जिक्र किया था, जिनकी कोरना वायरस के संक्रमण के चलते कश्मीर में मौत हो गई थी। उन्होंने दिल्ली के निजामुद्दीन में एक तबलीगी जमात में शिरकत करने के बारे में अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छिपाई थी। घर लौटते समय वह देवबंद और जम्मू भी गए थे। शायद उन्हें पता नहीं था कि वह इस खतरनाक वायरस के कैरियर बन चुके हैं और इसके बाद एक चेन रिऐक्शन शुरू हुआ जिसके चलते अब  निजामुद्दीन में 1400 से भी ज्यादा लोग कोरोना वायरस के संदिग्ध बन गए हैं।

इसका नतीजा यह हुआ कि कश्मीर में ही 4 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। इसके अलावा लगभग 150 लोगों को आइसोलेशन में रखना पड़ा। निजामुद्दीन में हुए तबलीगी जमात की सभा में करीब 1400 लोगों ने हिस्सा लिया जिनमें 15 देशों के 200 से ज्यादा विदेशी नागरिक भी शामिल थे। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन विदेशियों ने पुलिस को अपनी ट्रैवल हिस्ट्री की जानकारी नहीं दी थी, और न ही उन्होंने क्वारंटाइन या स्क्रीनिंग के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया था। इन सभी विदेशियों को स्क्रीनिंग और आइसोलेशन के लिए सोमवार को बस से अस्पताल भेजा गया।

निजामुद्दीन घटना को देखते हुए देर रात केंद्र ने निर्देश दिया कि जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को कोरोना वायरस के मरीजों के लिए एक अस्थायी अस्पताल में बदल दिया जाए। यूपी पुलिस ने 19 जिलों में अपने पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे उन सभी लोगों का पता लगाए, जिन्होंने तबलीगी जमात मरकज (केंद्र) में हुई सभा में हिस्सा लिया था। निजामुद्दीन में स्थित मरकज को भी इलाके में स्थित अन्य इमारतों से अलग कर सील कर दिया गया है। इसी तरह देवबंद की एक मस्जिद को भी सील कर दिया गया है। देर रात आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा है कि उनके राज्य में 6 ऐसे लोगों की मौत हो गई है जिन्होंने दिल्ली में हुई तबलीगी जमात की सभा में हिस्सा लिया था।

अब आपको कश्मीरी बुजुर्ग की भारत में ट्रैवल हिस्ट्री के बारे में बताता हूं जिससे आपको अंदाजा हो जाएगा कि एक शख्स की वजह से कोरोना वायरस का खतरा कितने शहरों में और कितने लोगों पर मंडरा रहा है। वह 15 फरवरी को कश्मीर में थे, 5 मार्च से 3 दिनों के लिए दिल्ली में रहे, तबलीगी जमात में हिस्सा लिया जहां इंडोनेशिया और मलेशिया से आए लोग भी मौजूद थे, 9 मार्च को देवबंद (यूपी) गए और सैकड़ों मौलानाओं और छात्रों के संपर्क में आए। 11 मार्च को ट्रेन से जम्मू लौटे, 12 से 16 मार्च तक सांबा में रुके, जम्मू होते हुए श्रीनगर लौटे, 18 मार्च को श्रीनगर में एक धार्मिक सभा में भाग लिया और 22 मार्च को बीमार पड़ गए। अगले दिन उन्हें कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया गया और 26 मार्च को उनकी मौत हो गई।

अब कल्पना करें कि ऐसे में यह खतरनाक वायरस विभिन्न राज्यों को हजारों लोगों के बीच किस हद तक फैला होगा। तबलीगी जमात मरकज दुनिया भर में इस्लाम के प्रसार के लिए भारत में स्थित एक केंद्र के रूप में काम करता है। यहां से इन लोगों को इस्लाम के संदेश को फैलाने के लिए विभिन्न जिलों और राज्यों में ग्रुप बनाकर भेजा जाता है। मैं तबलीगी जमात में मौजूद एक डॉक्टर द्वारा सोमवार को किए गए इस दावे को देखकर हैरान रह गया कि जमात में शामिल लोगों में कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं थे और उन्हें आइसोलेशन से जुड़े दिशा-निर्देशों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

कई ऐसे सीनियर मुस्लिम लीडर्स भी हैं जो इस महामारी के खतरे के बारे में जानते हैं। देवबंद में दारुल उलूम यूनिवर्सिटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को मरीजों के लिए एक आइसोलेशन वार्ड स्थापित करने के लिए अपनी एक इमारत देने की पेशकश की है। इसके अलावा जमीयतुल इस्लाम हिंद के नेता मौलाना महमूद मदनी ने केंद्र सरकार को कोरोना वायरस के 10,000  मरीजों को रखने जितनी जगह देने की बात कही है। इन संस्थाओं द्वारा उठाए जा रहे कदमों की तारीफ होनी चाहिए, लेकिन तबलीग की तरफ से की गई लापरवाही माफी के लायक नहीं है।

मुझे तो हैरानी हो रही है कि लोग इतने लापरवाह कैसे हो सकते हैं। लोग जानते हैं कि यह जानलेवा वायरस कैसे हमला करता है और कैसे दिशा-निर्देशों का पालन करके ऐसे वायरस से खुद को बचाया जा सकता है। सभी जानते हैं कि भारत में अधिकांश मामले विदेश से आए यात्रियों के चलते देखने में आए हैं, लेकिन फिर भी तबलीगी जमात ने तीन हफ्ते से भी ज्यादा समय तक अपने मरकज में विदेशियों की मौजूदगी की जानकारी नहीं दी।

प्रशासन को विदेशियों के बारे में यह बेहद जरूरी जानकारी देने से तबलीगी जमात को किसने रोका था? यह हमारे देश के खिलाफ, हमारे समाज के खिलाफ एक अपराध है। ऐसे समय में जब पूरा देश एक होकर प्रधानमंत्री के 21 दिनों के लॉकडाउन के आवाह्न का पालन कर रहा है, और अपने काम-धंधे बंद करके घरों में है, इन लोगों ने विदेशियों की मौजूदगी की जानकारी कैसे छिपाई? इन लोगों ने ऐसी हरकत की है मानो वे हमारे देश के दुश्मन हों।

विदेशियों की मौजूदगी की बात छिपाना, क्वारंटाइन और स्क्रीनिंग के दिशा-निर्देशों को धता बताना और फिर एक बड़ी सभा आयोजित करना एक विनाशकारी आपदा को न्योता देने जैसा है। मुझे लगता है कि अब उन लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का वक्त आ गया है जो कोरोना वायरस से बचाव के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 30 मार्च, 2020 का पूरा एपिसोड

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