गया, पटना, वारणसी, गोरखपुर समेत तमाम शहरों में बुधवार को लाखों श्रद्धालुओं ने डूबते सूरज को अर्घ्य दिया। नदियों के किनारे, तालाबों पर छठ पूजा के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ थी। बेंगलुरु, मुंबई, अहमदाबाद, चंडीगढ़ और लखनऊ जैसे उन सभी शहरों में छठ मनाया गया, जहां बिहार और पूर्वांचल के लोग रहते हैं। दिल्ली में भी श्रद्धालुओं ने कड़ी पाबंदियों के बीच छठ पूजा की।
ये पाबंदियां वैसे तो कोरोना के नाम पर लागू की गई थीं, लेकिन यमुना किनारे से सामने आई तस्वीरों ने साफ कर दिया कि स्थानीय अधिकारी नदी पर तैरते हुए झाग को लोगों की नजरों से छिपाना चाहते थे। दो दिन पहले दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि यमुना का पानी साफ है और सारा झाग और गंदगी उत्तर प्रदेश सरकार के नियंत्रण वाले ओखला बैराज में है, लेकिन बुधवार को दिल्ली सरकार के अधिकारी यमुना से झाग को हटाने की भरपूर कोशिश करते हुए नज़र आए लेकिन इससे और किरकिरी हुई।
इन तस्वीरों को देखकर किसी को हंसी भी आ सकती है और दुख भी हो सकता है। अब तक लोग देखते आए थे कि नदी के किनारे खाली टैंकर खड़े होते थे और उनमें पानी भरा जाता था, लेकिन बुधवार को मामला उलट था। दिल्ली जल बोर्ड के टैंकरों से पानी का छिड़काव किया जा रहा था ताकि नदी से झाग हटाया जा सके। अब तक लोग देखते थे कि पर्व त्योहार के मौके पर नदी में बांस और बैरिकेड्स लगाए जाते थे, जिससे कोई डूब न जाए, लेकिन बुधवार को लोगों की नजरों से गंदगी छिपाने के लिए, झाग को रोकने के लिए बांस के बैरिकेड्स लगाए गए। इन दृश्यों को देखकर स्थानीय अधिकारियों की मंशा को लेकर काफी चिंता होती है।
बुधवार सुबह से ही अफसरान काम पर लगे हुए थे और उनका एकमात्र उद्देश्य था, यमुना में तैर रहे झाग को जनता की नजरों से छिपाना। आमतौर पर जो पानी दिल्ली के लोगों की प्यास बुझाता है, उसी का इस्तेमाल दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी यमुना में तैरते झाग पर छिड़काव के लिए कर रहे थे। हालांकि दिल्ली सरकार ने कालिंदी कुंज के घाट पर छठ पूजा करने पर रोक लगा दी थी, लेकिन वहां भी झाग पर पानी के छिड़काव के लिए दिल्ली जल बोर्ड के पानी के टैंकर लगाए गए थे। यह काम शाम तक जारी रहा, लेकिन यमुना में झाग फिर भी तैरता रहा। नदी का पानी गंदा ही रहा। दिल्ली सरकार ने देसी नावों के साथ-साथ 15 मोटर बोट्स भी तैनात की थीं, जिनपर सवार कर्मचारी डंडा मार-मार कर झाग को तितर-बितर करने की कोशिश करते रहे। लेकिन ये दोनों उपाय कुछ खास काम नहीं आए।
इसके बाद एक तीसरा फॉर्मूला निकाला गया। झाग को जनता की नजरों से छिपाने के लिए नदी में बांस के बैरिकेड्स लगा दिए गए। इन बैरिकेड्स ने झाग के प्रवाह को तो रोक दिया, लेकिन जहां-जहां बैरिकेडिंग की गई थी, वहां झाग जमा होता रहा। बुधवार को यमुना में स्नान करने आए श्रद्धालुओं ने शिकायत की कि नदी का पानी काला और गंदगी से भरा हुआ है।
उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा, राज्य सरकार यमुना के पानी को साफ रखने की पूरी कोशिश करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार यमुना को 22 किलोमीटर के स्ट्रेच तक भी साफ नहीं रख पाती। उत्तर प्रदेश में यमुना अंदर कम से कम 900 किलोमीटर तक बहती है। हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष ओम प्रकाश धनकड़ ने कहा कि हरियाणा से दिल्ली को सप्लाई किया जाने वाला यमुना का पानी साफ होता है, और पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने दिल्ली सरकार पर यमुना को साफ रखने में नाकाम रहने का आरोप लगाया और कहा कि राजधानी में कई सौ नाले यमुना में गिरते हैं।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, केंद्र ने ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत यमुना की सफाई के लिए 3,900 करोड़ रुपये दिए, लेकिन योजना को लागू करना दिल्ली सरकार पर निर्भर करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार की तरफ से यमुना को साफ करने की इच्छा शक्ति और नीयत में कमी है। शेखावत ने आरोप लगाया कि दिल्ली में यमुना की सफाई की कई योजनाएं तय समय से पीछे चल रही हैं, और कई योजनाएं तो ऐसी हैं जो अभी तक शुरू ही नहीं हुईं। उन्होंने डीसेंट्रलाइज्ड सीवरेज ट्रीटमेंट प्रॉजेक्ट का खासतौर पर जिक्र किया। उन्होंने कहा, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सामने इस प्रोजेक्ट की रूपरेखा रखी गई, लेकिन चूंकि इसके लिए कई जमीन उपलब्ध नहीं थी, इसलिए यह पूरा प्रॉजेक्ट अटक गया।
दिल्ली सरकार ने कोरोना का हवाला देकर यमुना के सभी घाटों पर छठ मनाने पर रोक लगा दी थी। सरकार की तरफ से कहा गया कि 800 कृत्रिम घाट बनाए गए हैं और पब्लिक इन घाटों पर जाकर सूर्य भगवान की आराधना, और छठी माता की पूजा कर सकती है। बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध किया, और उनकी अगुवाई में श्रद्धालु नदी किनारे पूजा करने के लिए पहुंच गए। दिल्ली बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने श्रद्धालुओं को ITO यमुना घाट ले गए, जबरन बैरिकेड्स हटाए और पूजा-अर्चना की।
दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद मनोज तिवारी ने अपने समर्थकों के साथ सोनिया विहार इलाके में यमुना घाट पर छठ पूजा की। बीजेपी के इन दोनों नेताओं ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल छठ पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की आस्था को कुचलने का काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ कृत्रिम तालाब में पूजा की। उन्होंने बीजेपी के आरोपों का जवाब देने से इनकार करते हुए कहा कि आस्था से जुड़े मामलों पर सियासत नहीं होनी चाहिए।
केजरीवाल की बात सही है। ऐसे मामलों में सियासत में नहीं पड़ना चाहिए, लेकिन उनकी सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि यमुना को दूषित होने से बचाने के लिए अब तक क्या किया गया। इस बात से तो केजरीवाल भी इनकार नहीं कर सकते कि दिल्ली में यमुना एक गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है। यमुना के जिस पानी में लोगों ने मजबूरी में डुबकी लगाई, उस पानी से केजरीवाल, मनोज तिवारी या प्रवेश वर्मा आचमन भी नहीं करेंगे, हाथ भी नहीं लगाएंगे, डुबकी लगाना तो दूर की बात है। वैसे भी लोगों को यमुना के घाट पर जाने से रोकना इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता। छठ पवित्रता और आस्था का पर्व है, जिसमें स्वच्छता और शुद्धता का महत्व बहुत ज्यादा है।
नदी के पवित्र जल से स्नान करके, नदी के शुद्ध पानी से घर को पवित्र करके, नदी के स्वच्छ जल से प्रसाद बनाकर ही छठ का व्रत शुरू होता है। व्रत रखने वाली महिलाएं 36 घंटे तक पानी भी नहीं पीतीं। यह एक कठिन व्रत है, प्रकृति और पर्यावरण की उपासना का पर्व है। इस पर्व की शुरुआत नाले जैसे गंदे पानी में डुबकी लगाकर करनी पड़े, और डूबते सूर्य को अर्घ्य भी इसी गंदे पानी से देना पड़े, इससे ज्यादा त्रासदी की बात और क्या हो सकती है। दिल्ली सरकार जितनी जल्दी यमुना की सफाई का मिशन शुरू करे, उतना ही बेहतर होगा। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 10 नवंबर, 2021 का पूरा एपिसोड