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Rajat Sharma’s Blog: चुनौतियों से भरी है नए कैबिनेट मंत्रियों की राह

सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा उत्सुकता ओडिशा से राज्यसभा सांसद और नए रेलवे, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को लेकर थी।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: July 09, 2021 19:40 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

कैबिनेट में हुए फेरबदल के अगले दिन सोशल मीडिया पर दिनभर मोदी सरकार के नए मंत्रियों की चर्चा होती रही। इससे पहले कि नए मंत्री अपने मंत्रालय में जाकर कामकाज संभालते, ट्रोल्स ने उनका बैकग्राउंड खंगालने के साथ-साथ उनके अनुभव, क्षमता और जाति के लोकर तमाम सवाल खड़े कर दिए। किसी मंत्री के पुराने ट्वीट निकाल उनका मजाक बनाया गया तो किसी की हटाए गए मंत्रियों से तुलना की गई। कैबिनेट में हुई फेरबदल में जिन वरिष्ठ मंत्रियों को हटाया गया, उन्हें लेकर भी तरह-तरह की बातें की गईं।

सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा उत्सुकता ओडिशा से राज्यसभा सांसद और नए रेलवे, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को लेकर थी। वैष्णव IAS रह चुके हैं। वह सीमेंस के वाइस प्रेसिडेंट थे और बाद में राजनीति में आने से पहले एक उद्यमी थे। वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यालय में भी सेवाएं दे चुके हैं।

सोशल मीडिया पर इस तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं कि उनके पूर्ववर्ती रविशंकर प्रसाद को ट्विटर के साथ चल रही रस्साकशी के चलते इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। इस बात की भी अटकलें लगाई जा रही थीं कि क्या वैष्णव के आने से ट्वीटर के साथ तकरार खत्म हो जाएगी। आईटी मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद वैष्णव ने कहा, ‘सभी को देश के कानून का पालन करना होगा। भारत में रहने और काम करने वाले सभी लोगों को देश के नियमों का अनुपालन करना होगा।’ नए मंत्री ने साफ-साफ शब्दों में संदेश दिया। उनसे पूछा गया था कि ट्विटर सोशल मीडिया के लिए सरकार द्वारा बनाए गए नए आईटी नियमों का पालन करने में आनाकानी क्यों कर रहा है।

अश्विनी वैष्णव को मंत्रालयों को संभालने का कोई पिछला अनुभव नहीं है और न ही वह लंबे समय तक संसद सदस्य रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें 3 महत्वपूर्ण मंत्रालयों- रेलवे, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार- की जिम्मेदारी एक साथ दे दी। पूर्व नौकरशाह अश्विनी वैष्णव ने ओडिशा में आए तूफान के दौरान कटक और बालासोर के जिला कलेक्टर के रूप में काफी अच्छा काम किया था।

बिहार की जन अधिकार पार्टी के नेता पापू यादव ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने लिखा,‘बेचारे रविशंकर प्रसाद, अपने आका को खुश करने के लिए कर रहे थे ट्विटर पर वार, उनके आका अपने अमेरिकी आका की खुशामद में कर दिया इनका पत्ता साफ!’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘अश्विनी वैष्णव को रेलमंत्री भारतीय रेल को नीलाम करने के लिए बनाया है। उनकी नियुक्ति स्पष्ट रूप से हितों के टकराव का मामला है। वह रेलवे को सप्लाई देने वाली निजी विदेशी कंपनी जीई ट्रांसपोर्टेशन के एमडी थे। उन्होंने गुजरात में दो कंपनी बनाई थी,इनकी जांच हो तो बड़ा गोरखधंधा उजागर होगा!’

ट्रोल्स और विपक्षी नेताओं द्वारा किए गए अधिकांश ट्वीट न तो तथ्यात्मक थे और न ही प्रासंगिक। अश्विनी वैष्णव ने कार्यभार संभालने के बाद सबसे पहले ट्विटर मामले पर सारी अटकलों का जवाब दे दिया। उन्होंने बता दिया कि इसे लेकर न सरकार की नीति बदली है और न नीयत में बदलाव हुआ है। उनका बयान एक ऐसे समय में आया है जब दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्विटर को नए आईटी नियमों के तहत 2 सप्ताह के अंदर अपने 3 शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार के बाद दिल्ली हाई कोर्ट का यह आदेश आया है। ट्विटर ने नए अधिकारियों की नियुक्ति के लिए 8 सप्ताह का समय मांगा था। ट्विटर नए आईटी नियमों का पालन करने के लिए सहमत हो गया है और पहले ही एक अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति कर चुका है। इसने एक नोडल अधिकारी और मुख्य शिकायत अधिकारी की नियुक्ति का भी वादा किया है।

नए मंत्री के बारे में पप्पू यादव का बयान कि वह अमेरिका की दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी के पक्ष में काम कर सकते हैं, ताजा घटनाक्रम को देखते हुए गलत साबित हुआ है। अश्विनी वैष्णव ने कार्यभार संभालने से पहले गुरुवार को अपने पूर्ववर्ती रविशंकर प्रसाद से मुलाकात कर उनसे सलाह मशविरा कर लिया था।

जो लोग यह गलत धारणा पालकर बैठे थे कि ट्विटर के दबाव के चलते रविशंकर प्रसाद को अपना पद छोड़ना पड़ा, वे शायद प्रधानमंत्री मोदी को नहीं जानते। मोदी दबाव में आने वालों में से नहीं हैं, लेकिन उन्हें अपनी सरकार की छवि  की फिक्र जरूर रहती है। जो लोग अश्विनी वैष्णव के बारे में सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं, या जिन्हें उनकी काबिलियत के बारे में जिन्हें शक है, उन्हें मैं बता दूं कि अश्विनी करीब 18 साल तक IAS रहे हैं। मैं उन्हें उस वक्त से जानता हूं जब 2003 में वह तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के डिप्टी सेक्रेटरी थे। इसके बाद वह वाजपेयी के प्राइवेट सेक्रेटरी भी रहे।

राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले अश्विनी वैष्णव ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की सरकार में सबसे चहेते अधिकारियों में से एक थे। 2008 में उन्होंने स्टडी लीव ली और एमबीए करने के लिए व्हार्टन यूनिवर्सिटी चले गए। इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने जीई और सीमेंस जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए काम किया और अपना बिजनस शुरू करने के लिए इन कंपनियों से भी इस्तीफा दे दिया।

दो साल पहले ही बीजेपी ने उन्हें ओडिशा से राज्यसभा का टिकट दिया था। चुनाव के दौरान उन्हें नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल का भी समर्थन मिला। मैंने राज्यसभा में उनका भाषण सुना है और मैं कह सकता हूं कि वह एक प्रभावी वक्ता हैं। उन्होंने केंद्रीय बजट पर बोलते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा था।

अगर अश्विनी वैष्णव कैबिनेट मंत्री नहीं बनते तो लोग उनके भाषण को भूल जाते। मुझे लगता है कि किसी की क्षमताओं का आकलन करने से पहले उस शख्स के बैकग्राउंड को जानना चाहिए। हमें वैष्णव को कुछ वक्त देना चाहिए ताकि वह अपने मंत्रालयों का कामकाज समझ सकें और फिर कुछ समय बाद उनके काम की समीक्षा होनी चाहिए। यदि वह कोई गलती करते हैं तो उनकी आलोचना भी होनी चाहिए, लेकिन इससे पहले उन्हें एक मौका देने की जरूरत है।

ऐसी बातें कि अमेरिका में पढ़ाई करने के चलते वैष्णव अमेरिका के प्रभाव में आ जाएंगे और ट्विटर को बख्श देंगे, बचकानी और गैर जिम्मेदाराना हैं। और ऐसी बातों की भी कोई बुनियाद नहीं है कि रविशंकर प्रसाद को हटाने के लिए अमेरिका की सोशल मीडिया टूल्स ने प्रधानमंत्री मोदी पर दबाव डाला था। यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रसाद की वजह से ही फेसबुक और इंस्टाग्राम ने करीब 3 करोड़ आपत्तिजनक पोस्ट हटाई थीं।

रविशंकर प्रसाद के कार्यकाल में कई बड़ी मल्टिनेशनल कंपनिया चीन छोड़कर काम करने के लिए भारत आ गई थीं। मेरे सूत्रों के मुताबिक, रविशंकर प्रसाद को पार्टी के संगठन में बडी जगह दी जाएगी और ऐसा पहले भी कई बार हुआ है। और अगर ऐसा हुआ तो ट्रोल करने वाले क्या कहेंगे?

नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को शपथ लेने के तुरंत बाद ट्रोल ही किया जाने लगा था। ट्रोल्स ने उनके कई साल पुराने ट्वीट्स को ढूंढ़ निकाला और अंग्रेजी में की गई वर्तनी और व्याकरण संबंधी गलतियां दिखाने लगे। मांडविया के लगभग 9 साल पुराने ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गए और लोगों ने उनका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब एक रिपोर्टर ने उन्हें ट्रोल्स की हरकतों के बारे में बताया तो मनसुख मांडविया ने अच्छा जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'मैं यहां काम करने आया हूं और लोगों की ऐसी बातों पर प्रतिक्रिया देने के लिए मेरे पास वक्त नहीं है।

नए स्वास्थ्य मंत्री ने अपना काम संभालने के पहले दिन ही इस बात की जानकारी दी कि केंद्र इस साल दिसंबर तक भारत के सभी जिला मुख्यालयों में ऑक्सीजन टैंक उपलब्ध कराने के लिए क्या कदम उठा रहा है। महामारी की संभावित तीसरी लहर के से निपटने के लिए यह एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

मांडविया ने कोविड-19 से फौरी तौर पर निपटने के लिए नए मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित 23,123 करोड़ रुपये के कोविड इंफ्रास्ट्रक्चर पैकेज की घोषणा की। पैकेज में पिडियाट्रिक केयर (बच्चों के स्वास्थ्य देखभाल) के लिए अस्पतालों में ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, कोविड रोगियों के लिए अस्पताल के बिस्तरों का दोबारा इस्तेमाल, जीनोम अनुक्रमण को मजबूत करने, आईसीयू सुविधाओं की संख्या में वृद्धि, ऑक्सीजन टैंकों की स्थापना और कोविड महामारी से निपटने के लिए आवश्यक प्रमुख दवाओं के बफर स्टॉक के निर्माण के प्रावधान हैं। कुल खर्च में 15,000 करोड़ रुपये केंद्र से और 8,123 करोड़ रुपये राज्यों से आएंगे। ऐसा लगता है कि मांडविया एक मिशन के साथ काम करने आए हैं और शायद ‘मेरा काम बोलेगा’ उनका आदर्श वाक्य है।

मुझे लगता है कि किसी की काबिलियत पर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कितनी अच्छी अंग्रेजी जानता है। मंत्रालय संभालने के 12 घंटे के भीतर मनसुख मांडविया ने अगले 9 महीने का प्लान बता दिया, और वह भी बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस में।

इस बात में कोई शक नहीं कि देश के सामने कोरोना की चुनौती बहुत बड़ी है। कोरोना को लेकर सरकार की बहुत बदनामी हुई है, लोगों ने बहुत दर्द झेला है। हजारों परिवारों को अपनों को खोने का दर्द सहना पड़ा है। लोगों के मन में बहुत सारे सवाल हैं कि अगर तीसरी लहर आ गई तो क्या होगा?  उनके मन में इस बात को लेकर आशंकाएं हैं कि क्या सरकार संभावित तीसरी लहर से प्रभावी तरीके से निपट पाएगी।

क्या दूसरी लहर के जैसे हालात फिर पैदा हो जाएंगे जब लोगों को दवाएं, ऑक्सीजन, आईसीयू वेंटिलेटर और यहां तक कि अस्पताल के बिस्तर भी नहीं मिल पाए थे? मांडविया ने गुरुवार को जो कहा वह हमारे दिलों में उम्मीद जगाता है और मुझे आशा है कि सरकार तीसरी लहर को संभालने में सक्षम होगी।

जब खेल मंत्री किरण रिजिजू को केंद्रीय कानून मंत्री बनाया गया तो वह भी सोशल मीडिया पर ट्रोल्स के निशाने पर आ गए। उन्होंने कानून को लेकर उनकी जानकारी की तुलना उनके पूर्ववर्ती रविशंकर प्रसाद के कानूनी कौशल से की, जो कानून के बड़े जानकार और जाने माने वकील के रूप में जाने जाते हैं।

मैं जानता हूं कि रिजिजू ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की है लेकिन उन्होंने वकील के तौर पर कभी प्रैक्टिस नहीं की। तब तक उन्होंने अपने गृह राज्य अरुणाचल प्रदेश में सियासी पारी की शुरुआत कर दी थी। गुरुवार को रिजिजू ने माना कि यह उनके लिए एक ‘बड़ी चुनौती’ है। उन्होंने कहा, ‘सब कुछ उचित मार्गदर्शन, विषय की समझ और दिमाग का इस्तेमाल करके संभाला जा सकता है।’ विधि मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और प्रमोशन के साथ-साथ न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मुझे लगता है कि यह अच्छी बात है कि सोशल मीडिया के बहाने आज हमें अपने लीडर्स को जानने का मौका मिल रहा है, उनकी बातें सुनने का मौका मिल रहा है। किरेन रिजिजू गृह मंत्रालय में एक ऐक्टिव राज्य मंत्री थे, और बाद में जब उन्हें खेल का प्रभार दिया गया तो भी उन्होंने अच्छा काम किया। वह पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं, धाराप्रवाह हिंदी बोलते हैं और एक काबिल मंत्री हैं।

उनके सामने कानून मंत्री के तौर पर सबसे बडी चुनौती पेंडिंग मुकदमों की बड़ी संख्या की है। इससे लोग बहुत परेशान हैं। अदालतों में जजों की नियुक्ति के मामले अटके हुए हैं। न्यायपालिका का कहना है कि सरकार जजों की जल्द नियुक्ति नहीं करती, इसलिए इतनी सारी वैकेंसी हैं। वहीं, सरकार को लगता है कि न्ययपालिका जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में काफी वक्त लगाती है। लेकिन कुल मिलाकर हालत यह है कि बड़ी संख्या में लंबित मुकदमों के कारण लाखों लोग परेशान है। इसका रास्ता किरण रिजिजू को जरूर निकालना पड़ेगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 08 जुलाई, 2021 का पूरा एपिसोड

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