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Rajat Sharma Blog: कांवड़ियों, दंगाइयों का उत्पात रोकने के लिए केंद्र को सख्त कानून बनाना चाहिए

यहां तक कि पुलिस भी ये मानती है कि बहुत से अपराधी कावंड़ियों के भेष में कांवड़ यात्रा में शामिल हो जाते हैं। वो यात्रा के दौरान भी अपराध करते हैं और कांवड़ियों के बीच रह कर गिरफ्तारी से बच भी जाते हैं।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated : August 11, 2018 18:19 IST
Centre must enact strict legislation to curb vandalism by kanwariyas, rioters
Image Source : INDIA TV Centre must enact strict legislation to curb vandalism by kanwariyas, rioters

कांवरियों द्वारा कई जगहों पर उपद्रव की घटनाएं सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए शुक्रवार को इसे ' गुंडागर्दी ‘ करार दिया और कहा कि वह इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए केंद्र के कानून बनाने का इंतजार नहीं करेगा बल्कि जल्द ही दिशानिर्देश जारी करेगा। तीन जजों की बैंच ने कुछ खास घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि कैसे कांवड़ियों ने वाराणसी और इलाहाबाद के बीच नेशनल हाईवे को एक तरफ से ब्लॉक कर दिया । 

कांवड़ यात्रा एक धार्मिक यात्रा है जो हर साल सावन के महीने में होती है। इसमें श्रद्धालु हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य जगहों से घड़ों में गंगा जल लेकर मंदिरों तक पैदल जाते हैं और यह पवित्र जल भगवान शिव को अर्पित करते हैं। इस दौरान ये लोग व्रत रखकर खाली पांव पैदल चलते हैं जो कि एक तपस्या की तरह है। उनके इस तप के चलते रास्ते में लोग और प्रशासन इन कांवड़ियों का सम्मान करते हैं और उनके लिए मुफ्त में खाने-पीने और ठहरने का इंतजाम किया जाता है। 

लेकिन दुख की बात है कि हाल के दिनों में बहुत से कांवड़ियों को नशा करते, शराब और सिगरेट पीते देखा गया है। इन लोगों को उत्पात करते और संपत्तियों का नुकसान पहुंचाते पाया गया है। ऐसी हालत में आम लोगों का इन पर भरोसा टूटता है। 

यहां तक कि पुलिस भी ये मानती है कि बहुत से अपराधी कावंड़ियों के भेष में कांवड़ यात्रा में शामिल हो जाते हैं। वो यात्रा के दौरान भी अपराध करते हैं और कांवड़ियों के बीच रह कर गिरफ्तारी से बच भी जाते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इस तरह के मामलों में सख्त रूख अपनाना पड़ा। कोर्ट के सामने कांवड़ियों के उत्पात के मुद्दे के साथ साथ देश के कई भागों में प्रदर्शनकारियों और दंगाइयों द्वारा हिंसा और आगजनी के मुद्दे भी सामने आए। भारत के अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा कि कभी मराठा आरक्षण के नाम पर, तो कभी एससी/एसटी ऑर्डर के नाम पर, हर सप्ताह देश के कुछ हिस्सों से हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुई हैं। 

सुप्रीम कोर्ट की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, केंद्र को अब दंगाइयों के उत्पात को रोकने के लिए  एक कड़ा कानून लागू करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। कम से कम हाल में जिस तरह की घटनाएं हुई  हैं, उन्हें देखते हुए अब सरकार को इसके बारे में सोचना पड़ेगा। (रजत शर्मा)

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