दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा को छोड़कर देशभर में दसवीं कक्षा के लाखों छात्रों ने शुक्रवार की शाम उस समय राहत की सांस ली जब शिक्षा सचिव ने यह ऐलान किया कि गणित की फिर से परीक्षा पूरे देश में न होकर सिर्फ दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा क्षेत्र में ज़रूरत पड़ने पर होगी। माना जा रहा है कि दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में ही प्रश्नपत्र लीक हुए थे इसलिए इन्हीं इलाकों में दोबारा यह परीक्षा ली जाएगी। वहीं 12वीं के अर्थशास्त्र की परीक्षा की तारीख का भी ऐलान किया गया। इससे परीक्षार्थियों और उनके अभिभावकों के मन में व्याप्त अनिश्चितता खत्म हो गई।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा विभाग के सामने तीन सवाल थे। पहला, छात्रों के मन में व्याप्त अनिश्चितता का क्या करें? छात्र इस पूरे प्रकरण से नाराज थे। इसलिए 12वीं के अर्थशास्त्र की दोबारा परीक्षा लेने का ऐलान किया गया और यह साफ कर दिया गया कि 10वीं गणित की परीक्षा फिलहाल नहीं होगी। अगर जरूरत पड़ी तो 10वीं गणित की परीक्षा दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा क्षेत्र में होगी।
दूसरा, यह सवाल उठ रहे थे कि जब प्रश्नपत्र ई-मेल, फैक्स और कूरियर के जरिए सीबीएसई तक पहुंच रहे थे तो उस समय कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? जवाब वही दिया गया जो कि पहले भी दिया जा चुका था कि मेल और सोशल मीडिया के जरिए बहुत बार पेपर लीक के दावे किए गए लेकिन ज्यादातर दावे फर्जी निकले। इसलिए जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो पाया कि पेपर वाकई में लीक हुआ है तब तक उसको कैंसिल नहीं किया गया।
तीसरा, अब बोर्ड यह कैसे सुनिश्चित करेगा कि आगे से ऐसा न हो? शिक्षा सचिव द्वारा यह जवाब दिया गया कि अब चूंकि परीक्षा साल भर बाद होनी है तो सोच समझकर इसके उपाय खोजे जाएंगे।
लेकिन सवाल अब यह है कि जो सिस्टम अब तक ठीक-ठाक चल रहा था, जिस CBSE की परीक्षाओं में कभी पेपर लीक नहीं हुआ, जहां एक से ज्यादा पेपर सेट किए जाते थे और प्रश्नपत्र SBI के लॉकर में रखे जाते हैं। जहां प्रश्नपत्र सरकारी प्रेस में प्रिंट होते हैं, वहां पेपर लीक कैसे हुआ? जब तक इन सवालों के जबाव नहीं मिलेंगे तब तक बाकी सारे सवालों के जवाब बेमानी हैं। (रजत शर्मा)