भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच न्यूयॉर्क में प्रस्तावित मुलाकात को रद्द करके सरकार ने सही फैसला किया है। एक दिन पहले ही भारत ने ऐलान किया था कि उसने न्यूयॉर्क में दोनों देशों के बीच एक द्विपक्षीय बैठक की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा की गई पेशकश को स्वीकार कर लिया है, लेकिन देश भर में उपजे आक्रोश को देखते हुए सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया। जम्मू सीमा के पास एक बीएसएफ जवान की बर्बर हत्या करके पाकिस्तान ने यकीनन भारत की पीठ में छुरा घोंपा है। इसके ठीक बाद बुधवार को कश्मीर में आतंकियों ने तीन स्पेशल पुलिस अफसरों का अगवा करके गोली मार कर उनकी हत्या कर दी।
पाकिस्तान कभी अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है और उसे करारी चोट पहुंचाने की सख्त जरूरत है। यह भी साफ हो गया है कि पाकिस्तान की सेना और इसकी कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई अपने मुल्क में भी उठने वाली किसी समझदार आवाज को सुनने वाली नहीं है। पाकिस्तान की सेना सीमा पर और घाटी में लोगों की हत्या करने और फसाद करवाने में लगी हुई है तथा नौतिकता और न्याय के सभी सिद्धांतों की अनदेखी कर रही है। भारत को अब पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना पड़ेगा।
जहां तक द्विपक्षीय बातचीत का सवाल है, पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत करने का तब तक कोई तुक नहीं बनता जब तक कि वह अपनी सरजमीन पर आतंकियों को समर्थन देना बंद नहीं करता। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हमारे प्रधानमंत्री को दोस्ती की बात करने वाली चिट्ठी इसलिए लिखी क्योंकि उनके ऊपर दुनिया के अन्य देश आतंकवाद को खत्म करने और बातचीत शुरू करने का दबाव बना रहे हैं। अब यह वैश्विक समुदाय पर निर्भर करता है कि वह पाकिस्तान पर आतंकवाद के खात्मे को लेकर किस हद तक भरोसा कर सकता है।
कश्मीर घाटी में आतंकवादी अब बुरी तरह हताश हो चुके हैं, क्योंकि वे एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने अब छुट्टी लेकर घर लौट रहे सैनिकों और अपने घर में मौजूद पुलिसवालों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। ऐसा करके वे सिर्फ दहशत पैदा करना चाहते हैं। वे सोशल मीडिया पर यह झूठ फैलाने के लिए फर्जी वीडियो और दावों का इस्तेमाल कर रहे हैं कि पुलिसवाले उनके खौफ से अपनी नौकरी छोड़ रहे हैं।
ऐसे ही एक फर्जी वीडियो में दिखाया गया है कुछ कश्मीरी पुलिसवाले भारत विरोधी नारे लगा रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि वे वन विभाग के गार्ड थे जो अपना वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इस वीडियो को देखने पर यह साफ हो जाता है कि नारे लगाने वाली आवाज वीडियो में अलग से जोड़ी गई है, और नारे लगा रहे लोगों के होठों से उनकी आवाज का कोई तालमेल नहीं है। इसी तरह, तीन स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स की नृशंस हत्या के बाद मेनस्ट्रीम मीडिया में भी यह फर्जी खबर फैलाई गई कि 6 कश्मीरी पुलिसवालों ने अपनी नौकरी छोड़ दी है। यह भी बाद में एक फर्जी खबर साबित हुई। किसी भी पुलिसकर्मी ने इस्तीफा नहीं दिया।
देखा जाए तो भारत सिर्फ पाकिस्तान द्वारा भेजे जा रहे हथियारों के दम पर खड़े आतंकियों से ही प्रॉक्सी वॉर नहीं लड़ रहा, बल्कि एक प्रॉपेगैंडा युद्ध भी चल रहा है, जिसका मुकाबला करने की जरूरत है। यह साफ हो चुका है कि घाटी में आतंकियों के दिन अब गिनती के ही बचे हैं और पाकिस्तान की शैतानी साजिश धूल में मिलने वाली है। (रजत शर्मा)
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