केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा,- ‘‘चूंकि मैंने निजी तौर पर अदालत में न्याय पाने का फैसला किया है, इसलिए मुझे यह उचित लगा कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूं और अपने खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों को निजी तौर पर चुनौती दूं।’’ एम जे अकबर के साथ अखबारों में काम कर चुकी करीब 20 महिला पत्रकारों ने यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। अकबर उस वक्त संपादक थे।
बीजेपी के प्रवक्ताओं को लोगों के बीच अपने मंत्री का बचाव करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। जिस दिन महिला पत्रकारों ने एम जे अकबर पर यौन उत्पीड़न के इल्जाम लगाए थे उस वक्त वो अफ्रीका के दौरे पर थे। उसी दिन तय लग रहा था कि अकबर को पद छोड़ना पड़ेगा। लेकिन कब उन्हें पद छोड़ना होगा ये तय नहीं था। अकबर भारत लौटे और दिल्ली की अदालत में एक महिला पत्रकार के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दाखिल किया और बुधवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मंगलवार को अकबर से मुलाकात की और बाद में डोभाल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिले। उसी वक्त तय हो गया था कि अब एम जे अकबर को इस्तीफा देने के लिए कहा जाएगा। बीजेपी नेताओं से हर जगह, हर मौके पर लगातार अकबर को लेकर सवाल पूछे जा रहे थे और उन्हें जवाब देना मुश्किल हो रहा था। अकबर के इस्तीफे के साथ पार्टी के प्रवक्ता अब राहत की सांस ले सकते हैं। अब अकबर पर लगाए गए आरोपों को लेकर फैसला अदालत को करना है। (रजत शर्मा)