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Rajat Sharma’s Blog: बिहार चुनाव- अब पीएम मोदी पर टिकी हैं सारी उम्मीदें

शुक्रवार को पीएम मोदी की सहरसा, गया और भागलपुर की रैलियों से करीब 40 विधानसभा की सीटों पर असर होगा। मैं पिछले कई दिन से बिहार के लोगों की बात सुन रहा हूं। 

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : October 24, 2020 16:04 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने शुक्रवार को बिहार में चुनाव प्रचार का श्रीगणेश करते हुए चुनावी माहौल में और ज्यादा गर्मी ला दी। उन्होंने लोगों से बिहार रेजिमेंट के उन जवानों की वीरता और साहस को नहीं भूलने की अपील की, जिन्होंने लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों का डटकर मुकाबला किया। पीएम मोदी ने मतदाताओं को बिहार के जवानों द्वारा दिखाए गए अदम्य साहस की याद दिलाई। बिहार रेजिमेंट के ये जवान बिना हथियार के, खाली हाथ ही दुश्मन पर टूट पड़े और देश की सेवा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

गया, भागलपुर और सासाराम में तीन चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'बिहार के बहादुर बेटों ने गलवान घाटी में तिरंगे के सम्मान की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी। मैं अपना सिर झुकाकर इन बहादुर बेटों को श्रद्धांजलि देता हूं, उन्हें नमन करता हूं।' इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष, और खासतौर से कांग्रेस पर जम्मू और कश्मीर में धारा 370 को बहाल करने के वादे को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा-'वे कह रहे हैं कि अगर वे सत्ता में आए तो धारा 370 को बहाल करेंगे। उनका दुस्साहस तो देखिए। और वे अभी भी बिहार में वोट मांगने की हिम्मत कर रहे हैं। क्या यह बिहार के लोगों की भावनाओं का अपमान नहीं है, जो देश की सीमा की रक्षा के लिए अपने बेटे और बेटियों को भेजते हैं?'

पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार और वंशवाद की राजनीति पर भी विपक्षी दलों को घेरा। उन्होंने सीधे तौर पर लालू की राष्ट्रीय जनता दल का नाम तो नहीं लिया लेकिन बिहार में उसके 15 वर्ष के शासन को याद करते हुए 'जंगल राज' का जिक्र किया। उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे भावनाओं में बहकर वोट न डालें बल्कि विकास और रूल ऑफ लॉ (कानून के शासन) के लिए वोट करें। गया में अपनी रैली में मोदी ने महागठबंधन का जिक्र किया और कहा कि इन दलों ने नक्सलियों से हाथ मिला लिया है।

बिहार के लोग समझ गए होंगे कि पहले ही दिन गया में मोदी की रैली क्यों रखी गई और मोदी ने नक्सलियों की बात करके क्या मैसेज दिया। मैं आपको बताता हूं। असल में महागठबंधन में तेजस्वी यादव ने इस बार लेफ्ट पार्टियों के लिए 29 सीटें छोड़ी हैं और इनमें से 19 सीटें सीपीआई (एमएल) को दी हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में इनका प्रभाव है। इसीलिए मोदी ने कहा कि अब नक्सली समस्या को जड़ से खत्म करना है, तो फिर महागठबंधन से दूर रहना होगा।

शुक्रवार को पीएम मोदी की सहरसा, गया और भागलपुर की रैलियों से करीब 40 विधानसभा की सीटों पर असर होगा। मैं पिछले कई दिन से बिहार के लोगों की बात सुन रहा हूं। लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी के भाषण भी सुन रहा हूं और उनके वादे भी सुन रहा हूं। बिहार की जनता जानती है कि लालू के राज में कितनी गड़बड़ थी, 'जंगल राज' था। राज्य में चारों ओर भ्रष्टाचार फैला हुआ था। बिहार में अपहरण एक उद्योग हो गया था। लेकिन आजकल ज्यादातर लोग कहते हैं कि मोदी से कोई दिक्कत नहीं हैं, लेकिन नीतीश कुमार अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे। वे एनडीए के लिए बोझ बनते जा रहे हैं।

मैंने देखा कि तेजस्वी यादव मतदाताओं से कह रहे हैं कि मतगणना से एक दिन पहले 9 नवंबर को लालू को जमानत मिल जाएगी। उन्होंने अपने समर्थकों के बीच यह भी कहा कि लालू जी को जमानत मिलने के अगले दिन नीतीश कुमार की विदाई हो जाएगी। यह अपने समर्थकों के मनोबल को बढ़ाने के लिए तेजस्वी की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। लेकिन जहां तक लालू के जमाने के बिहार का सवाल है तो ये बात तो सच है कि बिहार के लोग उस दौर को वापस लाना तो दूर, उस वक्त को याद भी नहीं करना चाहते।

मैं तो इसका गवाह हूं। मैंने वो वक्त देखा है जब बिहार में अपहरण एक उद्योग हो गया था। कार तो बहुत दूर की बात है, लोग स्कूटर या बाइक खरीदने से डरते थे। क्योंकि अगर किसी को लगा कि इसके पास पैसा है तो उसके बच्चे का अपहरण हो जाएगा। ठेकेदार बिहार में काम नहीं करना चाहते थे, क्योंकि सरकारी टैक्स से ज्यादा रंगदारी देनी पड़ती थी। इसीलिए नरेंद्र मोदी ने बिहार के लोगों को पुराने दिन याद दिलाए। पीएम मोदी ने आरजेडी नेताओं की वो नस दबाई है, जहां दर्द सबसे ज्यादा होता है। अब तेजस्वी समेत आरजेडी के बड़े नेताओं को इसका जवाब देना पड़ेगा। मतदाताओं से वादा करना होगा कि 'जंगल राज' वापस नहीं आएग।

वहीं दूसरी ओर ये सही है कि नीतीश कुमार के कार्यकाल में काम हुआ है, सड़कें बनी हैं, बिजली की हालत सुधरी है, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल बने हैं। भ्रष्टाचार आरजेडी शासन के मुकाबले कम हुआ है। अपराधियों पर नकेल कसी गई है, अपहरण का उद्योग बंद हो गया है। सब सही है। लेकिन कोरोना और बाढ़ के वक्त जो मिस मैनेजमेंट हुआ है उसे लोग कैसे भूल सकते हैं। इन दो अहम मौकों पर नीतीश कुमार अपने घर से कभी-कभार ही बाहर निकले। उन्हें खुद को घर में बंद रखने के बजाय लोगों की सेवा के लिए आगे आना चाहिए था। लोग इस बात को लेकर उनसे नाराज हैं। 

मेरी बिहार के बड़े बीजेपी नेताओं से बात हुई है। निजी तौर पर बीजेपी के नेता भी इस बात को मान रहे हैं कि कोरोना के कारण हुई दिक्कतों और बाढ़ के वक्त हुई परेशानियों के कारण बिहार के लोगों में नीतीश कुमार के प्रति नाराजगी तो है। लेकिन बिहार के लोग लालू यादव के जमाने के 'जंगल राज' को भी याद नहीं करना चाहते। ये बीजेपी के लिए राहत की बात है। इसीलिए बीजेपी ने अब नरेंद्र मोदी को प्रचार के लिए मैदान में उतारा है। बीजेपी के नेता अब प्रधानमंत्री मोदी पर अपनी उम्मीदें टिकाए हुए हैं, जिनकी छवि बेदाग है। पीएम मोदी ने पहले ही दिन बिहार के लोगों को पन्द्रह साल पुराने दिन याद दिला दिए और 'जंगल राज' के प्रति लोगों को सावधान कर दिया। वहीं उन्होंने नीतीश कुमार के काम को भी याद करा दिया। अब बिहार के मतदाताओं को इसपर अंतिम फैसला लेना है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 23 अक्टूबर, 2020 का पूरा एपिसोड

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