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Rajat Sharma’s Blog: बेंगलुरु में हुई हिंसा की प्लानिंग सोच-समझकर की गई थी

मजहब के नाम पर हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इन लोगों ने नफरत और हिंसा की चिंगारी को हवा दी और इन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : August 13, 2020 14:36 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

पूर्वी बेंगलुरु में मंगलवार रात को हुई हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई और 60 से भी ज्यादा अन्य लोग घायल हो गए। इस पूर्व नियोजित हिंसा में घायल होने वाले लोगों में ज्यादातर पुलिसकर्मी थे। पुलिस ने इस मामले में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के प्रवक्ता मुजम्मिल पाशा को गिरफ्तार किया है। पाशा ने ही पुलिस से झड़प करने वाली और उनपर पथराव एवं आगजनी करने वाली भीड़ का नेतृत्व किया था। पुलिस ने 145 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है और कर्नाटक के गृह मंत्री ने कहा है कि बेंगलुरु हिंसा में हुए नुकसान की वसूली प्रदर्शनकारियों से की जाएगी।

ये सारा फसाद एक स्थानीय कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के भांजे नवीन द्वारा फेसबुक पर पोस्ट की गई एक आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते हुआ था, जिसमें उसने पैगंबर मोहम्मद का अपमान किया था। इस फेसबुक पोस्ट को मुजम्मिल पाशा और बाकी लोगों ने सर्कुलेट किया और लोगों से कहा कि वे पैगंबर मोहम्मद के अपमान का बदला लेने के लिए बाहर निकलकर प्रदर्शन करें। बेंगलुरु पुलिस ने फेसबुक पर अभद्र टिप्पणी पोस्ट करने वाले युवक को गिरफ्तार कर लिया है।

हिंसक भीड़ में से किसी ने भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि फेसबुक पर अभद्र कमेंट करने वाले लड़के के खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की, और न ही किसी ने यह सोचा कि वे किसी एक शख्स के आपराधिक कृत्य का बदला लेने के लिए पुलिस स्टेशन को निशाना क्यों बनाएं। सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह थी कि कैसे सोशल मीडिया के जरिए भड़काऊ मैसेज भेजे जाने के कुछ ही देर बाद हजारों की भीड़ इकट्ठा हो गई। आगजनी को अंजाम देने के लिए दंगाइयों को फ्यूल और अन्य सामान किसने मुहैया कराया?

बेंगलुरु के हमारे रिपोर्टर टी. राघवन ने तथ्यों और घटनाओं को एक साथ पिरोया है ताकि इस घटना का सीक्वेंस समझा जा सके। शाम करीब 5 बजे फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट व्हाट्सऐप पर वायरल किया गया था। इस मैसेज को ज्यादातर मुसलमानों के पास भेजा गया जिसमें उनसे घरो से बाहर निकलने के लिए कहा गया। शाम 6 बजे मुजम्मिल पाशा अपने समर्थकों के साथ डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन पहुंचा और नवीन की गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस ने उसकी शिकायत पर कार्रवाई करने का वादा किया।

इस बीच, एसडीपीआई कार्यकर्ता व्हाट्सएप पर मैसेज वायरल कर रहे थे जिनमें वे समर्थकों को इकट्ठा होने के लिए कह रहे थे। जल्द ही अफवाह फैल गई कि नवीन विधायक के घर में छिपा हुआ है। इतन सुनते ही भीड़ वहां इकट्ठी हो गई। इसके बाद भीड़ ने विधायक के ऑफिस में तोड़फोड़ की और उनके घर में आग लगा दी।

यह भीड़ उस भीड़ से अलग थी जो ‘अल्लाहु अकबर’ के नारे लगाते हुए डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन को आग लगाने के लिए गई थी। भीड़ पुलिस स्टेशन के अंदर घुसी और बाहर खड़ी अधिकांश गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। पुलिसवालों के मुकाबले भीड़ में ज्यादा लोग थे और वे एक्स्ट्रा फोर्स को आने के लिए रास्ता भी नहीं दे रहे थे। कोई रास्ता न देख पुलिस को गोलीबारी का सहारा लेना पड़ा। इसमें 3 लोगों की मौत हो गई और भीड़ पीछे हटने लगी। हालांकि तब तक पुलिस स्टेशन आग से जलकर लगभग पूरी तरह बर्बाद हो चुका था।

मैंने वह वीडियो देखा है जिसमें मुजम्मिल पाशा अपने समर्थकों को यह कहकर उकसा रहा था कि यह यूपी या बिहार नहीं है, और बेंगलुरु के मुसलमान अपने पैगंबर के अपमान का बदला लेकर लेंगे। विधायक के घर और दफ्तर में आग लगाने के बाद भीड़ ने आंजनेय स्वामी मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख मुनेगौड़ा के घर में भी तोड़फोड़ की। मुनेगौड़ा का विधायक या उनके भांजे के पोस्ट से कोई लेना-देना भी नहीं था, फिर भी उनके घर को निशाना बनाया गया।

पैगंबर मोहम्मद को बदनाम करना बेहद ही आपत्तिजनक है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। दुनिया को शांति और भाईचारे का पैगाम देने वाले पैगंबर का अपमान करके किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करना अपराध है। लेकिन, घरों, गाड़ियों और पुलिस स्टेशनों में आग लगाना पैगंबर के सच्चे अनुयायियों का काम नहीं हो सकता। 3 लोगों की मौत और 60 लोगों के घायल होने के जिम्मेदार लोग इस्लाम के सच्चे अनुयायी नहीं हो सकते।

मुझे बताया गया है कि किसी ने जन्माष्टमी के दौरान फेसबुक पर भगवान कृष्ण के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट की थी, और जवाब में विधायक के भांजे ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में यह आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट की। ये दोनों कृत्य निंदनीय हैं और इनकी निंदा किए जाने की जरूरत है।

भगवान कृष्ण पर की गई अभद्र टिप्पणी को भी थोड़े-बहुत लोगों ने देखा और मोहम्मद साहब के बारे में किए गए कमेंट को भी गिने-चुने लोगों ने ही देखा। लेकिन इस टिप्पणी का स्क्रीनशॉट लेना और इसे सोशल मीडिया पर वायरल करके लोगों को बाहर आने और विरोध करने के लिए उकसाना एक आपराधिक कृत्य है। मजहब के नाम पर हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इन लोगों ने नफरत और हिंसा की चिंगारी को हवा दी और इन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए। ऐसे लोग आगजनी और हिंसा का सहारा लेकर इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 12 अगस्त, 2020 का पूरा एपिसोड

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