पाकिस्तान की सरकार ने वैश्विक समुदाय को यह दिखाने के लिए कि वह आतंकवादियों के खिलाफ कदम उठा रही है, गुरुवार को लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया। यह प्रतिबंध सिर्फ कहने के लिए है, जो कि हास्यास्पद है। पाकिस्तान को डर है कि शुक्रवार को होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक में उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है और इसी डर की वजह से पाकिस्तान ने यह कदम उठाया है।
भारत में लोगों को अब भी याद है कि किस तरह पाकिस्तान सरकार ने पहले भी हाफिज सईद को तथाकथित नजरबंद करके दुनिया को मूर्ख बनाने की कोशिश की और बाद में, पिछले साल के आम चुनाव के दौरान उसे रैलियों को संबोधित करने, और राजनीतिक पार्टी बनाकर अपने उम्मीदवार उतारने के लिए चुपके से छोड़ दिया। पुलवामा का कायरतापूर्ण नरसंहार लश्कर-ए-तैयबा ने नहीं बल्कि मसूद अजहर के जैश-ए-मोहम्मद ने किया है जिसे आईएसआई ने पाला और बड़ा किया है। पाकिस्तान ने अभी तक जैश के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गुरुवार रात को पुलवामा नरसंहार की निंदा करने के दौरान जो प्रस्ताव पास किया उसमें जैश का नाम पहले ही दर्ज कर लिया गया है। भारत भी अपने स्तर पर इसको लेकर एक्शन प्लान के साथ तैयार है और अब सबकी नजर लगी हुई है कि कब और कहां कार्रवाई की जाएगी। पाकिस्तान को अपनी बड़ी गलती के जवाब में भारत की मुंहतोड़ कार्रवाई का सामना करने के लिए अब तैयार रहना होगा।
भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को लगभग अलग-थलग कर दिया है, और मुंहतोड़ कार्रवाई के लिए भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ अपनी मंशा भी जाहिर कर दी है। सेना का एक्शन प्लान तैयार है और चाहे जो भी हो जाए, हमें अपनी सेना की क्षमता और साहस पर भरोसा होना चाहिए। सीआरपीएफ के जवानों की जघन्यता और निर्दयता से हत्या करने वालों को छोड़ा नहीं जाना चाहिए और पाकिस्तान को भी सबक सिखाना चाहिए। (रजत शर्मा)
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