बुधवार को जोधपुर की ट्रायल कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहनेवाली नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के मामले में आसाराम को उम्रकैद की सजा और उसके दो सहयोगियों को 20-20 साल कैद की सजा सुनाई। आसाराम अभी केवल एक केस में दोषी साबित हुआ है। उसके खिलाफ गुजरात के सूरत में बलात्कार का एक और केस लंबित है।
एक शातिर अपराधी की तरह आसाराम ने जोधपुर के केस में बचने का हर गैर-कानूनी तरीका अपनाया। गवाहों को धमकाया गया और उनपर हमले करवाए गए। इन हमलों में तीन गवाहों की मौत हो गई। यही वजह है कि निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आसाराम की जमानत अर्जियां 12 बार खारिज हो गईं। आसाराम ने जमानत लेने के लिए फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनवाई लेकिन उसका यह फर्जीवाड़ा भी पकड़ा गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर AIIMS दिल्ली में उसे भर्ती कराया गया लेकिन वहां भी उसने डॉक्टरों को रिश्वत देकर मनचाही रिपोर्ट बनवाने की कोशिश की जिससे उसे जमानत मिल जाए। लेकिन डॉक्टरों ने शीर्ष अदालत को आसाराम की इस करतूत के बारे में बता दिया जिससे इस फर्जी बाबा के खिलाफ एक और केस दर्ज हो गया।
अब सोचने वाली बात यह है कि ऐसा व्यक्ति संत कैसे हो सकता है। लाखों भक्त ऐसे पाखंडी को गुरु और संत कैसे मान सकते हैं। दरअसल आसाराम धर्म की आड़ में अपना धंधा चला रहा था। कई शहरों में बलपूर्वक जमीनों पर कब्जा किया और उनपर आश्रम बनावाए गए। उसने खुद को भगवान घोषित कर दिया और कहा करता था कि उसे 'ब्रह्म ज्ञान' हासिल है। लेकिन अंत तो रावण का भी हुआ। उसने भी साधु के भेष में सीता का हरण किया था और आखिरकार भगवान राम के साथ युद्ध में मारा गया। उसकी सोने की लंका जल कर राख हो गई।
लेकिन आसाराम ऐसा अकेला ढोंगी नहीं है जिसने संत का चोला पहन रखा है। समाज में ऐसे साधु के भेष में बहुत से शैतान घूम रहे हैं। जब तक लाखों लोग ऐसे साधुओं पर अंधविश्वास करते रहेंगे तब तक हम कितने भी कानून बना लें, फांसी की सजा का प्रावधान भी कर लें, कुछ नहीं होगा। जरूरत सिर्फ इस बात की है कि लोग संतों पर विश्वास करें लेकिन अंधविश्वास नहीं करें। वरना ऐसे भेड़िए हमारे चारों ओर अपनी हरकतें करते रहेंगे।
मैं एक बात और कहना चाहता हूं। समाज में सारे संत या साधु आसाराम जैसे नहीं हैं। लेकिन आसाराम की करतूत ने पूरे संत समाज को बदनाम कर दिया है। बहुत सारे साधु संत हैं जो अच्छा काम कर रहे हैं। वे समाज की सेवा कर रहे हैं और लोगों को सही रास्ता दिखा रहे हैं। समाज में अपराध को कम करने में उनकी भी भूमिका है। लेकिन आसाराम के खिलाफ कोर्ट के फैसले से उन्हें भी दुख हुआ होगा। क्योंकि अगर दाग लगे तो पूरे दामन गंदा होता है। एक कहावत है कि एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है। (रजत शर्मा)