वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इन्फ्रास्ट्रक्चर और बैंकिंग सिस्टम में अगले दो साल में 14 लाख रुपये खर्च करने के लिए मंगलवार को एक व्यापक योजना का ऐलान किया। उन्होंने 7 लाख करोड़ की लागत से भारतमाला हाईवे प्रोजेक्ट के तहत 83,877 किमी हाईवे निर्माण को केंद्रीय मंत्रीमंडल द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद यह घोषणा की। इस पैकेज में 2.11 लाख करोड़ का भारी निवेश भी शामिल है जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन के लिए उधार देने और निवेश को पुनर्जिवित करने के लिए पूंजी उपलब्ध कराई जा सके।
यह बात तो सही है कि पिछले कुछ दिनों में जमीनी स्तर पर छोटे और मंझौले स्तर के व्यापारी और उद्यमी परेशान नजर आए। पहले नोटबंदी से और फिर जीएसटी से, बिजनेस और उद्योग पर काफी असर पड़ा। विरोधी दलों को यह भी कहने का मौका मिल गया कि लोगों को वादे के मुताबिक नौकरियां नहीं मिलीं। विदेश निवेश कम आया और लोगों की नौकरियां चली गईं। इसी का जबाव देने के लिए मंगलवार को अरुण जेटली ने बताया कि अगले दो साल में इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट्स पर चौदह लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। वहीं सरकारी बैंकों को दो लाख ग्यारह हजार करोड़ की पूंजी उपल्ब्ध कराई जाएगी ताकि ये बैंक लोगों को लोन दे सकें। इसके लिए बैंकिंग रिफॉर्म किए जाएंगे। इससे उन लघु और मध्यम स्तर के उद्योगों को फायदा होगा जिन्हें लोन की जरूरत होगी। इसका एक असर तो यह होगा कि बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा। लोन मिलने से कारोबारियों को बिजनेस खड़ा करने में मदद मिलेगी। जब हाईवेज बनते हैं, हाऊसिंग और रेलवेज पर पैसा खर्च होता है तो इकोनॉमी को ताकत मिलती है। मोदी सरकार ने इसको न्यू इंडिया टेकऑफ प्लान का नाम दिया है। हमारी नज़र लगातार इस प्लान पर रहेगी। हम अपने पाठकों और दर्शकों को बताएंगे कि प्लान कितना प्रोग्रेस कर रहा है और कैसे प्रोग्रेस कर रहा है। (रजत शर्मा)