शुक्रवार की शाम प्रसारित हुए एग्जिट पोल्स के मुताबिक राजस्थान में कांग्रेस और तेलंगाना में टीआरएस को पूर्ण बहुमत मिलता हुआ दिख रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तस्वीर कुछ साफ नहीं है। इंडिया टीवी-सीएनएक्स एग्जिट पोल ने मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत की भविष्यवाणी की है, लेकिन एक एन्य एग्जिट पोल के मुताबिक सूबे में कांग्रेस बाजी मारेगी। एक तीसरे एग्जिट पोल में कहा गया है कि मध्य प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा हो सकती है और भाजपा एवं कांग्रेस में कड़ी टक्कर है।
अगर मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान जीतते हैं, तो उसकी वजह सिर्फ ये होगी कि 13 साल मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होंने अहंकार नहीं दिखाया। एक नेता के तौर पर वह लोगों से जुड़े रहे, पूरे प्रदेश में घूमते रहे और अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को नाराज नहीं किया। हालांकि 13 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद एंटि-इनकंबैंसी से पार पाना किसी भी नेता के लिए आसान नहीं होता, लेकिन एक बात साफ है: मध्य प्रदेश में बीजेपी की सीटें कम होती दिखाई दे रही हैं तो उसकी एक बड़ी वजह किसानों की नाराजगी भी हो सकती है। और कांग्रेस ने जिस तरह मिलकर लड़ाई लड़ी उससे भी कांग्रेस को फायदा हुआ होगा।
राजस्थान में तस्वीर ठीक उलट है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विभिन्न समुदायों में मौजूद अपनी ही पार्टी के समर्थकों को नाराज कर दिया। हालांकि एग्जिट पोल कांग्रेस के लिए पूर्ण बहुमत की भविष्यवाणी कर रहे हैं, एक चीज पर जरूर ध्यान देना होगा। 3 से 4 महीने पहले तक राजनीतिक विशेषज्ञ राजस्थान में कांग्रेस की बड़ी जीत और भाजपा की करारी हार की बात कहते थे। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव अभियान आगे बढ़ा, मुकाबला कड़ा होता गया।
राजस्थान की राजनीति को समझने वाले कहते हैं कि कांग्रेस ने ओवर कॉन्फिडेंस में आकर टिकट बांटने में बहुत सारी गलतियां कीं, जिसका फायदा भाजपा को हुआ। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के आपसी टकराव की वजह से बड़ी संख्या में बागी उम्मीदवार खड़े हो गए। इन बागियों ने कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवारों को हराने के लिए अपना पूरा दम झोंक दिया। इसके बाद भी अगर कांग्रेस की जीत होती है तो उसकी वजह सिर्फ वसुंधरा राजे के प्रति लोगों का गुस्सा हो सकता है। कांग्रेस को जिताने का श्रेय जनता को जाएगा, लेकिन एग्जिट पोल से लगता है कि पार्टी सरकार के प्रति लोगों के गुस्से का पूरा फायदा नहीं उठा पाई।
छत्तीसगढ़ की कहानी पूरी तरह अलग है। राज्य का एक बड़ा हिस्सा नक्सलवाद से प्रभावित है, इसलिए मतदाता सार्वजनिक तौर पर कुछ भी बोलने से डरते हैं। यही वजह है कि एग्जिट पोल्स के जरिए चुनाव के नतीजों का अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता है। लेकिन यदि छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत होती है तो ऐसा मुख्यमंत्री रमन सिंह द्वारा गरीबों के कल्याण के लिए चलाई गई तमाम योजनाओं के चलते ही होगा। इसके अलावा अजीत जोगी और बसपा के गठबंधन द्वारा भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा भी रमन सिंह की जीत का एक कारण रहेगा।
तेलंगाना में यदि के. चंद्रशेखर राव की जीत होती है तो उसकी वजह ये है कि उन्होंने लोगों को काफी कुछ सस्ता दिया जिसमें बिजली, पानी और राशन जैसी चीजें शामिल हैं। ये सब देने के लिए उनकी सरकार ने तेलंगाना का लगभग पूरा खजाना लुटा दिया। ऐसी योजनाओं का एक चुनाव में तो फायदा हो सकता है लेकिन बाद में राज्य को चलाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि विकास के लिए पैसा नहीं बचता। केसीआर को इस बात का भी फायदा हो सकता है कि कांग्रेस ने चंद्रबाबू नायडू से हाथ मिलाया। दरअसल, चंद्रबाबू वह नेता हैं जिन्होंने अलग तेलंगाना बनने का जमकर विरोध किया था। जाहिर है तेलंगाना के लोग उन्हें वोट तो नहीं देंगे और यह वोट प्रतिशत में दिखाई भी दे रहा है।
अब 11 दिसंबर का इंतजार करते हैं जब ईवीएम खुलेगी और चुनावों के नतीजे आएंगे। (रजत शर्मा)
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